• प्रश्न :

    "अधिकतम शासन, न्यूनतम सरकार" का सिद्धांत भारत में हाल की नीतिगत पहलों का केंद्र रहा है। इस संदर्भ में देश ने इस दृष्टिकोण को किस हद तक अपनाया है। परीक्षण कीजिये। (250 शब्द)

    23 Jul, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • "अधिकतम शासन, न्यूनतम सरकार" को परिभाषित कर उत्तर दीजिये।
    • भारत में "अधिकतम शासन, न्यूनतम सरकार" की स्थिति और प्रभावशीलता का आकलन कीजिये।
    • उचित निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    "अधिकतम शासन, न्यूनतम सरकार" का उद्देश्य रोज़मर्रा की गतिविधियों में सरकारी हस्तक्षेप को कम करना है, नागरिकों को अपने और देश के विकास को आगे बढ़ाने के लिये सशक्त बनाना है।

    • इस दृष्टिकोण में सरकारी प्रक्रियाओं को सरल बनाना, लालफीताशाही और भ्रष्टाचार को कम करना तथा ई-गवर्नेंस को बढ़ावा देना शामिल है।

    मुख्य भाग:

    ‘अधिकतम शासन, न्यूनतम सरकार’ की प्रभावशीलता:

    • डिजिटल शासन और ई-सेवाएँ: डिजिटल क्रांति ‘अधिकतम शासन, न्यूनतम सरकार’ को लागू करने में सबसे आगे रही है। वर्ष 2015 में शुरू किया गया डिजिटल इंडिया कार्यक्रम इस संबंध में महत्त्वपूर्ण रहा है।
      • प्रभावशीलता:
        • नियमित सेवाओं के लिये नागरिक-सरकार के बीच प्रत्यक्ष संपर्क में उल्लेखनीय कमी
        • सेवा वितरण में पारदर्शिता में वृद्धि और भ्रष्टाचार में कमी
        • सरकारी सेवाओं की बेहतर पहुँच, खास तौर पर दूर-दराज़ के इलाकों में
      • उदाहरण: नए युग के शासन के लिये एकीकृत मोबाइल एप्लीकेशन (UMANG), डिजिलॉकर (DigiLocker), जन धन-आधार-मोबाइल (JAM) त्रिमूर्ति का लाभ उठाते हुए प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT)।
      • मूल्यांकन: हालाँकि इन पहलों ने सेवा वितरण में प्रभावी रूप से सुधार किया है, लेकिन चुनौतियाँ बनी हुई हैं:
        • डिजिटल साक्षरता अंतराल, विशेष तौर पर ग्रामीण इलाकों और वृद्ध नागरिकों के बीच
        • दूर-दराज़ के इलाकों में बुनियादी ढाँचे की सीमाएँ
        • डेटा गोपनीयता और सुरक्षा के बारे में चिंताएँ
    • इज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस में सुधार: "न्यूनतम सरकार" का एक प्रमुख पहलू व्यवसायों के लिये विनियामक वातावरण को सरल बनाना रहा है।
      • प्रभावशीलता:
        • भारत की इज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस) व्यवसाय करने में आसानी की रैंकिंग में उल्लेखनीय सुधार (वर्ष 2014 में 142वीं से वर्ष 2019 में 63वीं रैंकिंग तक)
        • व्यवसाय शुरू करने और संचालन के लिये समय व लागत में कमी
        • प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्रवाह में वृद्धि
      • उदाहरण:
        • सिंगल विंडो क्लीयरेंस: आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जैसे राज्यों ने प्रभावी सिंगल-विंडो सिस्टम लागू किया है, जिससे व्यवसायिक मंज़ूरी के लिये महीनों-हफ्तों तक लगने वाला समय कम हो गया है।
        • श्रम संहिता सुधार: 29 श्रम कानूनों को 4 संहिताओं में समेकित करने का उद्देश्य श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करते हुए व्यवसायों के लिये अनुपालन को सरल बनाना है।
        • दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (IBC): व्यवसायों के लिये तनावग्रस्त परिसंपत्तियों और निकास तंत्र के समाधान में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
      • मूल्यांकन: हालाँकि प्रगति स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है, लेकिन चुनौतियाँ बनी हुई हैं:
        • राज्यों में कार्यान्वयन अलग-अलग है, जिसके कारण असमान परिणाम सामने आए हैं।
        • छोटे और मध्यम उद्यमों को अभी भी विनियामक आवश्यकताओं को पूरा करने में बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है।
        • अनौपचारिक क्षेत्र, जो कार्यबल के एक बड़े हिस्से को रोज़गार देता है, इन सुधारों से काफी हद तक अछूता है।
