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प्रश्न :
आप एक तटीय ज़िले के ज़िला कलेक्टर हैं। आपके ज़िले में 48 घंटों के भीतर एक भयंकर चक्रवात आने की आशंका है। मौसम विभाग ने रेड अलर्ट जारी किया है, जिसमें 150 किमी./घंटा की वायु की गति, भारी वर्षा और संभावित चक्रवाती लहरों की चेतावनी दी गई है। आपके ज़िले की आबादी लगभग 5 लाख है, जिसमें से 2 लाख लोग निचले तटीय क्षेत्रों में निवास करते हैं, जहाँ बाढ़ का खतरा अधिक है। ज़िले में सीमित निकासी केंद्र हैं, जबकि इतनी बड़ी संख्या में लोगों को कम समय में स्थानांतरित करना और रसद प्रदान करना महत्त्वपूर्ण चुनौती है। ज़िला अस्पताल निचले इलाके में स्थित हैं जहाँ 200 मरीज़ों की व्यवस्था है, जिनमें से 50 मरीज़ पहले से ही ICU में हैं। उन्हें स्थानांतरित करना जोखिम भरा होगा।
इसके अतिरिक्त एक बड़ा मछुआरा समुदाय है, जो अपनी नावों और घरों को छोड़ने के लिये अनिच्छुक है, क्योंकि उन्हें अपनी अनुपस्थिति में लूटपाट का भय है। उनमें से कई लोग मौसम के पूर्वानुमान की गंभीरता पर भी संदेह करते हैं, यदि विगत अनुभवों के आधार पर देखा जाए तो चक्रवात की चेतावनियाँ बड़ी घटनाओं में तब्दील नहीं हुई हैं।
- इस मामले में कौन-कौन से मुख्य हितधारक शामिल हैं?
- आप लोगों की सुरक्षा और निकासी सुनिश्चित करने के लिये तत्काल कौन-से कदम उठाएँगे, मूलतः उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में निवास करने वाले लोगों के लिये?
- आप अपने तटीय ज़िले में आपदा की तैयारी और लचीलेपन को बेहतर बनाने के लिये कौन-से दीर्घकालिक उपाय लागू कर सकते हैं?
उत्तर :
परिचय:
तटीय ज़िले के ज़िला कलेक्टर को 48 घंटों के भीतर संभावित भयंकर चक्रवात का सामना करना पड़ रहा है, जिसमें 150 किमी./घंटा की रफ्तार से पवनें, भारी वर्षा और चक्रवाती लहरों के आने की चेतावनी दी गई है। ज़िले में 5 लाख लोग निवास करते हैं, जबकि 2 लाख लोग उच्च जोखिम वाले तटीय क्षेत्रों में स्थित हैं, सीमित केंद्रों के कारण निकासी के लिये रसद संबंधी चुनौतियाँ भी हैं।
- सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये प्रभावी समन्वय और त्वरित कार्रवाई महत्त्वपूर्ण है।
मुख्य भाग:
1. इस मामले में शामिल प्रमुख हितधारक:
- समुदाय के नेता और निवासियों के साथ संवाद करना, विशेष रूप से कमज़ोर क्षेत्रों में निवास करने वाले लोगों के साथ तथा निकासी आदेशों के अनुपालन को प्रोत्साहित करना। गैर-सरकारी संगठन (NGO) के माध्यम से मत्स्यग्रहण वाले समुदाय की नावों और घरों की सुरक्षा करना, जिसमें उनकी निकासी या उनकी परिसंपत्तियों की सुरक्षा का समन्वय करना शामिल है।
- प्रभावित आबादी को अतिरिक्त सहायता, संसाधन और राहत सामग्री प्रदान करना।
