नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यानों का विकास भारत की अंतरिक्ष नीति 2023 के उद्देश्यों के साथ किस प्रकार संरेखित है? भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र के व्यावसायीकरण हेतु इसके निहितार्थों पर चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

    04 Sep, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 3 विज्ञान-प्रौद्योगिकी

    उत्तर :

    दृष्टिकोण:

    • भारत की अंतरिक्ष नीति 2023 का उल्लेख करते हुए उत्तर की शुरूआत कीजिये।
    • भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 के साथ पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण वाहनों के संरेखण पर गहन विचार कीजिये।
    • भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र के व्यावसायीकरण पर इसके प्रभाव बताइए।
    • उपयुक्त निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    भारत की अंतरिक्ष नीति 2023 देश के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिये महत्त्वाकांक्षी लक्ष्यों को रेखांकित करती है, जिसमें अंतरिक्ष-आधारित अनुप्रयोगों को बढ़ाना, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना और स्थायी अंतरिक्ष गतिविधियों को सुनिश्चित करना शामिल है।

    • पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण वाहनों (RLV) का विकास इन उद्देश्यों के साथ निकटता से जुड़ा हुआ है।

    मुख्य भाग:

    भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 के साथ पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण वाहनों का संरेखण:

    • तकनीकी उन्नति: भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 अत्याधुनिक अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियों के विकास के लिये भारत की प्रतिबद्धता पर ज़ोर देती है। आरएलवी कार्यक्रम इस उद्देश्य का उदाहरण है:
      • इसरो की पुष्पक- पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण यान प्रौद्योगिकी प्रदर्शक (आरएलवी-टीडी) परियोजना जटिल एयरोस्पेस प्रौद्योगिकियों में भारत की प्रगति को प्रदर्शित करती है।
      • LEX -03 मिशन ने अंतरिक्ष से लौटने वाले वाहन के लिये लैंडिंग की स्थितियों का अनुकरण किया, जिसमें लैंडिंग वेग 320 किमी/घंटा से अधिक था - जो वाणिज्यिक विमान या सामान्य लड़ाकू जेट से भी अधिक तेज था।
    • लागत-प्रभावशीलता: भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 का एक प्रमुख लक्ष्य अंतरिक्ष तक पहुँच की लागत को कम करना है। आरएलवी इस उद्देश्य में सीधे योगदान देते हैं:
      • पुन: प्रयोज्यता प्रत्येक मिशन के लिये नए वाहन बनाने की आवश्यकता को समाप्त करके प्रक्षेपण लागत को काफी कम कर देती है।
      • आरएलवी-टीडी कार्यक्रम का उद्देश्य पूर्णतः पुन: प्रयोज्य दो-चरणीय कक्षीय प्रक्षेपण यान के लिये प्रौद्योगिकियों का विकास करना है, जो प्रक्षेपण अर्थशास्त्र में क्रांति ला सकता है।
    • अंतरिक्ष क्षेत्र का व्यावसायीकरण: भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 का उद्देश्य अंतरिक्ष गतिविधियों में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ाना है । आरएलवी प्रौद्योगिकी के महत्त्वपूर्ण वाणिज्यिक निहितार्थ हैं:
      • आरएलवी प्रौद्योगिकियों के विकास से निजी क्षेत्र के लिये प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और स्पिन-ऑफ के अवसर पैदा होते हैं।
      • इस नीति से नासा के वाणिज्यिक क्रू कार्यक्रम जैसी साझेदारियां हो सकती हैं , जहाँ स्पेसएक्स और बोइंग जैसी निजी कंपनियां सरकारी और वाणिज्यिक उपयोग के लिये अंतरिक्ष यान विकसित और संचालित करती हैं।
    • प्रक्षेपण क्षमताओं में वृद्धि: नीति का उद्देश्य भारत की अंतरिक्ष अवसंरचना और प्रक्षेपण क्षमता का विस्तार करना है:
      • आर.एल.वी. संभावित रूप से प्रक्षेपण आवृत्ति और पेलोड क्षमता को बढ़ा सकते हैं।
      • वाहनों को शीघ्रता से नवीनीकृत करने और पुनः लॉन्च करने की क्षमता समग्र स्थान तक पहुँच को बढ़ाती है।
      • इसरो के आरएलवी-टीडी कार्यक्रम में हाइपरसोनिक उड़ान, स्वचालित लैंडिंग और संचालित क्रूज उड़ान का परीक्षण शामिल है - जो सभी कुशल, पुन: प्रयोज्य अंतरिक्ष परिवहन प्रणाली विकसित करने के लिये महत्त्वपूर्ण हैं।

    भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र के व्यावसायीकरण के निहितार्थ:

    • नए व्यवसाय मॉडल: आरएलवी अधिक लचीली और प्रतिक्रियाशील प्रक्षेपण सेवाएँ प्रदान करते हैं, जिससे कंपनियां "अंतरिक्ष-पर-मांग" समाधान प्रदान कर सकती हैं।
    • प्रवेश संबंधी बाधाओं में कमी : कम प्रक्षेपण लागत के कारण स्टार्टअप्स और छोटी कंपनियों के लिये नवीन उपग्रह और पेलोड अवधारणाओं के साथ अंतरिक्ष बाजार में प्रवेश करना आसान हो जाता है।
    • प्रक्षेपण आवृत्ति में वृद्धि : आरएलवी के लिये त्वरित समयावधि संचार, पृथ्वी अवलोकन और अन्य अनुप्रयोगों के लिये बड़े उपग्रह समूहों की तैनाती और रखरखाव में सहायक हो सकती है।
    • घरेलू विनिर्माण: आरएलवी के विकास से विशिष्ट घटकों और सामग्रियों की मांग बढ़ेगी , जिससे भारत के एयरोस्पेस विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा।
    • अंतरिक्ष पर्यटन: यद्यपि इस पर तत्काल ध्यान नहीं दिया जा रहा है, लेकिन आरएलवी प्रौद्योगिकी में निपुणता प्राप्त करना भविष्य में अंतरिक्ष पर्यटन के संभावित अवसरों के लिये आधार तैयार करेगा।

    निष्कर्ष:

    पुन: प्रयोज्य प्रक्षेपण वाहनों का विकास भारत की अंतरिक्ष नीति 2023 के साथ मज़बूती से जुड़ा हुआ है, जो तकनीकी उन्नति, लागत-प्रभावशीलता और क्षेत्र के व्यावसायीकरण के लक्ष्यों का समर्थन करता है। यह संरेखण अंतरिक्ष क्षेत्र में घरेलू नवाचार और आर्थिक विकास को बढ़ावा देते हुए वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में भारत की स्थिति को बढ़ाने का वादा करता है।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow