हाल ही में अमेरिका द्वारा H4 वीज़ा धारकों को जारी वर्क परमिट को वापस लिये जाने पर विचार करने की घोषणा भारत के लिये चिंता का विषय क्यों हैं? स्पष्ट कीजिये। ।
14 Apr, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 2 अंतर्राष्ट्रीय संबंध
उत्तर की रूपरेखा:
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अमेरिका में रोजगार के इच्छुक लोगों को अमेरिका से H1-B वीज़ा प्राप्त करना होता है। यह ‘इमीग्रेशन एण्ड नेशनलिटी एक्ट’ के तहत प्रदान किया जाता है। H1-B वीज़ा धारक लोगों को अमेरिका में अस्थायी रूप से काम करने की इज़ाजत होती है। H1 वीज़ा धारकों के परिजनों को H4 वीज़ा मिलने के बाद ही वहां रहने की इज़ाजत मिलती है।
राष्ट्रपति ओबामा के कार्यकाल में H1-B वीज़ा के नियमों में बदलाव के साथ H4 वीज़ा धारकों को भी अमेरिका में काम करने की इजाजत दी गयी थी।
मौजूदा ट्रंप सरकार ने वीज़ा नियमों में बदलाव की मंशा जाहिर की है तथा स्पष्ट किया कि H4 वीज़ा धारकों को काम करने की इजाजत नहीं होगी साथ ही H1-B वीज़ा धारकों के परिजनों को मिलने वाले वीज़ा पर भी लगाम लग सकती है।
अमेरिका में आईटी क्षेत्र में काम करने वाले वे लोग जो अपनी नौकरी खो चुके हैं उन्होंने ‘सेव जॉब्स यूएसए’ नाम से एक संगठन बनाया है जिनका दावा है कि H1-B धारक उनकी नौकरियाँ छीन रहे हैं।
वीज़ा धारकों के कारण उनकी नौकरियां छिन गईं यह समूह भ्4 वीज़ा धारकों को दिए जाने वाले वर्क परमिट पर भी सवाल उठाता है।
यदि अमेरिकी प्रशासन वीज़ा नियमों में बदलाव को औपचारिक करती है तो इस बात की पूरी संभावना है कि पीडि़त अदालत का दरवाजा खटखटायेंगे। तकनीक क्षेत्र में काम करने वाली गूगल और फेसबुक जैसी कंपनियाँ H1-B वीज़ा नियमों में संशोधन के प्रस्ताव पर अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं।
भारत के लिए चिंता के विषय क्यों?