1. जीवन की महानता कभी न गिरने में नहीं, बल्कि हर बार गिरकर उठ जाने में है। 2. संदेह के क्षितिज के परे, समझरूपी प्रकाश है।
प्रश्न का उत्तर जल्द ही प्रकाशित होगा।