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ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    'प्रकृति-आधारित समाधान' की अवधारणा वैश्विक स्तर पर लोकप्रिय हो रही है। चर्चा कीजिये कि भारत अपनी पर्यावरण नीति और जैवविविधता संरक्षण के प्रयासों में इस दृष्टिकोण को प्रभावी ढंग से किस प्रकार शामिल कर सकता है। (150 शब्द)

    28 Aug, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरण

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • प्रकृति आधारित समाधानों को परिभाषित करके परिचय दीजिये।
    • प्रकृति-आधारित समाधानों में बढ़ती वैश्विक रुचि के समर्थन में तर्क दीजिये।
    • भारत की पर्यावरण नीति में एनबीएस को शामिल करने के तरीके सुझाइये।
    • भारत के जैव विविधता संरक्षण में एनबीएस को शामिल करने के तरीके सुझाइये।
    • तदनुसार निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    • प्रकृति-आधारित समाधान (एनबीएस) प्राकृतिक या संशोधित पारिस्थितिकी प्रणालियों की सुरक्षा, स्थायी प्रबंधन और पुनर्स्थापना के लिये किए जाने वाले कार्य हैं , जो सामाजिक चुनौतियों का प्रभावी और अनुकूल तरीके से समाधान करते हैं, साथ ही मानव कल्याण और जैव विविधता को लाभ भी प्रदान करते हैं।
    • यह अवधारणा वैश्विक महत्त्व प्राप्त कर रही है क्योंकि देश जलवायु परिवर्तन, आपदा जोखिम न्यूनीकरण और जैव विविधता हानि से निपटने के लिये स्थायी तरीके खोज रहे हैं।
    • भारत में, अपनी विविध पारिस्थितिकी प्रणालियों और समृद्ध जैव विविधता के कारण, एनबीएस को क्रियान्वित करने की महत्त्वपूर्ण क्षमता मौजूद है।

    मुख्यभाग:

    प्रकृति-आधारित समाधानों में बढ़ती वैश्विक रुचि:

    • वर्ष 2022 में एक ऐतिहासिक निर्णय के तहत संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण सभा ने औपचारिक रूप से प्रकृति-आधारित समाधानों को मान्यता दे दी।
    • जैव विविधता पर कन्वेंशन (CBD) ने एनबीएस को 2020 के बाद के वैश्विक जैव विविधता ढाँचे में शामिल कर लिया है।
    • पारिस्थितिकी तंत्र बहाली पर संयुक्त राष्ट्र दशक (2021-2030) अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये एक प्रमुख दृष्टिकोण के रूप में एनबीएस पर जोर देता है।

    भारत की पर्यावरण नीति में एनबीएस को शामिल करना:

    • नीतिगत ढाँचा: भारत एनबीएस को अपनी मौजूदा पर्यावरण नीतियों में एकीकृत कर सकता है और नई, समर्पित नीतियाँ बना सकता है। उदाहरण के लिये:
      • राष्ट्रीय जैव विविधता कार्य योजना को अद्यतन करना ताकि उसमें एनबीएस रणनीतियों को स्पष्ट रूप से शामिल किया जा सके।
      • जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना में एनबीएस को शामिल करना ।
      • विभिन्न क्षेत्रों में कार्यान्वयन के लिये मार्गदर्शन हेतु एक विशिष्ट प्रकृति-आधारित समाधान नीति विकसित करना।
    • क्रॉस-सेक्टरल एकीकरण: एनबीएस को कृषि, शहरी विकास, जल प्रबंधन और आपदा जोखिम न्यूनीकरण सहित विभिन्न क्षेत्रों में एकीकृत किया जाना चाहिए। उदाहरण के लिये:
      • शहरी नियोजन नीतियों में हरित बुनियादी ढाँचे और शहरी वनों को अनिवार्य बनाया जा सकता है।
    • वित्तीय तंत्र : एनबीएस परियोजनाओं के लिये समर्पित वित्तपोषण तंत्र स्थापित करना:
      • मौजूदा राष्ट्रीय अनुकूलन कोष के समान एक प्रकृति-आधारित समाधान कोष बनाइये ।
      • कर लाभ और हरित बांड के माध्यम से निजी क्षेत्र के निवेश को प्रोत्साहित कीजिये।

