द्वितीय विश्व युद्ध के प्रति कांग्रेस के रवैये का वर्णन कीजिये क्रिप्स मिशन पर विचार करते हुए उसके नतीजे का विवेचन करें।
उत्तर :
उत्तर कि रूपरेखा:
- द्वितीय विश्व युद्ध के प्रति कांग्रेस का मत लिखें।
- क्रिप्स मिशन के बारे में लिखें।
- परिणामों की चर्चा करते हुए निष्कर्ष लिखें।
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द्वितीय विश्व युद्ध के प्रति कांग्रेस का रवैया गांधी-नेहरू के विचारों तथा प्रथम विश्वयुद्ध के बाद मिली सीख का परिणाम था। इसे निम्न रूप में देखा जा सकता है:
- कांग्रेस का मानना था कि मित्र राष्ट्रों का पक्ष, निरंकुश फासीवादी राष्ट्रों की तुलना में ज्यादा उचित है। अतः वे मित्र राष्ट्रों के समर्थक थे। यद्यपि उन्हें यह भी विश्वास था कि मित्र राष्ट्र भी साम्राज्यवादी हितों से प्रभावित है।
- उनका यह मानना भी था कि एक गुलाम राष्ट्र होने के कारण भारत उनकी मदद करने में सक्षम नहीं है। अतः आजादी प्रदान किये जाने के बाद ही भारत द्वितीय विश्व युद्ध में मित्र राष्ट्र की मदद कर पाएगा।
इसी क्रम में दक्षिण पूर्व एशिया में करारी हार, जापान के बढ़ते प्रभाव तथा अन्य राष्ट्रों के दबाव के कारण ब्रिटिश सरकार को कांग्रेस की मांग पर विचार करना आवश्यक हो गया। इसके लिये उन्होंने क्रिप्स मिशन की नियुक्ति की।
क्रिप्स मिशन के प्रावधान:
- भारत को डोमिनियन राज्य का दर्जा़ दिया जाएगा तथा यह राष्ट्रमंडल के साथ अपने संबंधों के निर्धारण में स्वतंत्र होगा।
- युद्ध की समाप्ति के बाद देशी रियासतों के प्रतिनिधियों तथा निर्वाचित विधायिका के सदस्यों के द्वारा एक संविधान निर्मात्री सभा का गठन किया जाएगा।
- जो प्रांत इस सभा द्वारा निर्मित संविधान को नहीं मानेंगे, उन्हें अलग होने का अधिकार होगा।
- नई व्यवस्था के लागू होने तक भारत के सुरक्षा संबंधी दायित्व का निर्वहन ब्रिटेन करेगा तथा गवर्नर जनरल की शक्तियाँ पूर्ववत् बनी रहेंगी।
क्रिप्स मिशन के परिणाम
- पूर्ण स्वतंत्रता से इंकार किये जाने के कारण, देशी रियासतों के लिये मनोनयन की व्यवस्था तथा राज्यों को पृथक होने का अधिकार होने दिये जाने के कारण कांग्रेस ने इसे अस्वीकार कर दिया। गांधीजी ने इसे ‘आगे की तारीख का चेक’ कह कर इसका विरोध किया।
- राज की बैठक हो जाने के अधिकार के कारण उदारवादियों, हिंदू महासभा तथा सिक्खों के द्वारा भी इसका विरोध किया गया।
- वही पृथक पाकिस्तान का प्रावधान नहीं होने के कारण मुस्लिम लीग ने इसका विरोध किया। इससे भारत में सांप्रदायिक रुझान की वृद्धि हुई।
- संघ से पृथक होने का अधिकार दिये जाने के कारण विभिन्न राज्यों के मन में स्वतंत्र होने की लालसा बढ़ी।
- स्पष्ट है कि क्रिप्स मिशन भारतीयों की आकांक्षाओं पर खरी नहीं उतर पाई। इससे भारतीय जनता का असंतोष बढ़ा, जिसकी परिणति भारत छोड़ो आंदोलन के रूप में देखी जा सकती है।