- मीडिया की सहायता लेना।
- जनता को चेतावनियाँ, अपडेट और आपातकालीन जानकारी प्रसारित करना।
- उपयोगिता सेवाएँ (जल, विद्युत, आदि)
- आवश्यक सेवाओं की सुरक्षा और निरंतरता सुनिश्चित करना तथा क्षति के मामले में त्वरित बहाली करना।
- परिवहन सेवाएँ दुरुस्त करना।
- निकासी प्रयासों के लिये वाहन और रसद सहायता प्रदान करना।
- स्वयंसेवकों से सहायता लेना।
- निकासी, राहत सामग्री का वितरण और प्रतिक्रियाकर्त्ताओं को सहायता प्रदान करने जैसे विभिन्न कार्यों में सहायता करना।
हितधारक समूह
भूमिका/उत्तरदायित्व
ज़िला प्रशासन (ज़िला कलेक्टर सहित)
समग्र समन्वय, निर्णय लेना और निकासी तथा आपातकालीन उपायों का कार्यान्वयन।
मौसम विभाग
मौसम पूर्वानुमान, अद्यतन और चेतावनियाँ प्रदान करना।
स्थानीय पुलिस
कानून व्यवस्था बनाए रखना, निकासी में सहायता करना और लूटपाट को रोकना।
स्वास्थ्य विभाग
स्वास्थ्य सेवा सुविधाओं का प्रबंधन करना, रोगी सुरक्षा सुनिश्चित करना और यदि आवश्यक हो तो चिकित्सा निकासी का समन्वय करना।
ज़िला अस्पताल कर्मचारी
रोगियों की देखभाल करना, विशेष रूप से गंभीर स्थिति वाले रोगियों की देखभाल करना और संभावित आपातकालीन निकासी की तैयारी करना।
अग्नि एवं बचाव सेवाएँ
बचाव अभियान चलाना, मलबा हटाना और निकासी में सहायता करना।
राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF)
खोज एवं बचाव अभियान और आपदा प्रबंधन के लिये विशेष सहायता प्रदान करना।
स्थानीय सरकारी अधिकारी
समुदायों के साथ समन्वय करना, स्थानीय जानकारी प्रदान करना और रसद में सहायता करना।
समुदाय के नेता
निवासियों, विशेषकर संवेदनशील क्षेत्रों में निवास करने वाले लोगों से संवाद करना तथा निकासी आदेशों के अनुपालन के लिये प्रोत्साहित करना।
मत्स्यग्रहण वाले समुदाय
उनकी नावों और घरों की सुरक्षा करना तथा उनकी निकासी का समन्वय करना या उनकी संपत्तियों की सुरक्षा करना।
गैर-सरकारी संगठन (NGOs)
प्रभावित आबादी को अतिरिक्त सहायता, संसाधन और राहत सामग्री उपलब्ध कराना।
मीडिया
जनता को चेतावनियाँ, अद्यतन जानकारी और आपातकालीन जानकारी प्रसारित करना।
उपयोगिता सेवाएँ (जल, विद्युत, आदि)
आवश्यक सेवाओं की सुरक्षा और निरंतरता सुनिश्चित करना तथा क्षति की स्थिति में शीघ्र बहाली करना।
परिवहन सेवाएँ
निकासी प्रयासों के लिये वाहन और रसद सहायता उपलब्ध कराना।
स्वयंसेवक
विभिन्न कार्यों में सहायता करना, जैसे कि निकासी, राहत सामग्री का वितरण, तथा प्रत्युत्तरकर्त्ताओं को सहायता प्रदान करना।
2. आप लोगों की सुरक्षा और निकासी सुनिश्चित करने के लिये, विशेष रूप से उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में निवास करने वाले लोगों के लिये क्या तत्काल कार्रवाई करेंगे?
