‘प्लेट विवर्तनिकी’ की अवधारणा को समझाएं। प्लेटो के संचरण के परिणाम स्वरुप बनने वाली सीमाओं का वर्णन करें।
19 Dec, 2017 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोलप्लेट विवर्तनिकी की अवधारणा को स्पष्ट करें। प्लेट-संचरण के परिणाम स्वरूप बनने वाली संरचना के बारे में लिखें। |
प्लेट विवर्तनिकी अवधारणा पृथ्वी पर महाद्वीपों तथा महासागरों के वितरण से जुड़ी हुई है, जिसका प्रतिपादन 1967 मैकेंजी के द्वारा किया गया था।
प्लेट विवर्तनिकी अवधारणा
इसके तहत हमारा स्थलमंडल 7 बड़े तथा कुछ छोटे प्लेटों में बटाँ हुआ है, जो दुर्लभ मंडल पर तैर रहे हैं। प्लेटों के किनारे जो अन्य प्लेटों से जुड़े होते हैं विवर्तनिक कहलाते हैं। ये ज्वाला मुखी और भूकंप से प्रभावित होते हैं। दुर्बल मंडल में द्रव्य तथा तरंगों की गति के कारण इन प्लेटों में विभिन्न प्रकार की गतियाँ होती है जिससे स्थलमंडल में परिवर्तन होता रहता है। इन प्लेटों के संचरण से तीन प्रकार की सीमाओं का निर्धारण होता है।
अपसरण सीमा: जब दो प्लेटें एक दूसरे के विपरीत दिशा में संचारित होती है तो संलग्न सीमा को अपसारी सीमा कहते हैं। इससे भूपर्पटीका निर्माण होता है। मध्य अटलांटिक कटक अपसारी सीमा का एक सुंदर उदाहरण है।
अभिसरण सीमा: अभिसरण सीमा का निर्माण तब होता है जब दो प्लेटें एक दूसरे की ओर गति करती हैं। यह तीन प्रकार से हो सकता है:
महासागरीय और महाद्वीपीय प्लेट के बीच
दो महासागरीय प्लेटों के बीच
दो महाद्वीपीय प्लेटों के बीच
अभिसरण की सीमा सर्वाधिक विनाशकारी होती है। एंडीज पर्वतमाला अभिसारी सीमा का परिणाम है।
रूपांतरण सीमा: इसमें प्लेटें एक दूसरे के समांतर गति करती है। आघात अथवा अलगाव नहीं होने के कारण
यहाँ न तो भूपर्पटी का निर्माण होता है और न ही विनाश। यद्यपि रूपांतरण सीमा पर हलके भूकंपीय तरंगो का अनुभव किया जा सकता है।