- फ़िल्टर करें :
- सैद्धांतिक प्रश्न
- केस स्टडीज़
-
प्रश्न :
आप एक छोटे शहर के एक प्रतिष्ठित सरकारी स्कूल के नवनियुक्त प्रिंसिपल हैं। इस स्कूल के उन्नयन की सख्त ज़रूरत है - यहाँ की विज्ञान प्रयोगशालाएँ पुरानी हो चुकी हैं, कंप्यूटर रूम में केवल कुछ ही मशीनें कार्य की स्थिति में हैं और लाइब्रेरी की क्षमता भी सीमित है।
आपने 15 अगस्त के समारोह हेतु एक स्थानीय राजनेता को स्कूल में आमंत्रित किया और इस दौरान उन्होंने स्कूल के उन्नयन हेतु निधि देने की घोषणा की। हालाँकि बाद में एक निजी बैठक में उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि स्कूल के उन्नयन एवं संबंधित उपकरणों की खरीद का ठेका उनके एक रिश्तेदार के स्वामित्व वाली कंपनी को दिया जाए। हालाँकि इस कंपनी को निम्न गुणवत्ता की सामग्री की आपूर्ति हेतु जाना जाता है।
प्रस्तावित निधि से होने वाले सुधारों से संभावित रूप से छात्रों के लिये शैक्षिक अवसरों की वृद्धि होगी। कुछ शिक्षक तथा अभिभावक ऐसी परिस्थितियों में इस प्रकार की निधि को स्वीकार करने का विरोध करते हैं जबकि अन्य तर्क देते हैं कि छात्रों की ज़रूरतों को प्राथमिकता दी जानी चाहिये। इस संदर्भ में आपका निर्णय स्कूल के भविष्य एवं इसकी प्रतिष्ठा के साथ सैकड़ों छात्रों की शिक्षा को प्रभावित करेगा।
1. इस मामले में शामिल प्रमुख हितधारक कौन हैं?
12 Jul, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़
2. इस स्थिति में निहित नैतिक दुविधाएँ कौन सी हैं?
3. इस निधि के संबंध में आप क्या निर्णय लेंगे। इसके पीछे अपना तर्क बताइए?उत्तर :
परिचय:
एक सरकारी स्कूल को पुरानी प्रयोगशालाओं, सीमित कंप्यूटरों और छोटे पुस्तकालयों के लिये तात्कालिक उन्नयन की आवश्यकता है। एक स्थानीय राजनेता ने दान की पेशकश की, परिणामस्वरूप एक रिश्तेदार की कंपनी को पुनर्नवीनीकरण का ठेका देने पर ज़ोर दिया, जिसकी पहचान घटिया सामग्री का प्रयोग करने के लिये है।
- शिक्षक और अभिभावक विभाजित हैं: कुछ लोग इन शर्तों को स्वीकार करने की तुलना में छात्रों की आवश्यकताओं को प्राथमिकता देते हैं।
- प्रिंसिपल के फैसले से स्कूल के भविष्य, प्रतिष्ठा और छात्रों की शिक्षा पर काफी प्रभाव पड़ेगा।
मुख्य भाग:
1. इस स्थिति में प्रमुख हितधारक कौन हैं?
हितधारक
भूमिका/हित
प्रिंसिपल
दान स्वीकार करने या न करने और शर्तों पर अंतिम निर्णय लेने के लिये ज़िम्मेदार।
स्थानीय राजनीतिज्ञ
वह दाता जिसका आशय शर्तों के साथ महत्त्वपूर्ण दान करना है।
शिक्षक
शिक्षा की गुणवत्ता और दान स्वीकार करने के नैतिक निहितार्थों के बारे में चिंतित।
अभिभावक
अपने बच्चों के शैक्षिक अवसरों और सुरक्षा में रुचि रखते हैं।
छात्र
उन्नत सुविधाओं के प्रत्यक्ष लाभार्थी, लेकिन स्कूल की प्रतिष्ठा से भी प्रभावित।
स्कूल प्रशासन
उन्नयन के कार्यान्वयन और शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने में शामिल।
स्थानीय समुदाय
स्कूल की प्रतिष्ठा और नैतिक स्थिति में पर्यवेक्षक तथा हितधारक।
राजनेता के रिश्तेदार के स्वामित्व वाली कंपनी
पुनर्निर्माण के लिये संभावित ठेकेदार, घटिया सामग्री के लिये जाना जाता है।
मीडिया
स्थिति पर रिपोर्टिंग और जनता की राय को प्रभावित करना।
शिक्षा प्राधिकरण
स्कूल संचालन की देख-रेख और शैक्षिक मानकों को बनाए रखना।
2. इस स्थिति में नैतिक दुविधाएँ क्या हैं?
