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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    गांधीवादी चरण के दौरान राष्ट्रवादी आंदोलन को मज़बूत एवं समृद्ध बनाने में अनेक वर्गों ने योगदान दिया था। विस्तार से चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

    24 Jun, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • गांधीवादी चरण के दौरान राष्ट्रवादी आंदोलन की विशेषताओं को बताते हुए परिचय लिखिये।
    • राष्ट्रवादी आंदोलन के गांधीवादी चरण को दृढ़ करने वाली विभिन्न आवाज़ों पर प्रकाश डालिये।
    • तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान गांधी ने असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन और भारत छोड़ो आंदोलन जैसे अभियानों के माध्यम से देश भर में लाखों लोगों को संगठित किया। भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन के गांधीवादी चरण के दौरान, कई महत्त्वपूर्ण लोगों ने इसे मज़बूत बनाने और समृद्ध बनाने में योगदान दिया, जिससे भारत की स्वतंत्रता के लिये विभिन्न दृष्टिकोण सामने आए।

    मुख्य भाग:

    यहाँ कुछ प्रमुख योगदानकर्त्ता हैं:

    • जवाहरलाल नेहरू:
      • जवाहरलाल नेहरू का आधुनिक, धर्मनिरपेक्ष और औद्योगिक भारत का दृष्टिकोण गांधी के पारंपरिक तथा ग्रामीण-केंद्रित दृष्टिकोण का पूरक था।
      • भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस के एक प्रमुख नेता के रूप में उन्होंने स्वतंत्रता के लिये भारतीय संघर्ष को अंतर्राष्ट्रीय बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
      • नेहरू के भाषणों और लेखों ने कई लोगों, मूलतः युवाओं को आंदोलन में शामिल होने के लिये प्रेरित किया।
    • सरदार वल्लभभाई पटेल:
      • "भारत के लौह पुरुष" के रूप में पहचाने जाने वाले पटेल ने गुजरात में किसानों को संगठित करने और बारदोली सत्याग्रह का नेतृत्व करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
      • उन्होंने कॉन्ग्रेस पार्टी और आंदोलन के प्रशासनिक तथा संगठनात्मक पहलुओं में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
    • सुभाष चंद्र बोस:
      • बोस का दृष्टिकोण गांधी के अहिंसक तरीकों की तुलना में अधिक कट्टरपंथी था। उन्होंने पूर्ण और तत्काल स्वतंत्रता का समर्थन किया, इसके अतिरिक्त वे, यदि आवश्यक हो तो सैन्य बल का उपयोग करने के लिये भी तैयार थे।
      • भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) के उनके गठन और धुरी शक्तियों से अंतर्राष्ट्रीय समर्थन प्राप्त करने के उनके प्रयासों ने स्वतंत्रता संघर्ष में एक महत्त्वपूर्ण आयाम जोड़ा।
    • महिला नेतृत्वकर्त्ता:
      • सरोजिनी नायडू, कस्तूरबा गांधी और कमला नेहरू जैसी महिलाएँ महत्त्वपूर्ण शख्सियतों के रूप में उभरीं, जिन्होंने विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व किया तथा महिला भागीदारी को संगठित किया।
      • महिलाओं के समावेश ने एक व्यापक सामाजिक आधार तैयार किया और आंदोलन की समावेशी प्रकृति को उजागर किया।
    • क्रांतिकारी आंदोलन:
      • गांधीवादी आंदोलन के समानांतर, भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद और हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) जैसे क्रांतिकारी समूहों ने अधिक उग्रवादी रणनीति अपनाई।
      • उनके कार्यों और बलिदानों ने प्रतिरोध की भावना को जीवित रखा तथा कई युवा भारतीयों को प्रेरित किया।
    • क्षेत्रीय नेतृत्वकर्त्ता:
      • दक्षिण में सी. राजगोपालाचारी, उत्तर-पश्चिम में अब्दुल गफ्फार खान (सीमांत गांधी) और कई अन्य नेताओं के शामिल होने से आंदोलन में क्षेत्रीय विविधता आई।
      • उन्होंने स्थानीय आबादी को संगठित करने और राष्ट्रीय संघर्ष के व्यापक ढाँचे के भीतर क्षेत्रीय मुद्दों को संबोधित करने में सहायता की।
    • समाज सुधारक और विचारक:
      • बी.आर. अंबेडकर जैसे लोगों ने गांधी के तरीकों के कुछ पहलुओं की आलोचना की, लेकिन सामाजिक न्याय और हाशिये पर पड़े समुदायों के अधिकारों पर चर्चा में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
      • उनके कार्यों से यह सुनिश्चित हुआ कि राष्ट्रवादी आंदोलन के माध्यम से सामाजिक असमानता एवं न्याय के मुद्दों का समाधान हो सके।

    निष्कर्ष:

    इन विविध आवाज़ों और दृष्टिकोणों ने सामूहिक रूप से भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन को समृद्ध किया, जिससे यह सुनिश्चित हुआ कि यह सिर्फ स्वतंत्रता के लिये एक राजनीतिक संघर्ष नहीं था, बल्कि एक न्यायपूर्ण एवं समतापूर्ण समाज के लिये एक सामाजिक क्रांति भी थी। विभिन्न विचारधाराओं, रणनीतियों और नेतृत्व शैलियों के परस्पर प्रभाव ने अंततः गांधीवादी चरण के दौरान आंदोलन की व्यापक एवं गतिशील प्रकृति में योगदान दिया।

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