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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    वैश्वीकरण ने विभिन्न भौगोलिक प्रक्रियाओं को व्यापक रूप से प्रभावित किया है। वैश्वीकरण से संबद्ध भौगोलिक चुनौतियाँ और अवसर क्या हैं? (250 शब्द)

    15 Jul, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • आँकड़ों का उपयोग करके वैश्वीकरण एवं उसके प्रभाव को परिभाषित करते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • वैश्वीकरण की भौगोलिक चुनौतियों पर गहनता से विचार कीजिये।
    • वैश्वीकरण से संबंधित अवसरों पर प्रकाश डालिये।
    • उचित निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    वैश्वीकरण, विश्व अर्थव्यवस्थाओं, संस्कृतियों और आबादी की बढ़ती अंतर्संबंधता तथा अन्योन्याश्रयता की प्रक्रिया ने विश्व भर में भौगोलिक प्रक्रियाओं को एक नया रूप दिया है।

    • यह घटना वैश्विक व्यापार के नाटकीय में स्पष्ट है, जो वर्ष 1960 के दशक में विश्व सकल घरेलू उत्पाद के लगभग 25% से बढ़कर हाल के वर्षों में 60% से अधिक हो गया है।

    वैश्विक

    • यह वैश्विक व्यापार में देखी गई वृद्धि से स्पष्ट है, कि 1960 के दशक में विश्व सकल घरेलू उत्पाद के लगभग 25% से बढ़कर हाल ही के वर्षों में 60% से अधिक हो गया है।

    मुख्य भाग:

    वैश्वीकरण की भौगोलिक चुनौतियाँ:

    • जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण क्षरण: वैश्वीकरण ने वैश्विक व्यापार और परिवहन से कार्बन उत्सर्जन के माध्यम से जलवायु परिवर्तन में वृद्धि की है।
      • शिपिंग उद्योग अकेले वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में लगभग 3% का योगदान प्रदान करता है।
      • वैश्विक कृषि मांग के लिये वनों की कटाई, जैसे कि सोयाबीन उत्पादन हेतु अमेज़न वर्षावनों की कटाई, जलवायु परिवर्तन में और भी योगदान देता है।
    • संसाधनों की कमी: संसाधनों की वैश्विक मांग ने अतिदोहन को जन्म दिया है, जिससे विश्व भर में पारिस्थितिकी तंत्र को खतरा है।
      • दशकों से विनाशकारी मछली ग्रहण के कारण ब्लूफिन टूना और ग्रैंड बैंक कॉड जैसे प्रमुख मछली स्टॉक में भारी गिरावट आई है।
      • कैलिफोर्निया सेंट्रल वैली में देखी गई कृषि और औद्योगिक मांगों में वृद्धि के कारण मीठे पानी के संसाधन तनाव में हैं।
    • असमान विकास और स्थानिक असमानताएँ: वैश्वीकरण ने कुछ क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों को केंद्रित किया है, जिससे भौगोलिक असमानताएँ पैदा हुई हैं।
      • यह विकासशील देशों (जैसे बेंगलूरू) में मेगासिटी के विकास में स्पष्ट है, जिससे ग्रामीण-शहरी प्रवास और शहरी फैलाव तेज़ी से हो रहा है।
      • विशेष आर्थिक क्षेत्रों के विकास से समृद्धि के क्षेत्र बनते हैं, जबकि वैश्विक शहरों में जेंट्रीफिकेशन से स्थानिक अलगाव और स्थानीय आबादी का विस्थापन होता है।
    • ऊर्जा सुरक्षा और संसाधन संघर्ष: ऊर्जा संसाधनों के लिये प्रतिस्पर्द्धा तीव्र हो गई है, जिससे भू-राजनीतिक संकट उत्पन्न हो रहा है।
      • बर्फ के पिघलने के कारण आर्कटिक तेल और गैस संसाधनों के दोहन के लिये देशों के बीच प्रतिस्पर्द्धा में वृद्धि हुई है।
      • आधुनिक प्रौद्योगिकियों के लिये आवश्यक दुर्लभ खनिजों के लिये संघर्ष भी वैश्वीकरण के भौगोलिक परिणाम के रूप में उभरा है।

    वैश्वीकरण के भौगोलिक अवसर

    • बेहतर कनेक्टिविटी और बुनियादी ढाँचे का विकास: वैश्वीकरण ने वैश्विक व्यापार को समर्थन देने के लिये परिवहन बुनियादी ढाँचे के विकास को बढ़ावा दिया है।
      • भारत-मध्य पूर्व-यूरोप कॉरिडोर इसका एक प्रमुख उदाहरण है। इस प्रवृत्ति ने दुनिया भर में बंदरगाहों, हवाई अड्डों और रेल नेटवर्क के विस्तार तथा आधुनिकीकरण के साथ-साथ स्मार्ट शहरों एवं डिजिटल बुनियादी ढाँचे के विकास को बढ़ावा दिया है।
    • नए संसाधनों की खोज और सतत् संसाधन प्रबंधन: तकनीकी प्रगति ने पहले से दुर्गम संसाधनों को उपलब्ध कराया है।
      • भू-तापीय और ज्वारीय ऊर्जा जैसे वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की खोज वैश्वीकरण से उत्पन्न होने वाले नए अवसरों का प्रतिनिधित्व करती है।
    • क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण और सीमा पार सहयोग: वैश्वीकरण ने आर्थिक ब्लॉक और मुक्त व्यापार क्षेत्रों के गठन की सुविधा प्रदान की है।
      • अफ्रीकी महाद्वीपीय मुक्त व्यापार क्षेत्र (AfCFTA) - दुनिया का सबसे बड़ा मुक्त व्यापार क्षेत्र, इसका एक प्रमुख उदाहरण है।
      • इस प्रवृत्ति ने दक्षिणी अफ्रीका में शांति पार्क जैसी सीमा पार संरक्षण पहलों के विकास को भी बढ़ावा दिया है।
    • भौगोलिक संकेत टैग और वैश्विक बाज़ार तक पहुँच: वैश्वीकरण ने भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग के माध्यम से स्थानीय उत्पादों की पहचान और सुरक्षा को बढ़ाया है।
      • उदाहरण के लिये भारत से दार्जिलिंग चाय, फ्राँस से शैम्पेन और इटली से पार्मिगियानो-रेजिआनो पनीर ने अपने जीआई टैग के कारण वैश्विक बाज़ारों में अंतर्राष्ट्रीय मान्यता तथा विशेष दर्जा प्राप्त किया है।

    निष्कर्ष:

    वैश्वीकरण के परिणामस्वरूप विश्व की स्थानिक संरचना अपरिवर्तनीय रूप से बदल गई है, जो अपने साथ अवसर और चुनौतियाँ दोनों लेकर आई है। भविष्य में हमारा साझा वैश्विक भूगोल वैश्वीकरण के परिणामस्वरूप भौगोलिक प्रक्रियाओं में होने वाले परिवर्तनों के साथ अनुकूलन और समायोजन करने की हमारी सामूहिक क्षमता द्वारा निर्धारित होगा।

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