- पारदर्शिता बनाम अल्पकालिक लाभ
- पारदर्शिता (उपकार और जवाबदेही): शर्तों के साथ दान स्वीकार करना एक बुरी मिसाल कायम करता है, जो जनता के विश्वास को कमज़ोर करता है।
- यह खुली बोली से बचता है, जिससे कम कीमत पर बेहतर गुणवत्ता वाली सामग्री मिल सकती थी।
- अल्पकालिक लाभ (उपयोगितावाद): दान तत्काल और आवश्यक सुधार करता है, जिससे छात्रों की मौजूदा शिक्षा को काफी फायदा होता है।
- पारदर्शिता (उपकार और जवाबदेही): शर्तों के साथ दान स्वीकार करना एक बुरी मिसाल कायम करता है, जो जनता के विश्वास को कमज़ोर करता है।
- छात्रों की ज़रूरतें बनाम स्कूल की प्रतिष्ठा:
- छात्रों की आवश्यकताएँ (उपकार): दान स्वीकार करने से स्कूल की तात्कालिक आवश्यकताएँ पूरी होती हैं साथ ही सीखने के माहौल में सुधार होता है।
- स्कूल की प्रतिष्ठा (न्याय और ईमानदारी): घटिया सामग्री स्वीकार करने से स्कूल की प्रतिष्ठा धूमिल होती है और गुणवत्ता के लिये निम्न मानक स्थापित होते हैं।
- भ्रष्टाचार से बचना बनाम अवसर को छोड़ना:
- भ्रष्टाचार से बचना (न्याय): शर्तों के साथ दान स्वीकार करने से भ्रष्टाचार की संस्कृति को बढ़ावा मिलता है, योग्यता के बजाय संबंधों को तरजीह दी जाती है। यदि सामग्री दोषपूर्ण है तो छात्रों के लिये संभावित रूप से सुरक्षा जोखिम उत्पन्न होता है।
- अवसर का परित्याग (उपयोगितावाद): दान को अस्वीकार करने से छात्र महत्त्वपूर्ण शैक्षिक लाभ से वंचित हो जाते हैं और संभावित रूप से महत्त्वपूर्ण सुधारों में विलंब होता है।
- शैक्षणिक मिशन बनाम राजनीतिक प्रभाव: दान स्वीकार करने से शैक्षिक संसाधनों में सुधार हो सकता है, लेकिन स्कूल पर राजनीतिक प्रभाव भी बढ़ सकता है।
- इससे स्कूल के शैक्षिक मिशन को आगे बढ़ाने और राजनीतिक दबावों से अपनी स्वतंत्रता बनाए रखने के बीच दुविधा उत्पन्न होती है।
3. दान के संबंध में आप क्या निर्णय लेंगे और इसके पीछे आपका तर्क क्या है?
