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प्रश्न :
'गोल्डन मीन' के नैतिक महत्त्व पर चर्चा कीजिये। सार्वजनिक नीति निर्णयों में संतुलन प्राप्त करने के लिये इस अवधारणा को किस प्रकार लागू किया जा सकता है? (150 शब्द)
08 Aug, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- 'गोल्डन मीन' की अवधारणा को बताइये।
- सद्गुण एवं संयम को बढ़ावा देने में इसके नैतिक महत्त्व की व्याख्या कीजिये।
- चर्चा कीजिये कि प्रासंगिक उदाहरणों के साथ सार्वजनिक नीति-निर्णयों में गोल्डन मीन को किस प्रकार लागू किया जा सकता है।
- संतुलित एवं नैतिक सार्वजनिक नीति प्राप्त करने में गोल्डन मीन के महत्त्व को बताते हुए निष्कर्ष लिखिये।
परिचय:
'गोल्डन मीन' की अवधारणा अरस्तू के दर्शन से उत्पन्न हुई है, जहाँ चरम सीमाओं के बीच वांछनीय मध्यम मार्ग पर बल दिया जाता है। इसमें संतुलन और संयम पर बल देते हुए अधिकता तथा कमी दोनों से बचाव होता है।
- गोल्डन मीन एक कठोर मध्य बिंदु न होकर एक गतिशील संतुलन है जो परिस्थितियों के साथ बदलता रहता है, जिससे तर्कसंगत एवं नैतिक व्यवहार सुनिश्चित होता है।
मुख्य भाग:
गोल्डन मीन का नैतिक महत्त्व:
- सद्गुण और संयम: गोल्डन मीन संयम को बढ़ावा देकर साहस, विवेक और न्याय जैसे सद्गुणों को बढ़ावा देता है।
- उदाहरण के लिये, लापरवाही तथा कायरता के संदर्भ में साहस निर्णायक है।
- निर्णय लेने में विवेक: इससे लोगों को प्रतिकूल परिणामों से बचने के साथ नैतिक नेतृत्व के एक प्रमुख पहलू के रूप में विवेक को प्रोत्साहन मिलता है।
- प्रासंगिक नैतिकता: यह अवधारणा अनुकूलनीय है, जिससे निर्णय लेने वालों को विशिष्ट संदर्भ एवं परिस्थितियों पर विचार करने का प्रोत्साहन मिलता है, जिससे अधिक सूक्ष्म और नैतिक विकल्प बनते हैं।
सार्वजनिक नीति निर्णयों में अनुप्रयोग:
- आर्थिक नीति: कराधान नीतियों को डिज़ाइन करने में गोल्डन मीन अत्यधिक कराधान (जो आर्थिक विकास को बाधित कर सकता है) और न्यूनतम कराधान (जिससे अपर्याप्त लोक सेवाओं को जन्म मिल सकता है) के बीच संतुलन का मार्गदर्शन मिल सकता है।
- उदाहरण के लिये, भारत के वस्तु एवं सेवा कर (GST) को एक मध्यम कर दर के माध्यम से राजस्व आवश्यकताओं को आर्थिक विकास के साथ संतुलित करने हेतु डिज़ाइन किया गया था जिससे व्यवसायों पर अत्यधिक भार डाले बिना कर संरचना को सरल बनाया जा सके।
- पर्यावरण नीति: इस अवधारणा को पर्यावरण संरक्षण के साथ आर्थिक विकास को संतुलित करने में लागू किया जा सकता है।
- 'सतत् विकास लक्ष्य' (SDGs) से भविष्य की पीढ़ियों की ज़रूरतों को पूरा करने की क्षमता से समझौता किये बिना वर्तमान की ज़रूरतों को पूरा करने की कोशिश की जाती है।
- सामाजिक नीति: सामाजिक कल्याण योजनाओं में गोल्डन मीन को लागू करने में आवश्यक सहायता प्रदान करने तथा आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के बीच उचित संतुलन खोजना शामिल होगा।
- 'महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम' (MGNREGA) इसका एक प्रमुख उदाहरण है, क्योंकि इससे ग्रामीण गरीबों के लिये रोज़गार मिलने के साथ यह भी सुनिश्चित होता है कि लाभार्थी अपने कार्य के माध्यम से सामुदायिक विकास में योगदान दे सकें।
- कानून और व्यवस्था: गोल्डन मीन से लोक व्यवस्था को बनाए रखने की आवश्यकता एवं व्यक्तिगत अधिकारों के सम्मान के बीच संतुलन बनाकर आपराधिक न्याय नीतियों को मार्गदर्शन मिल सकता है।
- भारत का किशोर न्याय अधिनियम (जो युवा अपराधियों को दंडित करने के बजाय सुधार पर केंद्रित है) इस संतुलित दृष्टिकोण का उदाहरण है, जिसका उद्देश्य न्याय सुनिश्चित करते हुए पुनर्वास पर ज़ोर देना है।
निष्कर्ष:
गोल्डन मीन सार्वजनिक नीति-निर्णयों का मार्गदर्शन करने के लिये एक शक्तिशाली नैतिक उपकरण है, जो यह सुनिश्चित करता है कि नीतियाँ न तो बहुत सरल हों और न ही बहुत कठोर, बल्कि ये सामाजिक आवश्यकताओं को संतुलित एवं टिकाऊ तरीके से पूरा कर सकें। इस अवधारणा को लागू करके, नीति-निर्माता ऐसे निर्णय ले सकते हैं जो न्यायसंगत होने के साथ समाज के दीर्घकालिक कल्याण हेतु अनुकूल हों।
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