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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    वर्ष 2011 की जनगणना के आँकड़ों के अनुसार 1000 लड़कों पर लड़कियों की संख्या घटकर 919 रह गई है, जो भारत जैसे विकासशील देश के लिये अत्यंत चिंता का विषय है।" उपर्युक्त समस्याओं के कारकों की चर्चा करते हुए यह बताएँ कि ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ और ‘सुकन्या समृद्धि खाता योजना’ समाज में लड़कियों की स्थिति को सुधारने और उन्हें सशक्त बनाने में किस हद तक मददगार हैं।

    16 May, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 2 सामाजिक न्याय

    उत्तर :

    उत्तर की रूपरेखा :

    • घटते लिंगानुपात एवं स्त्री शोषण की समस्या तथा समाज में स्त्रियों की भागीदारी पर चर्चा।
    • बाल लिंगानुपात घटने का कारण।
    • सरकार द्वारा आरंभ की गई ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ तथा ‘सुकन्या समृद्धि योजना’ का उद्देश्य एवं निष्कर्ष।

    भारत में वर्तमान समय में घटता बाल लिंगानुपात चिंता का विषय है। घटते लिंगानुपात के परिणामस्वरूप लैंगिक असंतुलन बिगड़ने से महिलाओं के प्रति शोषण और दुष्कर्म की घटनाओं में काफी वृद्धि हुई है। यदि समय रहते इस समस्या का समाधान न खोजा गया तो भविष्य में यह भारत जैसे विकासशील देश हेतु एक गंभीर समस्या उत्पन्न कर सकती है, क्योंकि एक सफल राष्ट्र बनने के लिये महिलाओं का योगदान भी उतना ही ज़रूरी है जितना कि पुरुषों का।

    बाल लिंगानुपात कम होने एवं कन्या भ्रूण हत्या के पीछे उत्तरदायी कारकों में बेटियों की पढ़ाई और उनकी शादी, दहेज आदि पर किया जाने वाला खर्च, बेटियों की सुरक्षा की चिंता, उनका शादी के पश्चात् दूसरे घर जाना एवं बेटों को बुढ़ापे का सहारा माना जाना तथा पुरातन रूढ़िवादी मान्यताएँ जैसे- अंत्येष्टि संस्कार एवं वंशवृद्धि हेतु बेटों की अनिवार्यता आदि प्रमुख हैं।

    बढ़ती भ्रूण हत्या की घटनाओं एवं बाल लिंगानुपात के कम होते स्तर को देखते हुए प्रधानमंत्री द्वारा 22 जनवरी, 2015 को हरियाणा के पानीपत में ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ योजना का शुभारंभ करते हुए सुकन्या समृद्धि खाता योजना की घोषणा की गई।

    बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का उद्देश्य कन्या भ्रूण हत्या को रोकना, कन्याओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना, उनको सुरक्षा उपलब्ध कराना तथा लोगों की मानसिकता में सुधार लाना है, वहीं सुकन्या समृद्धि खाता योजना बेटियों की पढ़ाई और उनकी शादी पर आने वाले खर्च को आसानी से पूरा करने के उद्देश्य से लॉन्च की गई है जिससे बेटियों को बोझ न समझा जाए और वे अपने पैरों पर खड़ी हो सकें।

    इस प्रकार इन योजनाओं के माध्यम से सरकार द्वारा स्त्रियों को सशक्त करने तथा उन्हें समाज की मुख्य धारा में शामिल करने की ओर एक सराहनीय कदम उठाया गया है। सरकार के इन प्रयासों की सार्थकता तभी संभव है जब समाज अपनी मानसिकता में बदलाव लाकर कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ एकजुट हो।

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