भारत में हीट वेव की आवृत्ति एवं तीव्रता लगातार बढ़ रही है। भारतीय शहरों में हीट वेव की प्रभावी शमन रणनीतियाँ बताइये। (250 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- हीटवेव को परिभाषित करते हुए परिचय लिखिये।
- भारत में तीव्र हीटवेव के लिये ज़िम्मेदार कारकों पर प्रकाश डालिये।
- भारतीय शहरों में हीटवेव के लिये शमन रणनीतियाँ बताइये।
- तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय:
हीटवेव अत्यधिक गर्म मौसम की लंबी अवधि होती है, जिसमें तापमान किसी विशेष क्षेत्र और वार्षिक समय के लिये सामान्य से काफी अधिक होता है। IMD के अनुसार भारत में हीटवेव के दिनों की संख्या वर्ष 1981-1990 के दौरान 413 से बढ़कर वर्ष 2011-2020 में 600 हो गई है।
मुख्य भाग:
भारत में तीव्र हीटवेव के लिये ज़िम्मेदार कारक:
- शहरी ऊष्मा द्वीप प्रभाव: तीव्र शहरीकरण और शहरों के विस्तार के कारण निर्मित क्षेत्रों में वृद्धि हुई है, जो प्राकृतिक परिदृश्यों की तुलना में अधिक ऊष्मा को अवशोषित तथा बनाए रखते हैं। इससे शहरी ऊष्मा द्वीप का निर्माण होता है, जिससे शहरों में हीटवेव की तीव्रता बढ़ जाती है।
- उदाहरण के लिये इस प्रभाव के कारण दिल्ली और मुंबई में आस-पास के ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में अधिक तापमान का अनुभव हुआ है।
- वनाच्छादन और हरित आवरण का नुकसान: शहरी क्षेत्रों में वनाच्छादन और हरित स्थानों में कमी ने वनस्पति द्वारा प्रदान किये जाने वाले प्राकृतिक शीतलन प्रभावों को कम कर दिया है।
- बेंगलुरु जैसे शहरों में हरित आवरण के नुकसान ने हीटवेव की तीव्रता की वृद्धि में योगदान दिया है।
- जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग: जलवायु परिवर्तन के कारण वैश्विक तापमान में वृद्धि ने भारत में हीटवेव की आवृत्ति, अवधि और तीव्रता को बढ़ा दिया है।
- तैयारी और अनुकूलन उपायों का अभाव: कई भारतीय शहरों में हीटवेव से निपटने के लिये पर्याप्त तैयारी तथा अनुकूलन उपायों का अभाव है।
- शीतलन अवसंरचना तक सीमित पहुँच, अपर्याप्त प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली और हीटवेव जोखिमों के बारे में अपर्याप्त सार्वजनिक जागरुकता उसके प्रभावों की गंभीरता में योगदान करती है। कई शहरों में व्यापक हीट एक्शन प्लान की कमी ने आबादी को असुरक्षित बना दिया है।
- मानवजनित गतिविधियाँ: औद्योगिक प्रक्रियाएँ, परिवहन और ऊर्जा खपत जैसी मानवीय गतिविधियाँ अपशिष्ट ऊष्मा तथा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन उत्पन्न करती हैं, जो शहरी ऊष्मा द्वीप प्रभाव एवं ग्लोबल वार्मिंग में व योगदान देती हैं।
- वर्ष 2024 में दिल्ली में भीषण हीटवेव, जिसमें कुछ क्षेत्रों में तापमान 49 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जाएगा।
भारतीय शहरों में हीटवेव से निपटने की रणनीतियाँ:
- ऊष्मा प्रतिरोधी अवसंरचना: ऊष्मा अवशोषण को कम करने के लिये फुटपाथों और छतों के लिये परावर्तक सामग्रियों के उपयोग को बढ़ावा देना।
- शहरी हरियाली पहल (Urban Greening Initiatives): प्राकृतिक शीतलन सिंक निर्माण के लिये शहरी वन, पार्क और छत उद्यान (Rooftop Garden) विकसित करना।
- इन्सुलेशन प्रदान करने और परिवेशी वायु तापमान को कम करने के लिये भवन के अग्रभाग पर ऊर्ध्वाधर उद्यानों को प्रोत्साहित करना।
- हीट एक्शन प्लान: शहरी स्तर पर व्यापक गर्मी से निपटने के लिये हीट एक्शन प्लान विकसित और कार्यान्वित करना।
- इन योजनाओं में गर्मी का पूर्वानुमान, रियल टाइम अलर्ट और गर्मी से संबंधित बीमारियों तथा निवारक उपायों के बारे में नागरिकों को शिक्षित करने के लिये आउटरीच कार्यक्रम शामिल होने चाहिये।
- कमज़ोर आबादी तक पहुँच: बुज़ुर्गों, बच्चों और अनौपचारिक बस्तियों में रहने वाले लोगों जैसी कमज़ोर आबादी तक पहुँच जैसे कार्यक्रमों की पहचान करना तथा उन्हें लक्षित करना, जो हीटस्ट्रोक के प्रति अधिक संवेदनशील हैं।
- स्मार्ट ग्रिड प्रबंधन: विद्युत वितरण को अनुकूलित करने और हीटवेव के दौरान पीक डिमांड को कम करने के लिये स्मार्ट ग्रिड तकनीक लागू करना। इससे विद्युत की कटौती को रोकने में मदद मिल सकती है जो गर्मी के तनाव को बढ़ाती है।
निष्कर्ष:
शहरी नियोजन, पूर्व चेतावनी प्रणालियों, तकनीकी हस्तक्षेपों और सामुदायिक सहभागिता को मिलाकर एक समग्र दृष्टिकोण अपनाकर, शहर लचीलापन विकसित कर सकते हैं तथा हीटवेव के विनाशकारी प्रभावों को कम कर सकते हैं, जिससे सतत् विकास लक्ष्य (SDG) 11: सतत् शहर एवं समुदाय को प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ा जा सकता है।