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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    "उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।" - स्वामी विवेकानंद।

    कौन-से नैतिक सिद्धांत हमें अपने मूल्यों से समझौता किये बिना अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मार्गदर्शन कर सकते हैं? (150 शब्द)

    18 Jul, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • उद्धरण की मान्यता के साथ अपने उत्तर को प्रस्तुत कीजिये।
    • नैतिक सिद्धांतों में गहराई से जाने से हमें अपने मूल्यों से समझौता किये बिना अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मार्गदर्शन मिल सकता है।
    • सकारात्मक रूप से निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    स्वामी विवेकानंद का शक्तिशाली उद्धरण, "उठो, जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए", हमें अडिग दृढ़ संकल्प के साथ अपनी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिये प्रेरित करता है।

    • हालाँकि सफलता के मार्ग पर हमें अपने आधारभूत मूल्यों से समझौता नहीं करना चाहिये। नैतिक अखंडता बनाए रखना महत्त्वपूर्ण है।

    मुख्य भाग:

    हमारे लक्ष्यों को प्राप्त करने में हमारा मार्गदर्शन करने वाले नैतिक सिद्धांत:

    • सत्यनिष्ठा और ईमानदारी:
      • निष्पक्षता: ईमानदारी से प्रयास, कड़ी मेहनत और दृढ़ता के माध्यम से लक्ष्यों के लिये प्रयास करें। शॉर्टकट, हेरफेर या दूसरों का शोषण करने से बचें।
      • पारदर्शिता: लेन-देन में सत्यनिष्ठा रखें। धोखे से अल्पकालिक लाभ हो सकता है, लेकिन दीर्घकालिक सफलता के लिये विश्वास की आवश्यकता होती है।
    • सम्मान और निष्पक्षता:
      • जीत-जीत का दृष्टिकोण: सभी पक्षों को लाभ पहुँचाने वाले समाधान की तलाश करें। अनावश्यक प्रतिस्पर्द्धा या दूसरों का शोषण उपलब्धियों को कमज़ोर करता है।
      • नियमों का सम्मान: खेल के नियमों का पालन करें, चाहे वह व्यवसाय, प्रतिस्पर्द्धा या फिर निजी जीवन में ही क्यों न हो। निष्पक्षता में प्रतिष्ठा से विश्वसनीयता मज़बूत होती है।
    • चरित्र और ज़िम्मेदारी:
      • आत्म-अनुशासन: प्रलोभनों का विरोध करने के लिये आत्म-नियंत्रण विकसित करना।
      • कार्यों का स्वामित्व: निर्णयों और कार्यों, सफलताओं तथा असफलताओं दोनों की ज़िम्मेदारी लें। गलतियों से सीखें एवं उसमें सुधार करें।
      • सामाजिक ज़िम्मेदारी: दूसरों और पर्यावरण पर कार्यों के प्रभाव पर विचार करें। न केवल स्वयं का विकास करें, बल्कि विश्व में सकारात्मक कल्याण में भी योगदान दें।
    • करुणा और सहानुभूति:
      • सहयोग: टीमवर्क के महत्त्व को पहचानें। सहभागिता विविध शक्तियों का लाभ उठाती और लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये अधिक सहायक वातावरण को बढ़ावा देती है।
      • दूसरों की मदद करना: समान यात्रा पर चल रहे लोगों को समर्थन और प्रोत्साहन प्रदान करना। दूसरों का उत्थान करने से आपका अपना संकल्प मज़बूत होता है।
    • संतुलन और स्थिरता:
      • समग्र दृष्टिकोण: शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य की उपेक्षा किये बिना सफलता की तलाश करें। स्वास्थ्य की कीमत पर अडिग प्रयास अंतत: असंतुलित है। दीर्घकालिक दृष्टि: सतत् विकास और स्थायी उपलब्धियों पर ध्यान केंद्रित करें। सच्ची सफलता नैतिक प्रथाओं और दीर्घकालिक दृष्टि की नींव पर केंद्रित होती है।

    निष्कर्ष:

    मूल्यों से समझौता किये बिना लक्ष्य प्राप्त करने के लिये नैतिक विचारों के साथ दृढ़ संकल्प को संतुलित करना आवश्यक है। इन सिद्धांतों को अपनाकर, हम उद्देश्यों को ऐसे तरीके से प्राप्त कर सकते हैं जो सफल तथा नैतिक रूप से सही हो। यह दृष्टिकोण न केवल हमारे लक्ष्यों तक पहुँचने में मदद करता है बल्कि विवेकानंद के शब्दों की भावना का सम्मान करते हुए हमारे कार्यों की अखंडता सुनिश्चित करते हुए अधिक नैतिक समाज में योगदान देता है।

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