समग्र नैतिक दुविधाओं पर विचार करते हुए, निर्णय यह होगा कि दान को विनम्रतापूर्वक अस्वीकार कर दिया जाए और साथ ही कुछ शर्तें भी रखी जाएँ। इसमें शामिल होंगे:
- राजनेता के साथ खुला संवाद: राजनेता को उनकी उदारता के लिये धन्यवाद देना और निष्पक्ष क्रय संबंधी प्रथाओं तथा छात्र सुरक्षा के लिये स्कूल की प्रतिबद्धता को समझाना।
- राजनेता के साथ संवाद करना: दान की शर्तों पर पुनः संवाद करने का प्रयास करना, एक ऐसा मार्ग प्रस्तावित करना जहाँ राजनेता के रिश्तेदार की कंपनी पारदर्शी क्रय प्रक्रिया में कई बोली दाताओं में से एक हो सकती है।
- वैकल्पिक समाधान तलाश करना:
- पूर्व छात्र नेटवर्क: संभावित दान के लिये सफल पूर्व छात्रों तक पहुँच। यह बताएँ कि उनके योगदान से वर्तमान छात्रों और स्कूल के भविष्य को कैसे लाभ होगा।
- सामुदायिक समर्थन के साथ चरणबद्ध उन्नयन: उन्नयन को छोटे, प्रबंधनीय प्रोजेक्ट में विभाजित करना।
- प्रत्येक प्रोजेक्ट के लिये, विशिष्ट सामुदायिक समर्थन की तलाश करना- जैसे, कंप्यूटर कक्ष के लिये स्थानीय तकनीकी कंपनियाँ, प्रयोगशालाओं के लिये विज्ञान-आधारित व्यवसाय।
- अप्रयुक्त स्थान को पट्टे पर देना: यदि स्कूल में कोई अप्रयुक्त स्थान है, तो अतिरिक्त आय उत्पन्न करने के लिये सामुदायिक कार्यक्रमों (जैसे- स्कूल के बाद के कार्यक्रम, वयस्क शिक्षा संबंधी कक्षाएँ) के लिये इसे पट्टे पर देने पर विचार करना।
निर्णय के पीछे तर्क:
- छात्र सुरक्षा और शिक्षा को प्राथमिकता: घटिया सामग्री सुरक्षा के लिये खतरा उत्पन्न कर सकती है या शिक्षण में बाधा डाल सकती है।
- स्कूल की मुख्य ज़िम्मेदारी छात्र कल्याण और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा है, जिससे यह दान संभावित रूप से समझौता कर सकता है।
- पारदर्शिता बनाए रखना और ईमानदारी बनाए रखना: "सहबद्ध" दान को स्वीकार करने से भविष्य में भ्रष्टाचार का मार्ग खुल जाता है और निष्पक्ष क्रय संबंधी प्रथाओं के लिये एक बुरी मिसाल कायम होती है।
- पारदर्शिता समुदाय के भीतर और छात्रों के साथ विश्वास को बढ़ावा देती है।
- कानूनी और विनियामक अनुपालन: इस तरह के सहबद्ध अनुदान को स्वीकार करने से सरकारी स्कूलों को नियंत्रित करने वाले सार्वजनिक क्रय संबंधी कानूनों और विनियमों का उल्लंघन हो सकता है, जिससे संभावित रूप से कानूनी परिणाम हो सकते हैं।
- राजनीतिक प्रभाव से बचना: दान को स्वीकार करने से स्कूली मामलों में अनुचित राजनीतिक प्रभाव का मार्ग खुल सकता है, जिससे संस्थान की स्वतंत्रता और शैक्षिक दृष्टिकोण से समझौता हो सकता है।
निष्कर्ष:
राजनेता का प्रस्ताव एक आकर्षक शॉर्टकट मार्ग प्रस्तुत करता है, नैतिक नेतृत्व छात्र सुरक्षा और स्कूल की अखंडता को प्राथमिकता देने की मांग करता है। सहबद्ध दान को विनम्रतापूर्वक अस्वीकार करके तथा अनुदान, धन उगाहने एवं पूर्व छात्रों की भागीदारी जैसे वैकल्पिक समाधानों की खोज करके, अधिक काम की आवश्यकता हो सकती है, लेकिन यह छात्रों की सुरक्षा करता है, समुदाय के विश्वास को बढ़ाता है और स्कूल के स्थायी भविष्य के लिये एक मज़बूत नींव रखता है। नैतिक आचरण के लिये प्रतिष्ठा अपने आप में नैतिक दाताओं को आकर्षित करेगी जो समान मूल्यों को साझा करते हैं।
To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.
Print