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प्रश्न :
परिवहन तथा आर्थिक विकास के संदर्भ में अंतर्देशीय जलमार्गों के महत्त्व का विश्लेषण कीजिये। भारत में नदियों के माध्यम से होने वाले नौवहन से संबंधित भौगोलिक चुनौतियों पर चर्चा कीजिये। (250 शब्द)
17 Jun, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोलउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- अंतर्देशीय जलमार्गों पर गहनता से विचार करते हुए उत्तर लिखिये।
- अंतर्देशीय जलमार्गों के महत्त्व पर प्रकाश डालिये।
- भारत में नदियों पर नौवहन से जुड़ी भौगोलिक चुनौतियों पर गहनता से विचार कीजिये।
- तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।
परिचय:
अंतर्देशीय जलमार्ग नौगम्य नदियों, नहरों, झीलों और अन्य अंतर्देशीय जल निकायों को संदर्भित करते हैं, जिनका उपयोग माल तथा यात्रियों के परिवहन एवं आवागमन के लिये किया जाता है।
ये जलमार्ग सड़कों और रेलवे के लिये परिवहन के वैकल्पिक साधन के रूप में कार्य करते हैं, जो माल तथा लोगों को उनके आवागमन के अनुकूल लागत प्रभावी स्वरूप प्रदान करते हैं।
मुख्य भाग:
अंतर्देशीय जलमार्ग का महत्त्व:
- परिवहन का लागत-प्रभावी स्वरूप: अंतर्देशीय जलमार्ग, परिवहन का अत्यधिक लागत-प्रभावी स्वरूप प्रदान करते हैं, विशेषतः थोक वस्तुओं और भारी माल के लिये।
- सड़क और रेल परिवहन की तुलना में परिचालन लागत काफी कम है, जिससे परिवहन व्यय कम होता है तथा व्यवसायों के लिये लाभप्रदता बढ़ती है।
- उदाहरण: राष्ट्रीय जलमार्ग-1 (गंगा-भागीरथी-हुगली नदी प्रणाली) माल और कच्चे माल के लिये लागत-प्रभावी परिवहन मार्ग प्रदान करता है।
- पर्यावरणीय स्थिरता: अंतर्देशीय जलमार्गों को अन्य साधनों की तुलना में न्यून कार्बन उत्सर्जन और न्यून वायु प्रदूषण के कारण परिवहन का अधिक पर्यावरण अनुकूल स्वरूप माना जाता है।
- अंतर्देशीय जल परिवहन के लिये ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन सड़क परिवहन की तुलना में लगभग 40% कम है, जो सतत् विकास लक्ष्यों का समर्थन करता है।
- कनेक्टिविटी और आर्थिक विकास: अंतर्देशीय जलमार्ग माल और लोगों के आवागमन को सुविधाजनक बनाते हैं, जो दूर-दराज़ के क्षेत्रों एवं शहरी केंद्रों के बीच कनेक्टिविटी को बढ़ावा देते हैं।
- वे नदी तटों की आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करते हैं, जिसमें उद्योगों, कृषि और व्यापार के विकास को बढ़ावा देना शामिल है।
- उदाहरण: संयुक्त राज्य अमेरिका में मिसिसिपी नदी ने मध्य-पश्चिम क्षेत्र के आर्थिक विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
भारत में नदियों पर नौवहन से जुड़ी भौगोलिक चुनौतियाँ:
- जल प्रवाह में मौसमी बदलाव: कई भारतीय नदियों में जल प्रवाह में मौसमी बदलाव देखने को मिलते हैं, जिसमें मानसून के मौसम में अधिक जल्स्राव और शुष्क मौसम में कम जल स्तर शामिल है।
- जल स्तर में यह उतार-चढ़ाव नौगम्य गहराई को बनाए रखने के लिये चुनौतियाँ पेश करता है, जिससे अंतर्देशीय जलमार्ग परिवहन के लिये परिचालन अवधि सीमित हो जाती है।
- उदाहरण: गंगा नदी में जल स्तर में महत्त्वपूर्ण बदलाव देखने को मिलते हैं, जिससे कुछ हिस्सों में संपूर्ण वर्ष नौवहन में बाधा उत्पन्न होती है।
- गाद और उथलेपन का निर्माण: कई भारतीय नदियों में अवसादन भार बहुत अधिक होता है, जिससे गाद जम जाती है और नदी के तटीय उथलेपन (उथले क्षेत्र) का निर्माण होता है।
- ये अवरोध जहाज़ों के आवागमन में बाधा डाल सकते हैं और नौगम्य गहराई बनाए रखने के लिये नियमित रूप से ड्रेजिंग की आवश्यकता होती है।
- उदाहरण: असम में ब्रह्मपुत्र नदी अपने उच्च अवसाद भार के लिये जानी जाती है, जिससे प्रायः उथलेपन का निर्माण होता है और नौवहन में चुनौतियाँ आती हैं।
- नदियों की घुमावदार प्रकृति: कई भारतीय नदियों में घुमावदार प्रकृति होती है, जिसमें तीक्ष्ण मोड़ और घुमाव होते हैं जो नौवहन में बाधा उत्पन्न कर सकते हैं, मूलतः बड़े जहाज़ों के लिये।
- इन मोड़ों पर विशिष्ट तकनीकों की आवश्यकता हो सकती है और इनमें फँसने या टकराने का जोखिम हो सकता है।
- रैपिड्स और झरनों की उपस्थिति: कुछ भारतीय नदियों, विशेष रूप से पहाड़ी और पर्वतीय क्षेत्रों में रैपिड्स तथा झरनों वाले खंड हैं, जो नेविगेशन के लिये खतरनाक हो सकते हैं।
- इन प्राकृतिक बाधाओं के लिये जहाज़ों के मार्ग को सुविधाजनक बनाने के लिये बुनियादी ढाँचे के निर्माण की आवश्यकता हो सकती है।
- उदाहरण: कावेरी नदी का शिवनसमुद्रम् जलप्रपात।
निष्कर्ष:
सतत् अवसंरचना विकास में नदी प्रशिक्षण कार्यों और प्रभावी जल संसाधन प्रबंधन के माध्यम से भौगोलिक चुनौतियों का समाधान करके, सतत् आर्थिक विकास तथा क्षेत्रीय एकीकरण के लिये भारत के अंतर्देशीय जलमार्ग नेटवर्क की संपूर्ण क्षमता का दोहन किया जा सकता है।
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