समावेशी विकास हासिल करने के लिये वित्तीय समावेशन महत्त्वपूर्ण है। भारत में वित्तीय समावेशन में हुई प्रगति और उसके समक्ष चुनौतियों पर चर्चा कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- वित्तीय समावेशन को परिभाषित करके उत्तर प्रस्तुत कीजिये
- भारत में वित्तीय समावेशन में हुई प्रगति पर प्रकाश डालिये
- मौजूद चुनौतियों पर विचार कीजिये
- आगे की राह सुझाते हुए निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय :
वित्तीय समावेशन समाज के सभी वर्गों, विशेष रूप से वंचित और बैंक रहित आबादी के लिये बैंक खाते, ऋण, बीमा एवं भुगतान जैसे किफायती व उचित वित्तीय उत्पादों तथा सेवाओं तक पहुँच सुनिश्चित करने की प्रक्रिया है।
- यह हाशिये पर रहे समुदायों की आर्थिक भागीदारी और सशक्तीकरण को सक्षम करके समावेशी विकास को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
मुख्य भाग :
भारत में वित्तीय समावेशन में हुई प्रगति:
- खाता खोलना: जून 2024 तक प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY) के तहत 52 करोड़ से अधिक लाभार्थी खाते खोले जा चुके हैं, जिनमें जमा राशि 2.2 लाख करोड़ रुपए से अधिक है।
- यह योजना बुनियादी बैंकिंग खाते और ओवरड्राफ्ट सुविधाएँ प्रदान करती है, जिससे बैंकिंग सेवाओं से वंचित लोग औपचारिक वित्तीय प्रणाली में आ जाते हैं।
- बैंकिंग अवसंरचना का विस्तार: पहुँच बढ़ाने के लिये भारत ने शाखाओं, एटीएम और बैंकिंग कॉरेस्पोंडेंट (BC) सहित बैंकिंग अवसंरचना का महत्त्वपूर्ण विस्तार देखा है।
- निजी बैंकों ने 2015 से शाखाओं की संख्या में 60% की वृद्धि की है।
- बिज़नेस कॉरेस्पोंडेंट मॉडल ने दूर-दराज़ के क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं की लास्ट माइल डिलीवरी की सुविधा प्रदान की है।
- डिजिटल वित्तीय समावेशन: सरकार ने यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI), आधार-सक्षम भुगतान प्रणाली (AePS) और RuPay कार्ड नेटवर्क जैसी पहलों के माध्यम से डिजिटल वित्तीय सेवाओं को बढ़ावा दिया है।
- वित्त वर्ष 24 में भारत ने लगभग 131 बिलियन UPI लेनदेन दर्ज किये।
- AePS ने दूर-दराज़ के क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं के लिये आधार-आधारित बायोमेट्रिक प्रमाणीकरण को सक्षम किया है।
- ऋण पहुँच: प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY) और स्टैंड-अप इंडिया जैसी योजनाओं ने छोटे व्यवसायों, उद्यमियों तथा वंचित समुदायों के लिये ऋण तक पहुँच को आसान बनाया है।
- मार्च 2024 तक, PMMY के तहत 27.75 लाख करोड़ रुपए के ऋण वितरित किये जा चुके हैं।
- बीमा कवरेज़: प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (PMSBY) और प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (PMJJBY) ने लाखों कम आय वाले परिवारों को किफायती बीमा कवरेज़ प्रदान किया है।
तत्कालीन चुनौतियाँ:
- स्थायी लैंगिक अंतर: प्रगति के बावजूद, वित्तीय सेवाओं तक पहुँच में लैंगिक अंतर बना हुआ है, जिसमें महिलाओं को सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है।
- भारत में महिलाओं के पास 35% बैंक खाते हैं, लेकिन मार्च 2023 तक कुल जमा राशि का केवल 20% ही उनके पास है।
- कम वित्तीय साक्षरता: वित्तीय साक्षरता का निम्न स्तर, विशेष रूप से हाशिये पर पड़े समुदायों में वित्तीय सेवाओं के प्रभावी उपयोग में बाधा के रूप में कार्य करता है।
- हाल ही में किये गए सर्वेक्षणों से पता चलता है कि भारत की केवल 27% आबादी ही वित्तीय रूप से साक्षर है
- सीमित खाता उपयोग: दिसंबर 2023 तक लगभग 20% PMJDY खाते निष्क्रिय थे, जो बुनियादी खातों से परे वित्तीय उत्पादों के सीमित उपयोग को दर्शाता है।
- वित्तीय समावेशन पहलों की स्थिरता और व्यवहार्यता: वित्तीय समावेशन पहलों की स्थिरता और व्यवहार्यता बनाए रखना एक चुनौती बनी हुई है, क्योंकि कई कार्यक्रम सरकारी सब्सिडी या अन्य बैंकिंग सेवाओं से क्रॉस-सब्सिडी पर निर्भर हैं।
आगे की राह
- वित्तीय साक्षरता पर ध्यान देना: विशिष्ट जनसांख्यिकी पर लक्षित वित्तीय साक्षरता अभियान व्यक्तियों को सूचित वित्तीय निर्णय लेने और वित्तीय उत्पादों का प्रभावी ढंग से उपयोग करने हेतु सशक्त बना सकते हैं।
- उत्पाद नवाचार: कम आय वाले समूहों के लिये अनुकूलित सूक्ष्म बीमा और सूक्ष्म ऋण जैसे आवश्यकता-आधारित वित्तीय उत्पादों का विकास, उनकी विशिष्ट वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा कर सकता है।
- फिनटेक का लाभ उठाना: विभिन्न सरकारी टचपॉइंट्स में फिनटेक समाधानों के आगे एकीकरण से वित्तीय सेवाओं की पहुँच और सामर्थ्य में वृद्धि हो सकती है, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में।
- अभय जैसे क्रेडिट परामर्श केंद्र स्थापित करना।
- रंगराजन समिति की सिफारिशों पर कार्रवाई करना: जोखिमों को प्रभावी ढंग से कम करने हेतु गरीबों के लिये वित्तीय सेवाओं के एक महत्त्वपूर्ण घटक के रूप में सूक्ष्म बीमा को बढ़ावा देना।
- सहकारी ऋण प्रणाली के लिये पुनरुद्धार पैकेज को लागू करना ताकि वित्तीय समावेशन में इसकी भूमिका को मज़बूत किया जा सके और इसके लिये पर्याप्त वित्तीय सहायता दी जा सके।
- छोटे और काश्तकारों जैसे मध्यम वर्ग के ग्राहकों को बिना किसी ज़मानत के ऋण देने के लिये जेएलजी मॉडल को अपनाना एवं बढ़ावा देना।
- डिजिटल डिवाइड को कम करना: इंटरनेट पहुँच का विस्तार करना और डिजिटल साक्षरता कार्यक्रमों को बढ़ावा देना यह सुनिश्चित करने के लिये महत्त्वपूर्ण है कि हर कोई डिजिटल वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र में भाग ले सके।
निष्कर्ष:
वित्तीय समावेशन की दिशा में भारत की यात्रा सराहनीय है। हालाँकि वित्तीय समावेशन पर रंगराजन समिति की रिपोर्ट की सिफारिशों के अनुसार शेष चुनौतियों का समाधान करके, भारत यह सुनिश्चित कर सकता है कि वित्तीय समावेशन का लाभ समाज के सभी वर्गों तक पहुँचे, जिससे समावेशी एवं स्थायी आर्थिक विकास को बढ़ावा मिले।