हाल ही में मध्य एशियाई देशों के साथ भारत के संबंध और भारत के सामरिक हितों के लिये उनके महत्त्व का परीक्षण कीजिये। (150 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- हाल के वर्षों में मध्य एशिया पर भारत के नए फोकस पर प्रकाश डालते हुए परिचय दीजिये।
- मध्य एशियाई देशों के साथ भारत के हालिया जुड़ाव पर गहन विचार कीजिये
- भारत के सामरिक हितों के लिये मध्य एशिया के महत्व पर प्रकाश डालिये
- तदनुसार निष्कर्ष लिखिये।।
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परिचय:
2012 में शुरू की गई "कनेक्ट सेंट्रल एशिया" नीति, कूटनीतिक , आर्थिक, सांस्कृतिक और सुरक्षा आयामों को शामिल करते हुए एक बहुआयामी दृष्टिकोण के रूप में विकसित हुई है।
- भारत की मध्य एशियाई कूटनीति में महत्वपूर्ण क्षण जनवरी 2022 में प्रथम भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन के साथ आया।
मध्य एशियाई देशों के साथ भारत की हालिया भागीदारी:
- संपर्क: भारत द्वारा 500 मिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश से ईरान में चाबहार बंदरगाह का विकास , मध्य एशिया के लिये प्रवेश द्वार के रूप में कार्य करेगा, तथा पाकिस्तान द्वारा उत्पन्न भू-राजनीतिक चुनौतियों से निजात दिलाएगा ।
- अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (आईएनएसटीसी), 7,200 किलोमीटर लंबा मल्टी-मॉडल नेटवर्क है, जो भारत और मध्य एशिया के बीच पारगमन समय को 40% तक कम करने का वादा करता है।
- ऊर्जा सुरक्षा: मध्य एशिया के विशाल हाइड्रोकार्बन भंडार भारत की बढ़ती ऊर्जा आवश्यकताओं के अनुरूप हैं, जिससे प्राकृतिक तालमेल को बढ़ावा मिलता है। प्रमुख विकासों में शामिल हैं:
- भू-राजनीतिक बाधाओं के बावजूद, तुर्कमेनिस्तान -अफगानिस्तान-पाकिस्तान-भारत (टीएपीआई) पाइपलाइन भारत की ऊर्जा विविधीकरण रणनीति की आधारशिला बनी हुई है।
- परमाणु ईंधन निगम ने उल्लेखनीय प्रगति की है, कजाकिस्तान ने 2015-2019 के बीच भारत को 5,000 टन यूरेनियम की आपूर्ति की है।
- यह साझेदारी भारत के महत्वाकांक्षी परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के लिये महत्वपूर्ण है, जिसका लक्ष्य 2031 तक परमाणु ऊर्जा क्षमता को 22,480 मेगावाट तक बढ़ाना है।
- रक्षा और सुरक्षा सहयोग: आतंकवाद, उग्रवाद और क्षेत्रीय स्थिरता पर साझा चिंताओं के कारण मध्य एशिया के साथ भारत का सुरक्षा संबंध और गहरा हुआ है। प्रमुख पहलों में शामिल हैं:
- भारत-कज़ाखस्तान "काजिन्द" अभ्यास और किर्गिजस्तान के साथ आतंकवाद-रोधी अभ्यास जैसे नियमित संयुक्त सैन्य अभ्यास, अंतर-संचालन और रणनीतिक विश्वास को बढ़ाते हैं।
- 2020 में अफगानिस्तान पर भारत-मध्य एशिया संयुक्त कार्य समूह की स्थापना क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों के प्रति समन्वित दृष्टिकोण को दर्शाती है, विशेष रूप से 2021 के बाद अफगानिस्तान में उभरती स्थिति के आलोक में।
- 2017 से शंघाई सहयोग संगठन (SCO) में भारत की पूर्ण सदस्यता ने मध्य एशियाई भागीदारों के साथ सुरक्षा सहयोग और रणनीतिक वार्ता के लिये एक अतिरिक्त बहुपक्षीय मंच प्रदान किया है।
- सांस्कृतिक एवं लोगों के बीच संबंध: सांस्कृतिक समानताओं की सॉफ्ट पावर क्षमता को पहचानते हुए, भारत ने अपनी सांस्कृतिक कूटनीति को तीव्र किया है:
- भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (ITEC) कार्यक्रम मध्य एशियाई देशों को प्रतिवर्ष छात्रवृत्ति प्रदान करता है , जिससे शैक्षिक और व्यावसायिक संबंधों को बढ़ावा मिलता है।
निष्कर्ष:
हाल के वर्षों में मध्य एशिया पर भारत का नया फोकस इसकी विदेश नीति प्रतिमान में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है, जो इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में अपने भू-राजनीतिक प्रभाव और आर्थिक पदचिह्न को बढ़ाने के लिये एक रणनीतिक पुनर्संयोजन को दर्शाता है।