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प्रश्न :
डिजिटल भुगतान वित्तीय सशक्तीकरण और समावेशन में किस प्रकार योगदान करते हैं, इस पर चर्चा कीजिये। भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल वित्तीय सेवाओं से संबंधित चुनौतियों और संभावनाओं का विश्लेषण कीजिये। (250 शब्द)
07 Aug, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्थाउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- डिजिटल इंडिया और UPI पर प्रकाश डालते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- वित्तीय समावेशन और सशक्तीकरण में डिजिटल भुगतान की भूमिका पर विस्तार से चर्चा कीजिये।
- ग्रामीण भारत में डिजिटल वित्तीय सेवाओं के विस्तार से संबंधित चुनौतियों पर प्रकाश डालिये।
- ग्रामीण भारत में डिजिटल वित्तीय सेवाओं के विस्तार से संबंधित अवसर बताइये।
- उचित निष्कर्ष लिखिये।
परिचय:
डिजिटल भुगतान प्रणाली, जिसे इलेक्ट्रॉनिक भुगतान के रूप में भी जाना जाता है, मोबाइल फोन, POS टर्मिनल या कंप्यूटर जैसे डिजिटल उपकरणों के माध्यम से एक खाते से दूसरे खाते में धन के हस्तांतरण को संदर्भित करता है।
मुख्य भाग:
वित्तीय समावेशन और सशक्तीकरण में डिजिटल भुगतान की भूमिका:
- पहुँच: डिजिटल भुगतान बैंकिंग सेवाओं से वंचित और कम बैंकिंग सेवाओं वाली आबादी के लिये वित्तीय सेवाओं तक आसान पहुँच मिलती है।
- प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) के कारण वर्ष 2021 तक 430 मिलियन से अधिक बैंक खाते खोले गए हैं, जिनमें से कई अब डिजिटल भुगतान प्रणालियों से संबंधित हैं।
- लागत-प्रभावशीलता: डिजिटल लेन-देन प्रदाताओं एवं उपयोगकर्त्ताओं के लिये वित्तीय सेवाओं की लागत में कमी आती है।
- डिजिटल लेन-देन की लागत भौतिक लेन-देन के 1/10वें हिस्से जितनी कम हो सकती है।
- पारदर्शिता और जवाबदेहिता: डिजिटल भुगतान से सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार और लीकेज कम होता है।
- सरकार प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के माध्यम से ₹2.5 लाख करोड़ बचाने में सक्षम रही है।
- महिला सशक्तीकरण: डिजिटल भुगतान महिलाओं को अपने वित्त पर अधिक नियंत्रण एवं गोपनीयता प्रदान करता है।
- प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना के तहत महिलाओं के खातों में मातृत्व लाभ को सीधे स्थानांतरित करने के लिये डिजिटल भुगतान का उपयोग होता है।
ग्रामीण भारत में डिजिटल वित्तीय सेवाओं के विस्तार से संबंधित चुनौतियाँ:
- सीमित डिजिटल अवसंरचना: ग्रामीण क्षेत्रों में सीमित इंटरनेट कनेक्टिविटी और अविश्वसनीय बिजली आपूर्ति से डिजिटल भुगतान को अपनाने में बाधा आती है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में केवल 24% घरों में इंटरनेट की सुविधा है, जबकि शहरों में यह 66% है।
- डिजिटल निरक्षरता: ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल साक्षरता का निम्न स्तर (25%), इसे अपनाने में महत्त्वपूर्ण बाधा है।
- विश्वास और सुरक्षा संबंधी चिंताएँ: धोखाधड़ी का डर और डिजिटल प्रणाली में विश्वास की कमी (खासकर ग्रामीण लोगों के बीच) बनी हुई है।
- वित्त वर्ष 2020-21 में डिजिटल लेन-देन धोखाधड़ी के 2,545 मामले सामने आए, जिससे इसमें लोगों का विश्वास कम हुआ।
- भाषा संबंधी बाधाएँ: अधिकांश डिजिटल भुगतान इंटरफेस अंग्रेज़ी में हैं, जिससे ग्रामीण उपयोगकर्त्ताओं को कठिनाई होती है।
- UPI कई भारतीय भाषाओं का समर्थन करता है लेकिन कई अन्य डिजिटल भुगतान प्लेटफॉर्म अभी भी मुख्य रूप से अंग्रेज़ी में हैं।
ग्रामीण भारत में डिजिटल वित्तीय सेवाओं के विस्तार से संबंधित अवसर:
- तकनीकी नवाचार: ऑफलाइन UPI, वॉयस-आधारित भुगतान और फीचर फोन-आधारित सेवाओं जैसे नवाचार ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल वित्तीय सेवाओं को अपनाने में वृद्धि हो सकती है।
- NPCI द्वारा UPI123Pay का लॉन्च इस दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
- वित्तीय साक्षरता अभियान: लक्षित अभियान ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल वित्तीय सेवाओं के बारे में जागरूकता बढ़ा सकते हैं।
- RBI का वित्तीय साक्षरता केंद्र (FLC), इस दिशा में एक अच्छा कदम है।
- कृषि-तकनीक वित्तीय एकीकरण: कृषि-तकनीक प्लेटफॉर्म के साथ डिजिटल वित्तीय सेवाओं को एकीकृत करने से ग्रामीण किसानों के लिये एक व्यापक पारिस्थितिकी तंत्र बनाया जा सकता है।
- इसमें मौसम-आधारित फसल बीमा, आपूर्ति शृंखला वित्तपोषण और एकीकृत भुगतान समाधानों के साथ बाज़ार लिंकेज प्लेटफॉर्म जैसी सुविधाएँ शामिल हो सकती हैं।
- इस तरह के एकीकरण से किसानों की ऋण, जोखिम प्रबंधन उपकरण और बाज़ार के अवसरों तक पहुँच में सुधार हो सकता है।
- सहयोगी बैंकिंग मॉडल: पारंपरिक बैंकों, फिनटेक कंपनियों और डाकघरों या सहकारी समितियों जैसे स्थानीय संस्थानों के बीच साझेदारी को प्रोत्साहित करके डिजिटल वित्तीय सेवाओं की पहुँच को बढ़ाया जा सकता है।
- इस सहयोग से नए डिजिटल उत्पादों को प्रस्तुत करने के क्रम में मौजूदा ग्रामीण नेटवर्क और विश्वास संबंधों का लाभ उठाया जा सकता है।
निष्कर्ष:
डिजिटल विभाजन को कम करके, वित्तीय साक्षरता को बढ़ाकर और डिजिटल अवसंरचना को सुदृढ़ बनाकर, भारत डिजिटल भुगतान की पूरी क्षमता का दोहन कर सकता है, जिससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा, गरीबी कम होगी तथा लाखों लोगों को नकदी आधारित अर्थव्यवस्था से कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था एवं उसके बाद नकदी रहित अर्थव्यवस्था में परिवर्तित होने में सहायता मिलेगी।
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