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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    संगठनात्मक संदर्भों में "नैतिकता का पतन होने" की अवधारणा का विश्लेषण कीजिये। सार्वजनिक संस्थाएँ इस घटना से किस प्रकार बच सकती हैं तथा समय के साथ उच्च नैतिक मानकों को किस प्रकार बनाए रख सकती हैं? ( 150 शब्द )

    12 Sep, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • ‘नैतिकता का पतन’ को परिभाषित करते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • नैतिकता के पतन में योगदान देने वाले कारक पर चर्चा कीजिये।
    • सार्वजनिक संस्थानों के लिये प्रमुख सुरक्षा उपायों पर तथ्यात्मक रूप से विचार कीजिये।
    • उपयुक्त निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    नैतिकता का पतन एक मनोवैज्ञानिक घटना है, जिसमें व्यक्ति समय के साथ अपने निर्णयों के नैतिक निहितार्थों के प्रति धीरे-धीरे कम संवेदनशील हो जाता है।

    • इससे भिन्न-भिन्न अनैतिक व्यवहारों को प्रोत्साहन मिल सकता है।
    • यह संगठनात्मक संदर्भ में एक महत्त्वपूर्ण चिंता का विषय है, जहाँ व्यक्तियों को अक्सर जटिल निर्णयों का सामना करना पड़ता है, जिसमें प्रतिस्पर्द्धी हितों के मध्य संतुलन स्थापित करना शामिल है।

    मुख्य भाग:

    नैतिक पतन में योगदान देने वाले कारक:

    • प्रदर्शन का दबाव: जब व्यक्ति विशिष्ट लक्ष्यों को प्राप्त करने या समय-सीमा को पूरा करने के लिये अत्यधिक दबाव में होते हैं, तो उसके द्वारा नैतिक विचारों की अनदेखी करने की संभावना अधिक होती है।
      • उदाहरण के लिये सत्यम कंप्यूटर घोटाले में, उच्च विकास दर बनाए रखने के दबाव के कारण धोखाधड़ीपूर्ण लेखांकन प्रथाओं को बढ़ावा मिला।
    • सामूहिक विचार: जब किसी संगठन के व्यक्ति अपने साथियों की राय से अत्यधिक प्रभावित होते हैं, तो उनके द्वारा अनैतिक व्यवहार पर सवाल उठाने की संभावना कम होती है।
      • मुंबई में आदर्श सहकारी आवास सोसायटी घोटाला भ्रष्टाचार और सार्वजनिक धन के दुरुपयोग को बढ़ावा देने वाली सामूहिक सोच का एक उदाहरण है।
    • असंवेदीकरण: समय के साथ अनैतिक व्यवहार के संपर्क में आने से असंवेदीकरण उत्पन्न हो सकता है, जिससे ऐसे कार्यों को उचित ठहराना या अनदेखा करना आसान हो जाता है।
      • मध्य प्रदेश का व्यापम घोटाला इसका एक उदाहरण है, जिसमें मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश हेतु रिश्वत ली गई थी।
    • संगठनात्मक संस्कृति: एक विषाक्त संगठनात्मक संस्कृति जो दीर्घकालिक स्थिरता की तुलना में अल्पकालिक लाभ को प्राथमिकता देती है, वह ऐसा वातावरण विकसित कर सकती है जहाँ अनैतिक व्यवहार का सामना किया जाता है या यहाँ तक ​​कि पुरस्कृत भी किया जाता है।
    • प्रोत्साहन का अभाव: व्यावसायिक परिवेश में मान्यता का अभाव नैतिक पतन का कारण बन सकता है।
      • जब मेहनती कर्मचारियों को पुरस्कृत या प्रोत्साहित नहीं किया जाता है, तो वे निराश हो सकते हैं और नैतिक विचारों को प्राथमिकता देने की संभावना कम हो जाती है।

    सार्वजनिक संस्थानों के लिये सुरक्षा उपाय:

    • नैतिक नेतृत्व: किसी संगठन की दिशा तय करने के लिये मज़बूत नैतिक नेतृत्व आवश्यक है।
      • नेताओं को लगातार ईमानदारी और नैतिक व्यवहार के साथ कार्य करना चाहिये तथा दूसरों को उनके कार्यों के लिये जवाबदेह ठहराना चाहिये।
    • नैतिक प्रशिक्षण: नियमित नैतिक प्रशिक्षण कार्यक्रम कर्मचारियों को नैतिक दुविधाओं को पहचानने, आलोचनात्मक चिंतन कौशल विकसित करने और अनैतिक व्यवहार के परिणामों को समझने में मदद कर सकते हैं।
    • नैतिक रिपोर्टिंग तंत्र: संगठनों में कर्मचारियों के लिये प्रतिशोध के भय के बिना अनैतिक व्यवहार की रिपोर्ट करने हेतु स्पष्ट और सुलभ तंत्र होना चाहिये।
    • पारदर्शिता और जवाबदेही: सार्वजनिक संस्थाओं को अपने कार्यों में पारदर्शी और जनता के प्रति जवाबदेह होना चाहिये।
      • इसमें नियमित लेखा परीक्षा, वित्तीय जानकारी का प्रकटीकरण और सार्वजनिक जाँच के लिये तंत्र शामिल हैं।
      • भारत में सूचना का अधिकार अधिनियम ने नागरिकों को सरकारी गतिविधियों के बारे में जानकारी प्राप्त करने और अधिकारियों को जवाबदेह बनाने का अधिकार दिया है।
    • नैतिक संहिताएँ और नीतियाँ: संगठनों को नैतिक संहिताओं और नीतियों का विकास तथा कार्यान्वयन करना चाहिये, जो व्यवहार के अपेक्षित मानकों को स्पष्ट रूप से रेखांकित करते हों।
      • इन संहिताओं की नियमित रूप से समीक्षा तथा बदलती परिस्थितियों के अनुरूप इन्हें अद्यतन किया जाना चाहिये।

    निष्कर्ष:

    संगठनों में नैतिकता का ह्रास एक व्यापक चुनौती है, लेकिन यह असंभव नहीं है। एक मज़बूत नैतिक संस्कृति को बढ़ावा देने, व्यापक प्रशिक्षण प्रदान करने और मज़बूत सुरक्षा उपायों को लागू करने से, सार्वजनिक संस्थाएँ इस घटना से जुड़े जोखिमों को कम कर सकती हैं।

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