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ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOFs) के कारणों पर चर्चा कीजिये। GLOFs से संबंधित जोखिमों को कम करने हेतु क्या उपाय किये जा सकते हैं? (250 शब्द)

    05 Aug, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल

    उत्तर :

    हल हरने का दृष्टिकोण:

    • GLOFs को परिभाषित करके उत्तर प्रस्तुत कीजिये।
    • हिमालय में GLOF के कारण बताइये।
    • शमन उपायों पर प्रकाश डालिये।
    • सकारात्मक निष्कर्ष निकालिये।

    परिचय:

    ग्लेशियल झील विस्फोट बाढ़ (Glacial Lake Outburst Floods - GLOFs) तब होती है जब एक ग्लेशियल झील अचानक भारी मात्रा में पानी छोड़ती है, जो अक्सर किसी प्राकृतिक बाँध या अन्य अवरोधक संरचना की विफलता के कारण होता है।

    • ये घटनाएँ विनाशकारी बाढ़ ला सकती हैं, जो भारी मात्रा में पानी, तलछट और मलबे को तेज़ गति से नीचे की ओर ले जाती हैं।
    • हाल के वर्षों में हिमालय में GLOF की आवृत्ति और तीव्रता में वृद्धि हुई है, जिसका मुख्य कारण जलवायु परिवर्तन तथा नाज़ुक पर्वतीय पारिस्थितिकी तंत्र पर इसके व्यापक प्रभाव हैं।

    मुख्य भाग:

    हिमालय में GLOFs के कारण:

    • जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग: जलवायु परिवर्तन के कारण हिमालय में हिमनदों के पिघलने की गति बढ़ रही है, जिसके कारण हिमनद झीलों का निर्माण और विस्तार तेज़ी से हो रहा है।
      • बढ़ते तापमान या अनियमित वर्षा के कारण बर्फ अभूतपूर्व दर से पिघलती है, जिससे इन झीलों में पानी की मात्रा बढ़ जाती है।
      • इसका एक प्रमुख उदाहरण उत्तरी सिक्किम में जून 2023 का GLOF है।
    • बादल फटना: तीव्र वर्षा की घटनाएँ, जिन्हें अक्सर बादल फटने के रूप में संदर्भित किया जाता है, हिमनद झीलों में जल स्तर को तेज़ी से बढ़ा सकती हैं, जिससे अस्थिरता पैदा हो सकती है और हिमोढ़ बाँधों में संभावित दरारें पड़ सकती हैं।
      • इसका प्रमुख उदाहरण उत्तरी सिक्किम में जून 2023 GLOF है।
    • भूकंपीय गतिविधि: हिमालयी क्षेत्र की उच्च भूकंपीय गतिविधियाँ हिमनद झील की स्थिरता के लिये निरंतर खतरा बनी रहती हैं।
      • भूकंप प्राकृतिक बाँधों को नुकसान पहुँचा सकते हैं, झीलों में भूस्खलन को बढ़ावा दे सकते हैं या हिमनद संरचनाओं में अचानक बदलाव ला सकते हैं।
      • उदाहरण के लिये, वर्ष 2015 में नेपाल में आए भूकंप ने पूरे क्षेत्र में कई हिमनद झीलों में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन किये, जिसके बाद GLOF जोखिम काफी हद तक बढ़ गया।
    • हिमस्खलन और भूस्खलन: पर्वतीय भूभाग के कारण हिमालय में हिमस्खलन और भूस्खलन की संभावना बनी रहती है, जिसका ग्लेशियल झीलों पर विनाशकारी प्रभाव पड़ सकता है।
      • इन घटनाओं के कारण अचानक पानी का विस्थापन हो सकता है या रोकथाम संरचनाओं में दरार आ सकती है।
      • इसका एक दुखद उदाहरण वर्ष 2021 में उत्तराखंड के चमोली ज़िले में हुआ, जहाँ भूस्खलन के कारण विनाशकारी GLOF हुआ।
    • कमज़ोर हिमोढ़ बाँध: अनेक हिमालयी हिमनद झीलें प्राकृतिक हिमोढ़ बाँधों द्वारा नियंत्रित होती हैं, जो ढीले हिमनद मलबे से निर्मित होते हैं।
      • ये संरचनाएँ अक्सर स्वाभाविक रूप से कमज़ोर होती हैं और टूटने की संभावना अधिक होती है, खासकर तब जब उन पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है।
      • नेपाल में वर्ष 1985 में हुआ डिग त्सो GLOF इसका एक बेहतरीन उदाहरण है, जहाँ एक कमज़ोर मोरेन बाँध के टूटने से विनाशकारी बाढ़ आई थी।

    शमन के उपाय:

    • पूर्व चेतावनी प्रणालियाँ (EWS): GLOF जोखिम न्यूनीकरण के लिये सिंथेटिक-एपर्चर रडार इमेजरी जैसे अच्छी तरह से संरचित पूर्व चेतावनी प्रणालियों को लागू करना महत्त्वपूर्ण है।
      • इन प्रणालियों में हिमनद झीलों की वास्तविक समय निगरानी, ​​स्वचालित चेतावनी तंत्र और समुदाय आधारित चेतावनी नेटवर्क शामिल हैं।
    • नियंत्रित झील जल निकासी: नियंत्रित जल निकासी के माध्यम से हिमनद झील के जल स्तर के सक्रिय प्रबंधन से GLOF जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
      • इसमें झील के जलस्तर को धीरे-धीरे कम करके सुरक्षित स्तर तक लाने के लिये सावधानीपूर्वक योजनाबद्ध इंजीनियरिंग हस्तक्षेप शामिल है।
    • बुनियादी ढाँचे का सुदृढ़ीकरण: मौजूदा मानव निर्मित बाँधों को मज़बूत करना और निर्माण गतिविधि के लिये समान संहिताओं के माध्यम से सुरक्षात्मक संरचनाओं का निर्माण करना तथा जलविद्युत विकास को संतुलित करना, GLOF के खिलाफ लचीलापन बढ़ा सकता है।
      • इसमें हिमोढ़ बाँधों को सुदृढ़ बनाना,रिसाव मार्ग का निर्माण करना तथा बाढ़ सुरक्षा अवरोधों का निर्माण करना जैसी तकनीकें शामिल हैं।
    • समुदाय-आधारित आपदा तैयारी: GLOF की तैयारी के लिये स्थानीय समुदायों को ज्ञान और कौशल से सशक्त बनाना आवश्यक है।
      • इसमें नियमित अभ्यास आयोजित करना, निकासी योजनाएँ बनाना और समुदाय-नेतृत्व वाली निगरानी प्रणालियाँ स्थापित करना शामिल है।
    • सीमापारीय सहयोग: अनेक हिमालयी हिमनद प्रणालियों की सीमा पार प्रकृति को देखते हुए, प्रभावी GLOF प्रबंधन के लिये अंतर्राष्ट्रीय सहयोग अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
      • इसमें डेटा साझा करना, निगरानी प्रयासों का समन्वय करना तथा संयुक्त रूप से शमन रणनीति विकसित करना शामिल है।

    निष्कर्ष:

    हिमालय में ग्लेशियल झील के फटने से होने वाली बाढ़ के खतरे से निपटने के लिये तत्काल और व्यापक कार्रवाई की आवश्यकता है। दीर्घकालिक शमन के लिये निरंतर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, निरंतर अनुसंधान और व्यापक जलवायु अनुकूलन योजनाओं में GLOF प्रबंधन को एकीकृत करने की आवश्यकता है।

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