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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    तेज़ी से शहरीकरण की ओर बढ़ रहे शहर में पुलिस अधीक्षक (SP) के रूप में आपको बुनियादी ढाँचे से जुड़ी चुनौतियों से निपटना होगा। शहर की जल निकासी व्यवस्था भीषण मानसून के कारण चरमरा गई है, जिसके परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर जलभराव हो गया है। राहत प्रयासों का समन्वय करते समय, आपको एक पॉश इलाके में एक ऊँची इमारत के बेसमेंट में एक जिम के बारे में एक आपातकालीन संकट कॉल प्राप्त होती है।

    भारी बारिश और अपर्याप्त जल प्रबंधन के कारण जिम के दरवाज़े से पानी घुस गया तथा बेसमेंट में पानी भर गया है। रिपोर्ट के अनुसार कई लोग अंदर फँसे हुए हैं। इमारत के निवासियों में दहशत तथा बाहर बढ़ती भीड़ के कारण स्थिति और भी गंभीर हो गई है। बचाव अभियान चलाने, संपत्ति को अधिक नुकसान से बचाने और सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है। SP के रूप में आपको बचाव प्रयासों का कुशलतापूर्वक समन्वय, स्थिति का आकलन करना तथा जलभराव के प्रभाव को कम करने के उपायों को लागू करना चाहिये।

    1. इस स्थिति में कौन-कौन से हितधारक शामिल हैं?
    2. बचाव कार्यों को प्रबंधित करने और सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये आपकी तत्काल कार्रवाई क्या होगी?
    3. भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिये कौन-से दीर्घकालिक उपाय लागू किये जा सकते हैं?

    02 Aug, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़

    उत्तर :

    परिचय:

    तेज़ी से शहरीकरण हो रहे शहर में पुलिस अधीक्षक (SP) को तीव्र मानसूनी बारिश के कारण गंभीर स्थिति का सामना करना पड़ रहा है, जिससे शहर की जल निकासी व्यवस्था प्रभावित हो गई है और जलभराव हो गया है।

    • एक आपातकालीन कॉल द्वारा सूचित किया गया है कि एक भवन का बेसमेंट, जिसमें जिम स्थित है, पानी जिसके कारण कई लोग अंदर फँस गए हैं।
    • पुलिस अधीक्षक को बचाव कार्यों का शीघ्रता से समन्वय करना चाहिये, भययुक्त भीड़ को प्रबंधित तथा सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये जलभराव के प्रभाव को कम करने के उपायों को लागू करना चाहिये।

    मुख्य बिंदु:

    1. इस स्थिति में कौन-कौन से हितधारक शामिल हैं?

    हितधारक

    भूमिका और ज़िम्मेदारी

    पुलिस अधीक्षक (SP)

    बचाव कार्यों का समग्र समन्वय, सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करना तथा कानून एवं व्यवस्था का प्रबंधन करना।

    स्थानीय पुलिस बल

    बचाव कार्यों में सहायता, भीड़ पर नियंत्रण तथा निवासियों और आस-पास खड़े लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना।

    अग्नि एवं बचाव सेवाएँ 

    बाढ़ग्रस्त जिम और भवन में फँसे व्यक्तियों को निकालने के लिये बचाव अभियान चलाया जा रहा है।

    नगर निगम

    जल निकासी प्रणाली की विफलता का समाधान करना, जल निकासी के लिये उपकरण और कार्मिक उपलब्ध कराना तथा अन्य विभागों के साथ समन्वय स्थापित करना।

    स्वास्थ्य और आपातकालीन चिकित्सा सेवाएँ

    बचाए गए व्यक्तियों को चिकित्सा सहायता तथा स्थिति से उत्पन्न होने वाली किसी भी चिकित्सा आपात स्थिति के लिये तैयारी सुनिश्चित करना।

    भवन के निवासी

    बचाव कार्यों में सहयोग करना, अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करना तथा फँसे हुए व्यक्तियों की पहचान करने में सहायता करना।

    जिम स्टाफ और सदस्य

    जिम में फंँसे हुए व्यक्तियों की संख्या और उनके स्थान के बारे में जानकारी प्रदान करना।

    लोक निर्माण विभाग 

    भवन की संरचनात्मक अखंडता का आकलन करना, विशेष रूप से बेसमेंट का, तथा आगे की क्षति को रोकने के लिये मरम्मत और सुदृढ़ीकरण प्रयासों में सहायता करना।

    स्थानीय सरकारी अधिकारी

    प्रशासनिक सहायता प्रदान करना, संसाधन जुटाना तथा विभिन्न एजेंसियों के बीच प्रभावी संचार सुनिश्चित करना।

    मीडिया 

    जनता तक सटीक जानकारी पहुँचाना, भय से रोकने में मदद करना तथा बचाव कार्यों और सुरक्षा उपायों के बारे में जनता को अद्यतन जानकारी प्रदान करना।

    नागरिक सुरक्षा और स्वयंसेवी संगठन

    बचाव कार्यों में सहायता करना, अतिरिक्त जनशक्ति और संसाधन उपलब्ध कराना तथा राहत प्रयासों में सहयोग करना।

    भवन प्रबंधन और सुरक्षा

    निकासी प्रक्रियाओं में सहायता करना, यह सुनिश्चित करना कि निवासी सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करें तथा भवन लेआउट और प्रवेश बिंदुओं के बारे में जानकारी प्रदान करना।

    2. बचाव कार्यों के प्रबंधन और सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये आपकी त्वरित कार्रवाई क्या होगी?

    • स्थिति का आकलन और संसाधनों को जुटाना
      • त्वरित मूल्यांकन: स्थिति का सटीक मूल्यांकन करने के लिये त्वरित प्रतिक्रिया टीम को स्थान पर ले जाना।
        • टीम को फँसे हुए व्यक्तियों की संख्या, पानी की गहराई, भवन की संरचनात्मक स्थिरता और बेसमेंट तक समग्र पहुँच की पहचान करनी चाहिये।
      • संसाधन आवंटन: इसके साथ ही, ज़िला मजिस्ट्रेट के समन्वय से ज़िला आपदा प्रबंधन योजना को सक्रिय बनाना
        • अग्निशमन दल, आपदा प्रतिक्रिया बल और डाइविंग गियर तथा जीवन रक्षक उपकरणों से सुसज्जित विशेष बचाव दल को तैनात करना।
        • साइट पर उच्च क्षमता वाले सबमर्सिबल पंप, आपातकालीन लाइट और अन्य जल निकासी उपकरण तैनात करने के लिये नगर निगम के अधिकारियों के साथ समन्वय करना।
      • समन्वय: बचाव प्रयासों, संचार और संसाधन प्रबंधन में समन्वय के लिये घटना स्थल के निकट एक एकीकृत कमांड सेंटर स्थापित करना।
      • संचार: अग्निशमन विभाग, आपदा प्रतिक्रिया बल, चिकित्सा दल और भवन प्रबंधन सहित सभी संबंधित एजेंसियों के साथ स्पष्ट संचार चैनल स्थापित करना।
      • सार्वजनिक सूचना: घबराहट और भ्रमित सूचना को रोकने के लिये जनता को सटीक एवं समय पर जानकारी प्रसारित करना।
        • प्रभावी संचार के लिये सोशल मीडिया, स्थानीय मीडिया और सार्वजनिक संबोधन प्रणालियों का उपयोग करना।
    • बचाव कार्य और भीड़ प्रबंधन
      • बचाव को प्राथमिकता देना: प्राथमिक उद्देश्य फँसे हुए व्यक्तियों को बचाना है। बचाव दलों द्वारा तत्काल खतरे में पड़े लोगों को प्राथमिकता देनी चाहिये और सभी को निकालने के लिये व्यवस्थित रूप से कार्य करना चाहिये।
        • विद्युत के जोखिम को रोकने के लिये बाढ़ वाले क्षेत्रों में विद्युत की आपूर्ति में कटौती करने के लिये विद्युत प्रदाताओं के साथ संपर्क करना।
        • यदि सुरक्षित हो, तो बेसमेंट से सीधे पानी बाहर निकालने का प्रयास करना और साथ ही प्रवेश बिंदुओं को तोड़ने का कार्य करना।
        • यदि मुख्य द्वार तक पहुँचना संभव न हो तो खिड़कियों या दीवारों में छेद बनाने जैसे वैकल्पिक प्रवेश बिंदुओं पर विचार करें।
          • संभावित पतन को रोकने के लिये भवन की संरचनात्मक अखंडता का मूल्यांकन करना।
      • भीड़ नियंत्रण: भवन के बाहर भीड़ को प्रबंधित करने के लिये पर्याप्त पुलिस कर्मियों की तैनाती करना।
        • सुरक्षित दूरी बनाए रखने और बचाव कार्यों में व्यवधान को रोकने के लिये बैरिकेड्स स्थापित करना।
      • चिकित्सा सहायता: बचाए गए व्यक्तियों को तत्काल चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिये चिकित्सा टीमों की उपस्थिति सुनिश्चित करना।
        • संभावित भर्ती की तैयारी के लिये निकटवर्ती अस्पतालों के साथ समन्वय करना।
    • बचाव-पश्चात कार्य:
      • परिसर की गहन तलाशी: जब बचाव कार्य पूरा हो जाए, तो यह सुनिश्चित करने के लिये परिसर की गहन तलाशी शुरू करना कि कोई भी व्यक्ति छूट न गया हो।
        • परिसर को सुरक्षित करने तथा लूटपाट या अनधिकृत प्रवेश को रोकने के लिये भवन प्रबंधन और संबंधित प्राधिकारियों के साथ समन्वय स्थापित करें।
      • कानूनी और प्रशासनिक कार्रवाई: घटना का विस्तृत दस्तावेज़ीकरण करना, जिसमें फोटोग्राफ, गवाहों के बयान और क्षति का आकलन शामिल हो।
        • भवन प्रबंधन और स्थानीय प्राधिकारियों के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही शुरू करना।

    3. भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिये कौन-से दीर्घकालिक उपाय लागू किये जा सकते हैं?

    • विनियामक ढाँचे में वृद्धि: ज़िला विकास प्राधिकरण के साथ समन्वय स्थापित करना या भवन उपनियमों को संशोधित करना जैसे:
      • बेसमेंट प्रवेश द्वारों के लिये स्वचालित बाढ़ अवरोधक प्रणालियाँ।
      • बेसमेंट में उन्नत विद्युत प्रणालियाँ ( बाढ़ स्तर से कम-से-कम 1 मीटर)
      • जल निकासी प्रणालियों में नॉन-रिटर्न वाल्व की अनिवार्य स्थापना
    • NOC और अनुपालन तंत्र: भवन अनुपालन की वास्तविक समय निगरानी के लिये एकल खिड़की डिजिटल NOC ट्रैकिंग प्रणाली को लागू करने के लिये संबंधित अधिकारियों को सुझाव देना।
      • जोखिम क्षेत्रों के आधार पर स्तरीकृत NOC प्रणाली लागू करना:
        • टियर 1 (उच्च जोखिम): त्रैमासिक निरीक्षण के साथ वार्षिक नवीनीकरण
        • टियर 2 (मध्यम जोखिम): अर्द्ध-वार्षिक निरीक्षण के साथ द्वि-वार्षिक नवीनीकरण
        • टियर 3 (कम जोखिम): वार्षिक निरीक्षण के साथ त्रैवार्षिक नवीनीकरण
    • निकास अवसंरचना उन्नयन: बेसमेंट में बाढ़ प्रतिरोधी निकास द्वारों की स्थापना अनिवार्य करना।
      • भवनों में बेसमेंट से कम-से-कम दो स्वतंत्र निकास मार्ग होना अनिवार्य करना।
    • आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रोटोकॉल: बाढ़ की आपात स्थितियों के लिये शहर-व्यापी घटना कमांड प्रणाली (आई.सी.एस.) विकसित करना।
      • विभिन्न विभागों से वास्तविक समय डेटा एकीकरण के साथ एक केंद्रीकृत आपातकालीन परिचालन केंद्र बनाएँ।
    • बिल्डिंग इंफॉर्मेशन मॉडलिंग (BIM): बाढ़ प्रतिरोधक विशेषताओं को एकीकृत करते हुए, एक निश्चित आकार से ऊपर के सभी नए निर्माणों के लिये BIM को अनिवार्य करना।
    • प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण: विभिन्न बाढ़ परिदृश्यों के लिये नियमित टेबलटॉप अभ्यास और मॉक ड्रिल आयोजित करना।
      • त्वरित जल बचाव तकनीकों पर पहले उत्तरदाताओं के लिये विशेष प्रशिक्षण प्रदान करना।
    • नियमित ऑडिट और रखरखाव: मौजूदा जल निकासी बुनियादी ढाँचे का आवधिक ऑडिट करना।
      • विशेष रूप से मानसून के मौसम से पहले, तूफानी नालों की सफाई और रखरखाव के लिये एक कठोर कार्यक्रम लागू करना।

    निष्कर्ष:

    इस महत्त्वपूर्ण घटना से प्राप्त ज्ञान के आधार पर, शहर को भविष्य में बाढ़ के प्रति अपने दृष्टिकोण को बदलने की आवश्यकता है। यह रणनीति समुदाय की भागीदारी को शहरी नियोजन के साथ जोड़ेगी ताकि वर्तमान कमज़ोरियों को नवाचार के अवसरों में बदला जा सके। शहरी बाढ़ प्रबंधन में नए मानक स्थापित करते हुए, शहर बेहतर तत्परता की संस्कृति को बढ़ावा देकर ऐसा कर सकता है।

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