- तत्काल आपातकालीन प्रतिक्रिया सक्रियण:
- सभी प्रमुख अधिकारियों और हितधारकों के साथ एक आपातकालीन बैठक का आह्वान करना।
- चक्रवातों पर NDMA के दिशा-निर्देशों के अनुसार ज़िला आपदा प्रबंधन योजना को सक्रिय करना।
- समग्र गतिविधियों के समन्वय के लिये 24/7 नियंत्रण कक्ष स्थापित करना।
- राज्य सरकार से अतिरिक्त संसाधन और सहायता का अनुरोध करना।
- निकासी रणनीति:
- निकासी क्षेत्रों को प्राथमिकता: निचले तटीय क्षेत्रों में सबसे अधिक असुरक्षित 2 लाख लोगों की पहचान करना और उन्हें प्राथमिकता देना
- सुरक्षित निकासी मार्गों का नक्शा बनाना और उनके पिकअप पॉइंट निर्धारित करना
- निकासी केंद्र: सभी उपलब्ध सरकारी भवनों, स्कूलों और सामुदायिक हॉलों को निकासी केंद्र के रूप में पहचानना तथा तैयार करवाना।
- अतिरिक्त आश्रय क्षमता के लिये पड़ोसी ज़िलों के साथ समन्वय करना।
- सभी केंद्रों पर बुनियादी सुविधाएँ (भोजन, जल, स्वच्छता) सुनिश्चित करना
- परिवहन: निकासी के लिये सभी उपलब्ध सरकारी वाहनों, बसों और नावों को एकत्रित करना।
- अतिरिक्त सहायता के लिये निजी परिवहन प्रदाताओं के साथ समन्वय करना।
- निकासी परिवहन के लिये एक स्पष्ट कार्यक्रम और प्रणाली स्थापित करना।
- अस्पताल और चिकित्सा तैयारी: ज़िला अस्पताल की संरचनात्मक अखंडता का आकलन करना।
- यदि निकासी आवश्यक है, तो:
- रोगी के स्थानांतरण के लिये आस-पास के अस्पतालों और चिकित्सा सुविधाओं के साथ समन्वय करना।
- विशेष चिकित्सा टीमों और उपकरणों के साथ ICU रोगियों को स्थानांतरित करने को प्राथमिकता देना।
- स्थानांतरण के दौरान और उसके पश्चात् देखभाल की निरंतरता सुनिश्चित करना
- यदि निकासी संभव नहीं है, तो:
- रेत की थैलियों (Sandbags) और अन्य सुदृढीकरण के साथ अस्पताल के ढाँचे को मज़बूत करना।
- बैकअप के लिये विद्युत आपूर्ति और आवश्यक चिकित्सा आपूर्ति सुनिश्चित करना।
- चक्रवात के बाद तत्काल सहायता के लिये बचाव दल तैनात करना।
- यदि निकासी आवश्यक है, तो:
- मत्स्यग्रहण वाले समुदाय की भागीदारी: समुदाय के नेताओं और स्थानीय अधिकारियों को सीधे संवाद के लिये जोड़ना।
- समुदाय को चक्रवात की गंभीरता के ठोस साक्ष्य (उपग्रह चित्र, विशेषज्ञ ब्रीफिंग) प्रदान करना और निकासी में तेज़ी लाना।
- लूटपाट को रोकने के लिये खाली किये गए क्षेत्रों में सख्त सुरक्षा उपाय लागू करना
- निकासी को लागू करने के लिये यदि आवश्यक हो तो कानूनी उपायों पर विचार करना
- सार्वजनिक संचार और जागरूकता: निरंतर अपडेट के लिये सभी उपलब्ध मीडिया चैनलों (टीवी, रेडियो, सोशल मीडिया, SMS) का उपयोग करना।
- संवेदनशील क्षेत्रों में लाउडस्पीकर वाले वाहन तैनात करना।
- वैज्ञानिक डेटा साझा करना और आने वाले चक्रवात की असामान्य गंभीरता पर ज़ोर देकर संदेह को दूर करना।
- महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचों का संरक्षण: विद्युत स्टेशनों, जल उपचार संयंत्रों और संचार टावरों को सुरक्षित करना।
- चक्रवात के बाद सेवाओं की त्वरित बहाली के लिये संबंधित विभागों के साथ समन्वय करना।
- निरंतर निगरानी और अनुकूलन: मौसम विभाग के साथ निरंतर संचार बनाए रखना।
- चक्रवात के प्रक्षेपवक्र या तीव्रता में बदलाव के आधार पर योजनाओं को संशोधित करने के लिये तैयार रहना।
- निकासी क्षेत्रों को प्राथमिकता: निचले तटीय क्षेत्रों में सबसे अधिक असुरक्षित 2 लाख लोगों की पहचान करना और उन्हें प्राथमिकता देना
3. आपके तटीय ज़िले में आपदा तैयारी और लचीलेपन में सुधार के लिये कौन-से दीर्घकालिक उपाय लागू किये जा सकते हैं?
