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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    लोक सेवा में ‘सहानुभूति शिथिलता’ की अवधारणा को समझाइये। सामाजिक समस्याओं के निरंतर संपर्क में रहते हुए प्रशासक, सहानुभूति को किस प्रकार बनाए रख सकते हैं? (150 शब्द)

    05 Sep, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • सहानुभूति शिथिलता को परिभाषित करते हुए परिचय दें
    • सामाजिक समस्याओं के निरंतर संपर्क के बीच सहानुभूति बनाए रखने के तरीके सुझाएँ
    • उचित निष्कर्ष निकालें।

    परिचय:

    सहानुभूति शिथिलता तब होती है जब लोक सेवक दूसरों की समस्याओं के निरंतर संपर्क में रहने से भावनात्मक रूप से अभिभूत हो जाते हैं , जिसके परिणामस्वरूप उनकी सहानुभूति करने की क्षमता कम हो जाती है।

    • यह अवधारणा विशेष रूप से उन लोक प्रशासकों के लिये प्रासंगिक है जो लगातार सामाजिक समस्याओं और मानवीय पीड़ा से जूझते रहते हैं।

    मुख्य भाग:

    • सामाजिक समस्याओं के निरंतर संपर्क के बीच सहानुभूति बनाए रखना:
      • संकेतों को पहचानना: प्रशासकों को सहानुभूति शिथिलता के संकेतों के प्रति जागरूक होना चाहिए , जिसमें भावनात्मक थकावट, नौकरी से संतुष्टि में कमी और निराशा की भावना शामिल हो सकती है।
    • सहानुभूति और व्यावसायिक दूरी के बीच संतुलन बनाए रखना: सार्वजनिक सेवा में दीर्घकालिक प्रभावशीलता के लिये सहानुभूति और व्यावसायिक दूरी के बीच संतुलन बनाए रखना महत्त्वपूर्ण है।
    • स्व-देखभाल अभ्यास: नियमित स्व-देखभाल अभ्यासों को लागू करने से प्रशासकों को अपनी सहानुभूति भंडार को पुनः भरने में मदद मिल सकती है।
      • मध्य प्रदेश सरकार का प्रसन्नता विभाग अपने कर्मचारियों को तनाव प्रबंधन और भावनात्मक स्वास्थ्य बनाए रखने में मदद करने के लिये नियमित रूप से ध्यान और योग सत्र आयोजित करता है।
      • कर्तव्यों का चक्रण: कर्तव्यों का आवधिक चक्रण, प्रशासकों को सार्वजनिक सेवा के विभिन्न पहलुओं से परिचित कराकर, शिथिलता को रोक सकता है तथा सहानुभूति को नवीनीकृत कर सकता है।
    • सहकर्मी सहायता प्रणालियां: सहकर्मी सहायता नेटवर्क बनाने से अनुभवों और सामना करने की रणनीतियों को साझा करने के लिये एक मंच उपलब्ध हो सकता है।
      • भारतीय सेना ने मित्र प्रणाली लागू की है, जिसमें सैनिकों को एक-दूसरे को भावनात्मक रूप से सहयोग देने के लिये जोड़ा जाता है, यह एक ऐसी प्रणाली है जिसे सिविल प्रशासकों के लिये भी अपनाया जा सकता है।
    • लाभार्थियों के साथ संपर्क बनाए रखना: सार्वजनिक सेवाओं के लाभार्थियों के साथ सीधा संपर्क उद्देश्य और सहानुभूति की भावना को मज़बूत कर सकता है।
      • कई भारतीय राज्यों में 'जन संवाद' पहल , जिसके तहत प्रशासक सीधे नागरिकों के साथ बातचीत करते हैं, उन लोगों के साथ संपर्क बनाए रखने में मदद करती है जिनकी वे सेवा करते हैं।
    • मनोवैज्ञानिक सहायता सेवाएं: पेशेवर मनोवैज्ञानिक सहायता तक पहुंच प्रदान करने से प्रशासकों को सहानुभूति शिथिलता का प्रबंधन करने में मदद मिल सकती है।
      • भारत में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) ने अपने कर्मियों के लिये मनोवैज्ञानिक सहायता हेल्पलाइन शुरू की है, एक ऐसा मॉडल जिसे अन्य सार्वजनिक सेवा क्षेत्रों में भी विस्तारित किया जा सकता है
    • सामुदायिक सहभागिता: प्रशासकों को उनके आधिकारिक कर्तव्यों के अतिरिक्त सामुदायिक सेवा में संलग्न होने के लिये प्रोत्साहित करने से उनमें उद्देश्य और सहानुभूति की भावना का नवीनीकरण हो सकता है।
      • 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' कार्यक्रम सिविल सेवकों को राज्यों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान में शामिल होने के लिये प्रोत्साहित करता है, जिससे उनका दृष्टिकोण व्यापक होता है।

    निष्कर्ष:

    सामाजिक समस्याओं के निरंतर संपर्क में रहते हुए सहानुभूति बनाए रखना भारत में लोक प्रशासकों के लिये एक महत्त्वपूर्ण चुनौती है। हालाँकि, व्यक्तिगत, संस्थागत और नीति-स्तरीय रणनीतियों के संयोजन को लागू करके , सहानुभूति शिथिलता को कम करना संभव है।

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