शांति का आशय संघर्ष का अभाव नहीं है, बल्कि इसका आशय संघर्ष को शांतिपूर्ण तरीके से निपटाने की क्षमता से है।" संघर्षों को नैतिक एवं शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने हेतु कौन से गुण एवं दृष्टिकोण आवश्यक हैं? (150 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- इस कथन का औचित्य सिद्ध करते हुए परिचय दीजिये।
- शांति स्थापना और संघर्ष समाधान के लिये आवश्यक गुणों का उल्लेख कीजिये।
- संघर्ष समाधान हेतु प्रभावी दृष्टिकोण बताइये।
- उद्धरण का उपयोग करते हुए सकारात्मक निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय:
शांति का तात्पर्य केवल युद्ध की अनुपस्थिति से नहीं है बल्कि रचनात्मक संवाद एवं नैतिक साधनों के माध्यम से असहमति और संघर्षों को दूर करने की क्षमता से है।
- विविध दृष्टिकोणों और हितों वाले विश्व में संघर्ष अपरिहार्य हैं। हालाँकि जिस तरह से हम इन असहमतियों का प्रबंधन करते हैं, उसका प्रभाव व्यक्तियों, समुदायों एवं विश्व पर पड़ता है।
मुख्य भाग:
आवश्यक गुण:
- समानुभूति: यह दूसरों की भावनाओं को समझने एवं साझा करने की क्षमता में महत्त्वपूर्ण है।
- दूसरों के दृष्टिकोण को समझकर संघर्ष के मूल कारणों को बेहतर ढंग से समझने के साथ समस्या का समाधान हो सकता है।
- सम्मान: सभी पक्षों के साथ सम्मानजनक व्यवहार से पारदर्शी संचार के साथ संघर्ष समाधान हेतु अधिक अनुकूल वातावरण मिलता है।
- धैर्य: संघर्ष समाधान में धैर्य निर्णायक तत्त्व है।
- धैर्य से मुद्दों की गहन समझ के साथ विश्वास को बढ़ावा मिलने से रचनात्मक समाधानों का मार्ग महत्त्व प्रशस्त होता है।
- खुलापन: विभिन्न दृष्टिकोणों पर विचार करने की प्रेरणा आवश्यक है।
- कठोर रुख से प्रगति में बाधा उत्पन्न होने के साथ पक्षों को पारस्परिक समाधान खोजने में बाधा उत्पन्न होती है।
- संचार कौशल: संघर्ष समाधान के लिये प्रभावी संचार (मौखिक और अशाब्दिक दोनों) निर्णायक है।
- सक्रिय श्रवण, खुद को स्पष्ट रूप से व्यक्त करना तथा खुले संवाद को बढ़ावा देने से संघर्ष समाधान हेतु मार्ग प्रशस्त होता है।
प्रभावी दृष्टिकोण:
- संवाद और विमर्श: पारदर्शी और निष्पक्ष संचार शांतिपूर्ण संघर्ष समाधान की आधारशिला है।
- संवाद में शामिल होने से शामिल पक्षों को अपनी चिंताओं को व्यक्त करने, एक-दूसरे की ज़रूरतों को समझने तथा सहयोगात्मक रूप से संभावित समाधानों की खोज करने में सहायता मिलती है।
- संवाद में पारस्परिक रूप से सहमत परिणाम तक पहुँचने के क्रम में रचनात्मक समझौता करना शामिल है।
- उदाहरण: दो पड़ोसी देश एक साझा नदी से जल के उपयोग हेतु विमर्श कर सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप होने वाले समझौते से शांति सुनिश्चित हो सकती है।
- मध्यस्थता: जटिल संघर्षों में एक तटस्थ तीसरा पक्ष मध्यस्थ के रूप में कार्य कर सकता है।
- मध्यस्थ पक्ष संवाद का मार्गदर्शन करने के साथ सुनिश्चित करते हैं कि सभी के पक्ष को सुना जाए जिससे शामिल पक्ष आम सहमति तक पहुँच सकें।
- उदाहरण: दो कंपनियों के बीच तटस्थ मध्यस्थ दोनों पक्षों के मूल्यों को ध्यान में रखते हुए और उनका सम्मान करते हुए उन्हें एकीकृत कॉर्पोरेट संस्कृति बनाने में मदद करता है।
- समस्या-समाधान: संघर्ष के मूल कारणों की पहचान करने और उन कारणों का समाधान करने की दिशा में ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है।
- यह दृष्टिकोण अंतर्निहित मुद्दों के समाधान पर केंद्रित है।
- उदाहरण: किसी समुदाय द्वारा समिति बनाकर भूमि उपयोग विवाद का समाधान करने से सभी पक्षों को संतुष्ट करने के क्रम में वाणिज्यिक क्षेत्रों के साथ मिलकर इसके मिश्रित उपयोग एवं विकास को प्रोत्साहन मिल सकता है।
- क्षमा और सुलह: संघर्ष का हल हो जाने के बाद भी, नाराजगी की भावनाएँ बनी रह सकती हैं।
- क्षमा और सुलह, दीर्घकालिक शांति के लिये आवश्यक हैं।
- उदाहरण: एक लंबे गृहयुद्ध के बाद देश, एक-दूसरे को माफ करने के साथ शांति का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
निष्कर्ष:
संघर्ष समाधान एक सतत् प्रक्रिया है जिसके लिये सभी संबंधित पक्षों से समर्पण एवं प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है। जैसा कि नेल्सन मंडेला ने कहा था कि "यदि आप अपने दुश्मन के साथ शांति स्थापित करना चाहते हैं तो आपको अपने दुश्मन के साथ मिलकर कार्य करना होगा, जिससे वह आपका साथी बन जाएगा।" समानुभूति, सम्मान एवं खुले संचार को बढ़ावा देकर हम संबंधित पक्षों के बीच अंतराल को कम कर सकते हैं, सहयोग को बढ़ावा दे सकते हैं तथा सभी के लिये अधिक शांतिपूर्ण भविष्य का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।