    • प्रशासनिक सुधार: सरकारी संचालन को सुव्यवस्थित करना "न्यूनतम सरकार" दृष्टिकोण के लिये महत्त्वपूर्ण रहा है।
      • प्रभावशीलता:
        • सरकारी विभागों में निर्णयात्मक स्तरों में कमी
        • नीति कार्यान्वयन में बेहतर दक्षता
        • सार्वजनिक अधिकारियों की जवाबदेही में वृद्धि
      • उदाहरण:
        • सचिवों की अधिकार प्राप्त समितियाँ: समितियों के कई स्तरों को प्रतिस्थापित किया गया, जिससे नीति निर्माण में तेज़ी आई।
        • लेटरल एंट्री/पार्श्विक प्रवेश: संयुक्त सचिव स्तर पर डोमेन विशेषज्ञों को शामिल करने से शासन में नए दृष्टिकोण और विशेषज्ञता आती है।
        • मिशन कर्मयोगी: सरकार-नागरिक संपर्क को बढ़ाना, जिसमें अधिकारी नागरिकों और व्यवसाय के लिये सक्षमकर्त्ता बनते हैं।
        • फेसलेस असेसमेंट स्कीम: कर दाता को कर कार्यालय में प्रत्यक्ष या व्यक्तिगत रूप से मूल्यांकन अधिकारी से मिलने की आवश्यकता के बिना इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से मूल्यांकन किया जाता है।
      • मूल्यांकन:
        हालाँकि इन सुधारों से आशाजनक परिणाम हुए हैं, लेकिन ये चिंताएँ अब भी हैं:
        • स्थापित प्रथाओं में बदलाव के लिये नौकरशाही का प्रतिरोध
        • निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में जाँच और संतुलन की संभावित हानि
        • अधिक व्यापक सिविल सेवा सुधारों की आवश्यकता
    • नागरिक सशक्तीकरण और भागीदारी: नागरिकों को सशक्त बनाना "अधिकतम शासन" का एक महत्त्वपूर्ण पहलू है।
      • प्रभावशीलता:
        • नीति-निर्माण और शासन में नागरिकों की भागीदारी में वृद्धि
        • सरकारी कार्यों में पारदर्शिता में वृद्धि
        • शिकायत निवारण तंत्र में सुधार
      • उदाहरण:
        • MyGov प्लेटफॉर्म: नागरिकों को विभिन्न सरकारी पहलों पर विचार और प्रतिक्रिया देने की अनुमति देता है।
        • सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम: कुछ विवादों के बावजूद, यह नागरिकों के लिये सूचना तक पहुँचने और जवाबदेही सुनिश्चित करने का एक शक्तिशाली साधन बना हुआ है।
        • केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली (CPGRAMS): ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जो लाखों नागरिक शिकायतों का समाधान करता है, सरकार की जवाबदेही में सुधार करता है।
      • मूल्यांकन: हालाँकि इन पहलों ने नागरिक सहभागिता को बढ़ाया है, लेकिन चुनौतियाँ बनी हुई हैं:
        • विभिन्न सामाजिक-आर्थिक समूहों में असमान जागरूकता और उपयोग
        • RTI अधिनियम की प्रभावशीलता के कमज़ोर पड़ने की चिंताएँ
    • विकेंद्रीकरण और स्थानीय शासन: ज़मीनी स्तर पर "अधिकतम शासन" के लिये स्थानीय निकायों को सशक्त बनाना महत्त्वपूर्ण है।
      • प्रभावशीलता:
        • विकास नियोजन में स्थानीय भागीदारी में वृद्धि
        • स्थानीय आवश्यकताओं के प्रति बेहतर प्रतिक्रिया
      • उदाहरण:
        • 15वें वित्त आयोग की संस्तुतियाँ: प्रदर्शन-संबंधी अनुदानों के साथ स्थानीय निकायों को आवंटन में वृद्धि करना।
        • पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम: स्वशासन में जनजातीय समुदायों को सशक्त बनाता है।
      • मूल्यांकन: हालाँकि प्रगति स्पष्ट रूप से हुई है, लेकिन निम्नलिखित समस्याएँ बनी हुई हैं:
        • कई स्थानीय निकायों में अभी भी पर्याप्त वित्तीय और मानव संसाधनों की कमी है।
        • स्थानीय अधिकारियों की क्षमता निर्माण एक चुनौती बनी हुई है।
        • राजनीतिक हस्तक्षेप प्रायः वास्तविक विकेंद्रीकरण में बाधा डालता है।

    निष्कर्ष:

    भारत में "न्यूनतम सरकार, अधिकतम शासन" के कार्यान्वयन ने अनावश्यक सरकारी हस्तक्षेप को कम करने और नागरिकों को सशक्त बनाने में वादा दिखाया है, लेकिन इसकी सफलता अंततः सुसंगत कार्यान्वयन, अनुकूली नीतियों और भारत के विशाल व जटिल सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य की विविध आवश्यकताओं को पूरा करके निरंतर सुधार, प्रदर्शन एवं परिवर्तन के लिये प्रतिबद्धता पर निर्भर करती है।