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प्रश्न :
भारत के महानगरों में सामाजिक संरचनाओं और शहरी विकास पर आंतरिक प्रवास के प्रभाव का मूल्यांकन कीजिये। (250 शब्द)
22 Jul, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोलउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- आंतरिक प्रवास को परिभाषित करने के साथ उससे संबंधित आंकड़ों का परिचय देते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये
- सामाजिक संरचनाओं पर आंतरिक प्रवास के प्रभाव बताइये
- शहरी विकास पर इसके प्रभावों पर प्रकाश डालिये
- उचित निष्कर्ष लिखिये।
परिचय:
देश की सीमाओं के अंदर लोगों की आवाजाही के रूप में होने वाला आंतरिक प्रवास, भारत में सामाजिक तथा शहरी रूपांतरण का एक महत्त्वपूर्ण चालक रहा है।
- इससे विशेष रूप से भारत के मेगासिटीज़ (10 मिलियन से अधिक आबादी वाले शहर) काफी प्रभावित हुए हैं।
- ISFR-2021 के अनुसार भारत में पाँच मेगासिटीज़ हैं: मुंबई, दिल्ली, कोलकाता, बंगलूरु और चेन्नई।
मुख्य भाग:
सामाजिक संरचनाओं पर प्रभाव:
- जनसांख्यिकीय बदलाव: आंतरिक प्रवास ने भारत के महानगरों की जनसांख्यिकीय संरचना को काफी प्रभावित किया है।
- प्रवासियों के आने से (मुख्य रूप से रोज़गार की तलाश में युवाओं के प्रवासन से) आयु और लिंग अनुपात में विषमता आई है।
- दिल्ली में लिंग अनुपात 868 है, जो पिछली जनगणना के अनुसार राष्ट्रीय औसत 940 से कम है। इसके लिये पुरुष-प्रधान प्रवास प्रतिरूप भी उत्तरदायी है।
- इस असंतुलन का शहरी क्षेत्रों की सामाजिक गतिशीलता एवं विवाह प्रतिरूप पर प्रभाव पड़ने के साथ अपराध दर पर भी प्रभाव पड़ता है।
- सांस्कृतिक विविधता और एकीकरण: महानगर विविध संस्कृतियों, भाषाओं और परंपराओं का मिश्रण बन गए हैं।
- उदाहरण के लिये, मुंबई में लगभग प्रत्येक भारतीय राज्य के लोग हैं, जिनमें से प्रत्येक की अपनी अद्वितीय सांस्कृतिक विशेषताएँ हैं।
- हालाँकि इससे ऐसी चुनौतियाँ भी प्रस्तुत हुई हैं, जिनके कारण कभी-कभी सांस्कृतिक संघर्ष या शहरों के भीतर भाषाई या क्षेत्रीय आधार पर वस्तियों का विकास होता है।
- परिवारिक संरचनाओं का विकास: प्रवासन से शहरी क्षेत्रों में पारंपरिक संयुक्त परिवार प्रणालियों से एकल परिवारों को प्रमुखता मिली है।
- वर्ष 2021 के अनुसार भारत में प्रति परिवार औसतन 4.44 लोग थे।
- इसके अलावा एकल परिवारों और लिव-इन रिलेशनशिप में वृद्धि (विशेष रूप से महानगरों में) हुई है, जिससे पारंपरिक सामाजिक मानदंडों को चुनौती मिल रही है।
- सामाजिक नेटवर्क और सहायता प्रणाली: प्रवासियों द्वारा अक्सर शहरी क्षेत्रों में बनाए गए नए सामाजिक नेटवर्क अक्सर क्षेत्रीय या भाषाई संबद्धता पर आधारित होते हैं।
- उदाहरण के लिये, कोलकाता में मारवाड़ी समुदाय द्वारा मज़बूत नेटवर्क स्थापित किये गए हैं जिससे यह नए प्रवासियों को सामाजिक तथा आर्थिक सहायता प्रदान करते हैं।
- हालाँकि इस शहरी प्रवासन से ग्रामीण क्षेत्रों में पारंपरिक सहायता प्रणालियों भी कमज़ोर हुई हैं तथा कई गाँवों में 'प्रतिभा पलायन' और कामकाजी उम्र के व्यक्तियों की कमी का सामना भी करना पड़ रहा है।
शहरी विकास पर प्रभाव:
- आवास संबंधी चुनौतियाँ: प्रवासन में वृद्धि होने से शहरी आवास पर बहुत अधिक दबाव पड़ा है।
- जिससे अनौपचारिक बस्तियों और झुग्गियों का प्रसार हुआ है।
- धारावी, भारत के मुंबई शहर की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती है, जहाँ केवल 2 वर्ग किलोमीटर में 1 मिलियन से अधिक लोग रहते हैं।
- बुनियादी ढाँचा के साथ सेवा वितरण पर अधिक भार: मेगासिटीज़ में बढ़ती आबादी हेतु पर्याप्त बुनियादी ढाँचा एवं सेवाएँ प्रदान करने में समस्या आती है।
- यहाँ जल एवं विद्युत की कमी के साथ अपर्याप्त स्वच्छता जैसे मुद्दे सामान्य हैं।
- आर्थिक परिदृश्य परिवर्तन: प्रवासियों ने शहरी अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण योगदान (विशेष रूप से अनौपचारिक क्षेत्र में) दिया है।
- भारत में लगभग 90% कामगार अनौपचारिक क्षेत्र में नियोजित हैं।
- ओला, उबर और स्विगी जैसे प्लेटफॉर्म के माध्यम से कई प्रवासियों को रोज़गार के अवसर मिलने के साथ गिग इकोनॅमी को बढ़ावा मिला है।
- हालाँकि इससे नौकरी की सुरक्षा और श्रमिकों के अधिकारों के बारे में चिंताओं में भी वृद्धि हुई है।
- शहरी नियोजन संबंधी चुनौतियाँ: बड़े शहरों में तीव्र और अनियोजित विकास से शहरी योजनाकारों के लिये चुनौतियाँ उत्पन्न हुई हैं।
- शहरों का अनियमित तरीके से विस्तार होने से शहरी विस्तार के साथ पर्यावरण क्षरण में वृद्धि हुई है।
- एक समय 'गार्डन सिटी' के नाम से मशहूर बंगलूरु का हरित आवरण नकारात्मक रूप से प्रभावित हुआ है।
- लोक स्वास्थ्य निहितार्थ: बड़े शहरों में घनी आबादी के साथ अपर्याप्त स्वच्छता एवं स्वास्थ्य सेवाओं से लोक स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियाँ उत्पन्न हुई हैं।
- कोविड-19 महामारी से इन मुद्दों पर अधिक ध्यान गया है।
- इसके अलावा, दिल्ली जैसे शहरों में वायु प्रदूषण एक व्यापक स्वास्थ्य चिंता बन गया है, जहाँ शहर की वायु गुणवत्ता अक्सर खतरनाक स्तर तक पहुँच जाती है।
निष्कर्ष:
भारत के महानगरों के संदर्भ में आंतरिक प्रवास एक दोधारी तलवार की तरह रहा है। इससे संबंधित चुनौतियों का समाधान करने के लिये बेहतर शहरी नियोजन एवं समावेशी नीतियों के साथ इससे संबंधित बेहतर डेटा संग्रह की आवश्यकता है। स्मार्ट सिटीज़ मिशन, AMRUT और राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन जैसी पहलों का उद्देश्य अनुकूल एवं समावेशी शहरों का निर्माण करना है, जिससे सभी के लिये विकास एवं अवसर सुनिश्चित हो सकें।
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