- बुनियादी ढाँचे का विकास:
- निकासी केंद्रों का उन्नयन: मौजूदा निकासी केंद्रों की क्षमता बढ़ाना और लोगों के निवास स्थान की स्थिति में सुधार करना।
- उच्च भूमि पर स्थित स्कूलों, सामुदायिक हॉल और सार्वजनिक भवनों जैसी वैकल्पिक निकासी सुविधाओं की खोज करना।
- समुद्री भित्तियों और जलावरोधों का निर्माण: उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में चक्रवाती लहरों और बाढ़ के प्रभाव को कम करने के लिये समुद्री भित्तियों तथा जलावरोध जैसे तटीय सुरक्षा बुनियादी ढाँचे में निवेश करना।
- महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करना: बाढ़ और चक्रवात से कम प्रभावित क्षेत्रों के ज़िला अस्पतालों के महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे में सुधार करना।
- निकासी केंद्रों का उन्नयन: मौजूदा निकासी केंद्रों की क्षमता बढ़ाना और लोगों के निवास स्थान की स्थिति में सुधार करना।
- सामुदायिक सहभागिता और क्षमता निर्माण:
- जन जागरूकता अभियान: आपदा की तैयारियों के बारे में नियमित जन जागरूकता अभियान संचालित करना, चक्रवात के जोखिम, प्रारंभिक चेतावनी संकेत, निकासी प्रक्रिया और सुरक्षा उपायों के बारे में निवासियों को शिक्षित करना।
- सामुदायिक आपदा प्रबंधन समितियाँ: प्रशिक्षित स्वयंसेवकों के साथ समुदाय-आधारित आपदा प्रबंधन समितियों की स्थापना करना और उन्हें सशक्त बनाना।
- ये समितियाँ सूचना प्रसारित करने, मॉक ड्रिल आयोजित करने और निकासी में सहायता करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएँगी।
- आजीविका विविधीकरण: मत्स्यग्रहण वाले समुदाय को मत्स्यग्रह से परे अपनी आजीविका में विविधता लाने के लिये प्रोत्साहित करना, आपदा के दौरान नावों पर उनकी निर्भरता को कम करना।
- इसमें जलीय कृषि, बढ़ईगीरी या छोटे व्यवसायों में प्रशिक्षण कार्यक्रम शामिल हो सकते हैं।
- बेहतर संचार और योजना:
- पूर्व चेतावनी प्रणाली: मज़बूत पूर्व चेतावनी प्रणाली में निवेश करना जो सायरन, एसएमएस अलर्ट और स्थानीय मीडिया जैसे विभिन्न संचार चैनलों का उपयोग करती हो ताकि प्रत्येक निवासी तक समय पर चेतावनी पहुँच सके।
- निकासी योजनाएँ: स्पष्ट मार्गों, निर्दिष्ट सभास्थलों और कमज़ोर आबादी के लिये परिवहन व्यवस्था के साथ व्यापक निकासी योजनाएँ विकसित करना।
- सूची और संसाधन प्रबंधन: भोजन, जल, औषधि एवं निर्माण सामग्री जैसी आवश्यक आपूर्तियों की विस्तृत सूची बनाए रखना।
- आपदा के दौरान अतिरिक्त संसाधनों के लिये गैर सरकारी संगठनों और निजी कंपनियों के साथ साझेदारी स्थापित करना।
- स्थानीय चिंताओं को संबोधित करना:
- सामुदायिक पुलिसिंग: लूटपाट के संदर्भ में मत्स्याग्रहण वाले समुदाय की चिंताओं को संबोधित करने के लिये, आपदा में निकासी के दौरान सामुदायिक पुलिसिंग कार्यक्रम और पड़ोसी निगरानी पहल को लागू करना।
- ऐतिहासिक डेटा विश्लेषण: ऐतिहासिक डेटा का विश्लेषण करने और मौसम पूर्वानुमान की सटीकता में सुधार करने के लिये मौसम विज्ञान विभागों के साथ साझेदारी करना। यह भविष्य की चेतावनियों में विश्वास बनाने में सहायक हो सकता है।
निष्कर्ष:
आगामी चक्रवात एक महत्त्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत करता है। प्रस्तावित उपायों को लागू करके, ज़िले में भविष्य के खतरों के लिये लचीलापन बना सकता है। यह सक्रिय दृष्टिकोण जीवन को बचाता है, क्षति को कम करता है और तीव्रता के साथ रिकवरी को बढ़ावा देता है। सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि यह समुदाय को अपनी सुरक्षा में सक्रिय भागीदार बनने के लिये सशक्त बनाता है। प्रतिक्रियात्मक से सक्रिय आपदा प्रबंधन में यह बदलाव तटीय ज़िले के लिये अधिक सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित करेगा।
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