उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- वहन क्षमता को परिभाषित कीजिये।
- वहन क्षमता को प्रभावित करने वाले कारकों पर विचार कीजिये।
- जनसंख्या भूगोल में वहन क्षमता के अनुप्रयोगों पर प्रकाश डालिये।
- उचित निष्कर्ष लिखिये।
|
परिचय:
वहन क्षमता, जनसंख्या भूगोल की मौलिक अवधारणा है, जिसका तात्पर्य उस अधिकतम जनसंख्या आकार से है जिसे भोजन, आवास, जल और अन्य उपलब्ध संसाधनों के आधार पर अनिश्चित काल तक बनाए रखा जा सकता है।
मुख्य भाग:
वहन क्षमता को प्रभावित करने वाले कारक:
- संसाधन उपलब्धता: भोजन, जल और ऊर्जा तक पहुँच से वहन क्षमता पर प्रभाव पड़ता है। प्रचुर संसाधनों वाले क्षेत्र में अधिक आबादी का भरण-पोषण हो सकता है।
- गंगा नदी प्रणाली इसका एक प्रमुख उदाहरण है।
- इसके अलावा, मिस्र में नील नदी घाटी अपने प्रचुर जल संसाधनों के कारण आस-पास के रेगिस्तान की तुलना में अधिक आबादी का भरण-पोषण करने में सक्षम है।
- तकनीकी प्रगति: तकनीकी नवाचार से संसाधनों के उपयोग को बढ़ावा मिलने से वहन क्षमता पर प्रभाव पड़ सकता है।
- 1960 और 1970 के दशक के दौरान भारत में हरित क्रांति से कृषि उत्पादकता में वृद्धि हुई।
- सामाजिक संरचना और उपभोग प्रतिरूप: जीवनशैली विकल्प, उपभोग प्रतिरूप और अपशिष्ट प्रबंधन प्रथाओं से संसाधन उपयोग के साथ वहन क्षमता पर प्रभाव पड़ता है।
- जापान में सीमित प्राकृतिक संसाधनों के बावजूद संसाधनों का कुशलतापूर्वक उपयोग होने एवं संधारणीय उपभोग प्रथाओं को महत्त्व देने से काफी अधिक लोगों का भरण-पोषण हो पाता है।
- पर्यावरणीय कारक: जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाएँ और भूमि क्षरण से किसी क्षेत्र की वहन क्षमता पर प्रभाव पड़ता है।
- जलवायु परिवर्तन से अफ्रीका के साहेल क्षेत्र की वहन क्षमता सीमित हुई है।
जनसंख्या भूगोल में वहन क्षमता के अनुप्रयोग:
- जनसंख्या अनुमान और योजना:
- जनसंख्या वृद्धि के निहितार्थ: वहन क्षमता का अनुमान लगाकर जनसांख्यिकीविद भविष्य की जनसंख्या प्रवृत्तियों एवं संसाधन उपभोग तथा पर्यावरणीय प्रभाव के संदर्भ में उसके निहितार्थों का अनुमान लगा सकते हैं।
- शहरी नियोजन: इससे भविष्य की जनसंख्या वृद्धि को समायोजित करने के क्रम में बुनियादी ढाँचे, आवास और सेवाओं के नियोजन में मदद मिल सकती है।
- प्रवास संबंधी अध्ययन: इससे प्रवास प्रतिरूप एवं स्रोत और गंतव्य क्षेत्रों पर उसके प्रभाव को समझने में मदद मिल सकती है।
- संसाधन प्रबंधन एवं संरक्षण:
- संसाधनों का सतत् उपयोग: इससे प्राकृतिक पूंजी को सीमित किये बिना संसाधन निष्कर्षण के इष्टतम स्तर को निर्धारित करने में मदद मिलती है।
- पर्यावरणीय प्रभाव आकलन: यह मानवीय गतिविधियों के संदर्भ में पर्यावरणीय प्रभाव आकलन हेतु महत्त्वपूर्ण है।
- कृषि नियोजन: कृषि भूमि की वहन क्षमता के निर्धारण से फसल उत्पादन को अनुकूलित करने के साथ भूमि क्षरण को रोकने में मदद मिलती है।
- आपदा तैयारी और प्रतिक्रिया:
- भेद्यता आकलन: प्राकृतिक खतरों जैसे कारकों के प्रति सीमित वहन क्षमता वाले क्षेत्रों की पहचान से आपदा तैयारी योजना में मदद मिल सकती है।
- जनसंख्या स्थानांतरण: आपदाओं के मामले में अप्रभावित क्षेत्रों की वहन क्षमता को समझना, जनसंख्या स्थानांतरण और पुनर्वास में सहायता कर सकता है।
- नीति-निर्माण और शासन:
- जनसंख्या नीतियाँ: इससे परिवार नियोजन कार्यक्रम एवं प्रोत्साहन जैसी जनसंख्या नीतियों के विकास को प्रोत्साहन मिल सकता है।
- भूमि उपयोग नियोजन: विभिन्न भूमि उपयोग प्रकारों की वहन क्षमता का आकलन, भूमि उपयोग प्रतिरूप को अनुकूलित करने में मदद करता है।
- पर्यावरणीय विनियम: प्रभावी पर्यावरणीय विनियम और मानक विकसित करने के लिये वहन क्षमता पर विचार करना आवश्यक है।
- संघर्ष की रोकथाम और प्रबंधन:
- संसाधन की कमी: जनसंख्या वृद्धि, संसाधन की कमी और संघर्ष के बीच संबंधों को समझने से संघर्ष की रोकथाम एवं प्रबंधन में मदद मिल सकती है।
- शरणार्थी संकट: शरणार्थियों को शरण देने वाले देशों की वहन क्षमता का आकलन, पर्याप्त मानवीय सहायता प्रदान करने के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- वैश्विक स्थिरता:
- पारिस्थितिकी फुटप्रिंट: इससे ग्रह के संसाधनों पर मानव दबाव को मापा जाता है।
- सतत् विकास लक्ष्य: वहन क्षमता को समझना, सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs) को प्राप्त करने के लिये आवश्यक है।
निष्कर्ष:
जलवायु परिवर्तन, संसाधनों की कमी और अनियोजित शहरीकरण जैसी वैश्विक चुनौतियों के आलोक में वहन क्षमता संबंधी सिद्धांतों को समझना तथा लागू करना महत्त्वपूर्ण होता जा रहा है। हालाँकि यह पहचानना आवश्यक है कि वहन क्षमता एक निश्चित सीमा नहीं है बल्कि यह तकनीकी नवाचार, सामाजिक-आर्थिक कारकों और नीतिगत निर्णयों से प्रभावित एक गतिशील अवधारणा है।