    भारत के जैव विविधता संरक्षण में एनबीएस को शामिल करना:

    • पारिस्थितिकी तंत्र बहाली: एनबीएस सिद्धांतों का उपयोग करके पारिस्थितिकी तंत्र बहाली प्रयासों को बढ़ाना:
      • तटीय संरक्षण और जैव विविधता संवर्धन के लिये तटीय रेखाओं के किनारे मैंग्रोव पुनरुद्धार का विस्तार करना ।
      • सहायता प्राप्त प्राकृतिक पुनर्जनन और सामुदायिक वानिकी के माध्यम से क्षीण वनों को पुनर्स्थापित करना ।
      • उदाहरण : पश्चिम बंगाल में सुंदरवन मैंग्रोव पुनरुद्धार परियोजना , जो न केवल जैव विविधता को बढ़ाती है, बल्कि तूफान से सुरक्षा और आजीविका के अवसर भी प्रदान करती है।
    • संरक्षित क्षेत्र प्रबंधन: एनबीएस दृष्टिकोण का उपयोग करके संरक्षित क्षेत्र प्रबंधन को बढ़ाएं:
      • बफर जोन प्रबंधन रणनीतियों को लागू कीजिये जिससे वन्यजीवों और स्थानीय समुदायों दोनों को लाभ हो।
      • खंडित आवासों को जोड़ने के लिये पारिस्थितिक गलियारों का उपयोग कीजिये।
      • उदाहरण : काजीरंगा-कार्बी आंगलोंग लैंडस्केप संरक्षण पहल, जो काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान को आसपास के जंगलों से जोड़ने के लिये गलियारों का उपयोग करती है।
    • शहरी जैव विविधता: एनबीएस के माध्यम से शहरी जैव विविधता को बढ़ावा देना:
      • तूफानी जल प्रबंधन और जैव विविधता के लिये शहरी आर्द्रभूमि का विकास करना।
      • उदाहरण : दिल्ली में यमुना जैव विविधता पार्क, जिसने शहर को पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएं प्रदान करते हुए देशी वनस्पतियों और जीवों को पुनर्स्थापित किया है।
    • कृषि-जैव विविधता संरक्षण: कृषि परिदृश्य में एनबीएस को एकीकृत कीजिये:
      • स्पेन में 'देहेसा' या राजस्थान में 'खेजड़ी' जैसी पारंपरिक कृषि वानिकी प्रणालियों को बढ़ावा देना ।
      • उदाहरण : जनजातीय क्षेत्रों में नाबार्ड द्वारा वित्त पोषित वाडी परियोजना , जो वानिकी और कृषि के साथ फल वृक्षों की खेती को जोड़ती है।
    • समुदाय-आधारित संरक्षण: एनबीएस कार्यान्वयन में स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाना:
      • वन अधिकार अधिनियम के अंतर्गत संयुक्त वन प्रबंधन और सामुदायिक वन संसाधन अधिकारों को बढ़ावा देना ।
      • उदाहरण : नगालैंड में खोनोमा प्रकृति संरक्षण और ट्रगोपैन अभयारण्य, जिसका प्रबंधन स्थानीय समुदाय द्वारा किया जाता है।

    निष्कर्ष:

    अपनी समृद्ध प्राकृतिक पूंजी और पारंपरिक ज्ञान का लाभ उठाकर भारत एनबीएस कार्यान्वयन में वैश्विक नेता बन सकता है। यह दृष्टिकोण न केवल जैव विविधता संरक्षण को बढ़ाता है बल्कि जलवायु परिवर्तन शमन और अनुकूलन, आपदा जोखिम न्यूनीकरण और सतत विकास में भी योगदान देता है।

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