"आज़ादी का लक्ष्य पूरे देश की भागीदारी के बिना संभव नहीं था।" इस संदर्भ में भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के योगदान को उजागर कीजिये।
15 Dec, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास
उत्तर की रूपरेखा-
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भारत 1947 में स्वतंत्र हुआ और स्वतंत्रता के इस संघर्ष में लोगों ने भागीदारी की एवं समग्र रूप से योगदान किया। इस प्रक्रिया में उत्तर-पूर्वी राज्यों ने अपनी पूरी सामर्थ्य से सहयोग किया। ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध विद्रोह की शुरुआत करने में उत्तर-पूर्व ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसने अंततः अंग्रेज़ों को हमारी मातृभूमि छोड़ने के लिये बाध्य किया। इस क्षेत्र के योगदान को प्रमुख स्वतंत्रता सेनानियों की उपलब्धियों के माध्यम से समझा जा सकता है।
उपरोक्त सेनानियों के अलावा उत्तर-पूर्व के कई अन्य लोगों ने भी भारत के स्वतंत्रता संग्राम में समान योगदान किया। इनमें से कुछ के नाम हैं: बीर टिकेन्द्र जीत सिंह, कुशल कुँवर, गोम्बधन कुँवर एवं पियाली फूकन।
इस तरह, इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में पूर्वोत्तर भारत का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा।