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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    आपके नेतृत्व में एक राज्य फुटबॉल टीम राष्ट्रीय कप फाइनल के लिये तैयार हो रही है। आप देखते हैं कि आपकी टीम का शीर्ष स्ट्राइकर, जो टीम की रणनीति और मनोबल के लिये महत्त्वपूर्ण है, चैंपियनशिप गेम से दो दिन पहले प्रदर्शन-बढ़ाने वाली दवाओं का उपयोग करते हुए पाया जाता है। इस दवा का पता वर्तमान परीक्षण विधियों द्वारा नहीं लगाया जा सकता है। जब इस बात का पता आपको चलता है, तो वह आपसे बहुत माफी मांगता है तथा विनती करता है कि आप उसकी शिकायत न करें क्योंकि ऐसा करने से उसका कॅरियर बर्बाद हो जाएगा और शायद टीम को अपने सभी टूर्नामेंट जीतने से हाथ धोना पड़ सकता है।

    जब आप इस रहस्योद्घाटन से जूझते हैं, तो आपको अपने निर्णय की गंभीरता का एहसास होता है। उसके खेलने से खेल की अखंडता और आपकी व्यक्तिगत नैतिकता प्रभावित होती है, उसके विरुद्ध रिपोर्ट करना आपके देश को उसके पहले राष्ट्रीय कप खिताब से वंचित कर सकता है। प्रशंसकों की उम्मीदें इस मैच पर टिकी हुई हैं और जीतने का आर्थिक प्रभाव आपके राज्य के लिये महत्त्वपूर्ण होगा। आपके द्वारा लिये गए निर्णय का प्रभाव खिलाड़ी और टीम पर पड़ेगा, आपको यह जल्द ही तय करना चाहिये कि उसे खेलना है, कहानी गढ़ते हुए उसे नही खिलाना है या नियमों के उल्लंघन की रिपोर्ट पुलिस को करनी है।

    1. इस स्थिति में नैतिक दुविधाएँ क्या हैं?
    2. मुख्य कोच के रूप में आपकी त्वरित कार्रवाई क्या होगी और क्यों?
    3. भविष्य में इस तरह की स्थितियों से निपटने के लिये खेलों में प्रदर्शन-बढ़ाने वाली दवाओं के उपयोग की निगरानी और रोकथाम की वर्तमान प्रणाली को कैसे बेहतर बनाया जा सकता है?

    26 Jul, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़

    उत्तर :

    परिचय:

    यह केस स्टडी एक राष्ट्रीय चैंपियनशिप के कगार पर खड़े एक फुटबॉल कोच के सामने आने वाली नैतिक दुविधा को प्रस्तुत करती है।

    • अपने स्टार खिलाड़ी के प्रदर्शन को बढ़ाने वाली दवाओं के अघोषित उपयोग का पता चलने पर कोच को दूरगामी परिणामों वाले एक महत्त्वपूर्ण निर्णय लेने के लिये मजबूर होना पड़ता है। 
    • खेल की अखंडता को बनाए रखने और जीत की तलाश करने के बीच का चुनाव प्रतिस्पर्द्धी एथलेटिक्स में जटिल नैतिक चुनौतियों को उजागर करता है।

    मुख्य भाग: 

    1. इस स्थिति में नैतिक दुविधाएँ क्या हैं?

    • ईमानदारी बनाम सफलता: मुख्य दुविधा यह है कि क्या राष्ट्रीय कप जीतने की संभावित सफलता और लाभ की तुलना में खेल की ईमानदारी तथा व्यक्तिगत नैतिकता को प्राथमिकता दी जाए।
    • उपयोगितावाद बनाम कर्त्तव्य-नैतिकता: दुविधा इस बात पर केंद्रित है कि अधिकतम लोगों के लिये अधिकतम कल्याण के आधार पर निर्णय लिया जाए (उपयोगितावादी दृष्टिकोण) या पूर्ण नैतिक सिद्धांतों के आधार पर निर्णय लिया जाए (कर्त्तव्य-नैतिकता दृष्टिकोण)।
    • अल्पकालिक बनाम दीर्घकालिक परिणाम: इस निर्णय में खेल की विश्वसनीयता और कोच की व्यक्तिगत प्रतिष्ठा के लिये दीर्घकालिक प्रभावों के विरुद्ध तात्कालिक लाभ (कप जीतना) का मूल्यांकन करना शामिल है।
    • सत्य बनाम धोखा: स्ट्राइकर को खेलने देना या कहानी गढ़ते हुए उसे नहीं खिलाना है, अधिकारियों, प्रशंसकों एवं संभवतः टीम के सदस्यों को धोखा देने जैसा है।
    • कानून का नियम बनाम परिस्थितिजन्य नैतिकता: खेल के नियमों का सख्ती से पालन करने और इस स्थिति की विशिष्ट परिस्थितियों पर विचार करने के बीच तनाव है।
    • दण्ड बनाम प्रायश्चित: यह प्रश्न उठता है कि क्या खिलाड़ी को प्रायश्चित करने का अवसर मिलना चाहिये या उसे अपने कार्यों के परिणाम भुगतने चाहिये।

    2. मुख्य कोच के रूप में आपकी त्वरित कार्यवाही क्या होगी और क्यों?

    इस परिदृश्य में मुख्य कोच के रूप में, मैं इस जटिल नैतिक दुविधा को विकल्पों और उनके परिणामों के गहन विश्लेषण के साथ देखूंगा।

    • स्ट्राइकर खेलें:
      • लाभ:
        • टीम का मनोबल और रणनीतिक सामंजस्य बनाए रखता है
        • नेशनल कप जीतने की संभावना बढ़ाता है
        • राज्य को आर्थिक लाभ पहुँचाता है
        • प्रशंसकों की उम्मीदों और समर्थन को संतुष्ट करता है
      • हानि:
        • व्यक्तिगत और पेशेवर ईमानदारी से समझौता करता है
        • निष्पक्ष खेल और खेल भावना का उल्लंघन करता है
        • यदि नशीली दवाओं के उपयोग का पता चलता है तो भविष्य में गंभीर परिणाम भुगतने का जोखिम है
        • नशीली दवाओं के उपयोग के संबंध में अन्य खिलाड़ियों के लिये एक उदाहरण कायम करता है
    • एक कवर स्टोरी या गढ़ी हुई कहानी के साथ स्ट्राइकर:
      • लाभ:
        • पूर्ण प्रकटीकरण के बिना अखंडता के स्तर को बनाए रखता है
        • तत्काल घोटाले से बचाता है और खिलाड़ी के कॅरियर की रक्षा करता है
        • टीम को समझौता किये गए खिलाड़ी के बिना प्रतिस्पर्द्धा करने की अनुमति देता है
      • हानि:
        • टीम की जीत की संभावना कम हो जाती है
        • अटकलें और अफवाहों की संभावना उत्पन्न होती है
        • कोच को धोखेबाज़ी और कदाचार को छिपाने की स्थिति में डाल देता है
    • उल्लंघन की रिपोर्ट प्राधिकारियों को करें:
      • लाभ:
        • खेल की अखंडता को बनाए रखता है
        • टीम और खेल के लिये एक स्पष्ट नैतिक मानक निर्धारित करता है
        • संभावित रूप से भविष्य में अन्य खिलाड़ियों द्वारा नशीली दवाओं के उपयोग को रोकता है
      • हानि:
        • इससे टीम को अयोग्य घोषित किया जा सकता है और पिछली जीतों को खोया जा सकता है
        • खिलाड़ी का कॅरियर समाप्त हो सकता है
        • प्रशंसकों को निराशा होगी और राज्य की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा
        • ऐसा घोटाला हो सकता है जो टूर्नामेंट को प्रभावित कर सकता है

    सावधानीपूर्वक विचार करने के बाद, मेरी तत्काल कार्रवाई यह होगी कि स्ट्राइकर को एक कवर स्टोरी के साथ सज़ा  दी जाए, साथ ही उचित प्राधिकारियों के समक्ष एक गोपनीय रिपोर्ट भी दाखिल की जाए।

    • खिलाड़ी को खेल से बाहर रखना, जिसमें अचानक बीमारी या मामूली चोट जैसी कवर स्टोरी शामिल हो सकती है।
    • इससे उचित अधिकारियों को जाँच करने और खिलाड़ी व टीम के लिये परिणामों के बारे में सूचित निर्णय लेने का समय मिल जाता है।

    इस निर्णय का औचित्य:

    • नैतिक अखंडता: स्ट्राइकर को न खिलाकर, मैं पूरी टीम के प्रयासों को तत्काल जोखिम में डाले बिना नैतिक अखंडता की एक डिग्री बनाए रखता हूँ।
    • निष्पक्ष प्रतिस्पर्द्धा: खिलाड़ी को नहीं खिलाना यह सुनिश्चित करता है कि अंतिम मैच डोपिंग एथलीट के अनुचित लाभ के बिना खेला जाता है।
    • परिणामों को संतुलित करना: यह दृष्टिकोण दीर्घकालिक नैतिक विचारों के साथ तत्काल परिणामों (टीम की अयोग्यता) को संतुलित करने का प्रयास करता है।
    • उचित प्रक्रिया: अधिकारियों को गोपनीय रूप से रिपोर्ट करके, मैं सुनिश्चित करता हूँ कि उचित प्रक्रियाओं का पालन किया जाए और इस मुद्दे को उचित शासी निकायों द्वारा संबोधित किया जाए।
    • भविष्य की रोकथाम: इस मुद्दे को संबोधित करके, भले ही पहले सार्वजनिक रूप से न किया जाए, यह एक संदेश भेजता है कि नशीली दवाओं के उपयोग को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, जो संभावित रूप से भविष्य की घटनाओं को रोक सकता है।

    3. भविष्य में इस तरह की स्थितियों से निपटने के लिये खेलों में प्रदर्शन-बढ़ाने वाली दवाओं के उपयोग की निगरानी और रोकथाम की वर्तमान प्रणाली में किस प्रकार सुधार किया जा सकता है?

    निगरानी की वर्तमान प्रणाली (मूत्र के नमूने और नाखून या बाल परीक्षण) में सुधार लाने तथा खेलों में प्रदर्शन-बढ़ाने वाली दवाओं के उपयोग को रोकने हेतु बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है:

    • उन्नत परीक्षण विधियाँ: अधिक परिष्कृत जाँच तकनीक विकसित करने के लिये अनुसंधान में निवेश करना, जिससे वर्तमान में पता न लगने वाली दवाओं सहित पदार्थों की एक व्यापक श्रेणी की पहचान की जा सके।
      • अपराधियों को पकड़ने की संभावना बढ़ाने के लिये निरंतर और यादृच्छिक परीक्षण कार्यक्रम लागू करना।
    • बायोलॉजिकल पासपोर्ट सिस्टम: पासपोर्ट सिस्टम के उपयोग को विस्तारित और परिष्कृत करना, जो समय के साथ एथलीट के जैविक मार्करों पर नज़र रखता है, ताकि असामान्यताओं का पता लगाया जा सके जो डोपिंग का संकेत दे सकती हैं।
      • इस प्रणाली को बड़े खेल लीगों में अनिवार्य बनायें।
    • कठोर दंड: डोपर्स के लिये कठोर दंड लागू करना, जिसमें लंबे समय तक प्रतिबंध और वित्तीय परिणाम शामिल हों।
      • प्रशिक्षकों, चिकित्सा कर्मचारियों और अन्य लोगों पर भी दंड लागू किया जाना चाहिये जो डोपिंग को सक्षम या प्रोत्साहित करते हैं।
    • उन्नत शिक्षा और रोकथाम: एथलीटों के लिये डोपिंग रोधी शिक्षा कार्यक्रमों को बेहतर बनाना, जो छोटी उम्र से शुरू होकर उनके पूरे कॅरियर के दौरान जारी रहना चाहिये।
      • एथलीटों को डोपिंग के जोखिम और परिणामों को समझने के लिये बेहतर संसाधन उपलब्ध कराना।
    • मुखबिर (Whistleblower) संरक्षण और प्रोत्साहन: डोपिंग गतिविधियों की रिपोर्टिंग को प्रोत्साहित करने के लिये मज़बूत मुखबिर संरक्षण कार्यक्रम स्थापित करना।
      • व्यापक डोपिंग प्रथाओं के विषय में जानकारी देने वाले एथलीटों के लिये कम दंड का प्रस्ताव करना।
    • मूल कारणों पर ध्यान देना: खेलों में उस संस्कृति को बदलने के लिये कार्य करना जो अक्सर हर कीमत पर जीतने को प्राथमिकता देती है।
      • उचित मुआवज़ा और सहायता प्रणाली सुनिश्चित करके उन आर्थिक दबावों का समाधान करना जो एथलीटों को डोपिंग की ओर धकेल सकते हैं।
      • एथलीटों को मानसिक स्वास्थ्य संसाधन उपलब्ध कराना ताकि वे अंतर्निहित समस्याओं जैसे दबाव, दुश्चिंता या अवसाद का समाधान कर सकें जो डोपिंग का कारण बन सकती हैं।
    • स्वतंत्र निरीक्षण: खेल संगठनों के साथ हितों के टकराव से बचने के लिये वास्तविक रूप से स्वतंत्र एंटी-डोपिंग निकायों की स्थापना करना।
      • परीक्षण और मंज़ूरी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता बढ़ाना।

    निष्कर्ष:

    खेल की अखंडता को बनाए रखने का निर्णय सर्वोपरि है, भले ही तत्काल सफलता की कीमत पर ऐसा करना पड़े। खिलाड़ी को नहीं खिलाना एक कठिन विकल्प है, लेकिन यह निष्पक्ष खेल को प्राथमिकता देता है। ऐसी दुविधाओं को रोकने के लिये, खेलों को मज़बूत, स्वतंत्र एंटी-डोपिंग एजेंसियों, उन्नत पहचान विधियों और नैतिक खेल भावना की मज़बूत संस्कृति की आवश्यकता है।

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