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प्रश्न :
सामाजिक समावेशन को बढ़ावा देने और हाशिए पर पड़े समूहों को सशक्त बनाने के लिये डिजिटल प्रौद्योगिकियों की महत्त्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। इस पर चर्चा कीजिये। (150 शब्द)
02 Jul, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 2 सामाजिक न्यायउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- डिजिटल प्रौद्योगिकियों के महत्त्व का उल्लेख करते हुए उत्तर का परिचय दीजिये।
- इस बात पर गहराई से विचार कीजिये कि डिजिटल प्रौद्योगिकियाँ किस प्रकार सामाजिक समावेशन को बढ़ावा दे रही हैं तथा हाशिए पर पड़े लोगों को सशक्त बना रही हैं।
- वर्तमान में निहित चुनौतियों पर प्रकाश डालिये।
- सकारात्मक रूप से उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।
परिचय:
डिजिटल प्रौद्योगिकियाँ विश्व में सामाजिक समावेशन को बढ़ावा देने और हाशिए पर पड़े समूहों को सशक्त बनाने के लिये शक्तिशाली उपकरण के रूप में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
- इन प्रौद्योगिकियों में इंटरनेट, मोबाइल डिवाइस, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और विभिन्न डिजिटल अनुप्रयोग शामिल हैं, जिनमें सामाजिक अंतर को पाटने तथा सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक प्रक्रियाओं से पारंपरिक रूप से बहिष्कृत लोगों के लिये अवसर प्रदान करने की क्षमता है।
मुख्य भाग:
डिजिटल प्रौद्योगिकियाँ सामाजिक समावेशन को बढ़ावा दे रही है और हाशिए पर पड़े लोगों को सशक्त बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं :
- सूचना और शिक्षा तक पहुँच: डिजिटल प्रौद्योगिकियों ने सामाजिक समावेशन के लिये महत्त्वपूर्ण सूचना तथा शिक्षा तक पहुँच को आसान बना दिया है।
- भारत में SWAYAM जैसे ऑनलाइन शिक्षण प्लेटफॉर्म शिक्षा के लिये भौगोलिक और आर्थिक बाधाओं के बावजूद मुफ्त ऑनलाइन पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं।
- इसके अलावा, भाषिणी का उद्देश्य सभी भारतीयों को अपनी भाषा में इंटरनेट और डिजिटल सेवाओं तक आसान पहुँच प्रदान करना तथा भारतीय भाषाओं में कंटेंट उपलब्ध करना है।
- भारत में SWAYAM जैसे ऑनलाइन शिक्षण प्लेटफॉर्म शिक्षा के लिये भौगोलिक और आर्थिक बाधाओं के बावजूद मुफ्त ऑनलाइन पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं।
- आर्थिक अवसर: डिजिटल प्लेटफॉर्म ने आर्थिक सशक्तीकरण के नए रास्ते खोल दिये हैं।
- ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म लघु व्यवसायों और हाशिये पर पड़े समुदायों के कारीगरों को वैश्विक बाज़ारों तक पहुँचने का मौका देते हैं। उदाहरण के लिये भारत में कई ग्रामीण कारीगर अब पारंपरिक बिचौलियों का बहिष्कार करते हुए ONDC, eNam, Amazon और Flipkart जैसे प्लेटफॉर्म पर अपने उत्पाद बेचते हैं तथा अधिक लाभ अर्जित करते हैं।
- स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच: टेलीमेडिसिन सेवाओं ने हाशिये पर रहने
- समुदायों, विशेषकर ग्रामीण और दूर-दराज़ के क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच में क्रांतिकारी बदलाव किया है।
- भारत में ई-संजीवनी प्लेटफॉर्म जैसी पहलों ने लाखों टेलीकंसल्टेशन को सक्षम बनाया है, जिससे वंचित लोगों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराई जा रही हैं।
- समुदायों, विशेषकर ग्रामीण और दूर-दराज़ के क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा तक पहुँच में क्रांतिकारी बदलाव किया है।
- नागरिक सहभागिता: डिजिटल प्रौद्योगिकियों ने हाशिये पर आ गए समूहों की सहभागिता को बढ़ाया है।
- उमंग और डिजिलॉकर जैसी ई-गवर्नेंस पहलों ने सरकारी सेवाओं को अधिक सुलभ और पारदर्शी बना दिया है।
- सोशल मीडिया सक्रियता के लिये एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में उभरा है, जो हाशिये पर पड़े समूहों को संगठित होने, अनुभव साझा करने और अपने अधिकारों की वकालत करने में सक्षम बनाता है।
- विशिष्ट समूहों का सशक्तीकरण:
- महिलाएँ: डिजिटल प्रौद्योगिकी महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने में सहायक रही है।
- ऑनलाइन माध्यम से समुदाय महिला उद्यमियों को सहायता और नेटवर्किंग के अवसर प्रदान किये जाते हैं।
- डिजिटल कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम, जैसे कि गूगल की "वुमेन विल" पहल द्वारा महिलाओं को डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिये आवश्यक कौशल दिये जा रहे है।
- दिव्यांगजन व्यक्ति: सहायक प्रौद्योगिकियों द्वारा दिव्यांगजन व्यक्तियों के जीवन में महत्त्वपूर्ण सुधार किये गए हैं।
- स्क्रीन रीडर्स और स्पीच-टू-टेक्स्ट सॉफ्टवेयर ने दृष्टिबाधित व्यक्तियों के लिये डिजिटल कंटेंट को सुलभ बना दिया है।
- LGBTQ+ इंडिविजुअल: डिजिटल प्लेटफॉर्म ने LGBTQ+ इंडिविजुअल्स के लिये जुड़ने, अनुभव साझा करने और जानकारी तक पहुँच हेतु सुरक्षित मंच प्रदान किया है।
- सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों ने LGBTQ+ को समाज से जुड़ने और अधिक सामाजिक स्वीकृति एवं नीतिगत बदलावों में योगदान दिया है।
- महिलाएँ: डिजिटल प्रौद्योगिकी महिला सशक्तीकरण को बढ़ावा देने में सहायक रही है।
निष्कर्ष:
डिजिटल प्रौद्योगिकियों द्वारा समावेश और सीमाओं के अवसर विकसित किये जा सकते है। सामाजिक समावेश के लिये डिजिटल प्रौद्योगिकियों की क्षमता का दोहन करने हेतु डिजिटल डिवाइड को संबोधित करना, डिजिटल साक्षरता को बढ़ाना, मज़बूत डेटा सुरक्षा सुनिश्चित करना एवं सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील, बहुभाषी सामग्री बनाना आवश्यक है। डिजिटल बुनियादी ढाँचे और शिक्षा में प्रगति से हाशिये पर पड़े समुदायों को प्रगति करने में मदद मिलेगी।
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