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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    "आर्थिक सशक्तीकरण के बिना सामाजिक न्याय प्राप्त नहीं किया जा सकता है।" भारत में गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों के संदर्भ में इस कथन पर चर्चा कीजिये। (150 शब्द)

    11 Jun, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 2 सामाजिक न्याय

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • सामाजिक न्याय और आर्थिक सशक्तीकरण के बीच संबंध का उल्लेख करते हुए परिचय लिखिये।
    • सामाजिक न्याय के लिये एक पूर्वापेक्षा के रूप में आर्थिक सशक्तीकरण पर गहनता से विचार कीजिये।
    • आर्थिक सशक्तीकरण के लिये उत्प्रेरक के रूप में सामाजिक न्याय की विशेषता वाले प्रमुख तर्कों का उल्लेख कीजिये।
    • तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    सामाजिक न्याय और आर्थिक सशक्तीकरण एक-दूसरे से जुड़ी अवधारणाएँ हैं जो गरीबी को कम करने तथा समावेशी विकास को बढ़ावा देने के प्रयासों पर केंद्रित हैं।

    • "आर्थिक सशक्तीकरण के बिना सामाजिक न्याय प्राप्त नहीं किया जा सकता" उक्त कथन इस धारणा को समाहित करता है कि आर्थिक असमानताओं को दूर करना और आर्थिक आत्मनिर्भरता के अवसर प्रदान करना सामाजिक समानता तथा न्याय को साकार करने की दिशा में महत्त्वपूर्ण कदम हैं।

    सामाजिक न्याय के लिये आर्थिक सशक्तीकरण एक पूर्व शर्त:

    • सामाजिक समावेशन में बाधा के रूप में गरीबी: गरीबी प्रायः शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और अन्य आवश्यक सेवाओं से वंचित करती है।
      • गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों के माध्यम से आर्थिक सशक्तीकरण इन सेवाओं तक पहुँच प्रदान कर सकता है, जिससे सामाजिक समावेशन और समानता को बढ़ावा मिलता है।
      • उदाहरण: महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) ने ग्रामीण परिवारों को रोज़गार के अवसर और आय सुरक्षा प्रदान की है, जिससे उन्हें बुनियादी आवश्यकताओं तक पहुँचने में मदद मिली है।
    • भागीदारी और एजेंसी को सक्षम बनाना: गरीबी किसी व्यक्ति की निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में भाग लेने की क्षमता को सीमित कर सकती है, जो उनके जीवन को प्रभावित करती हैं।
      • कौशल विकास, उद्यमशीलता और वित्तीय समावेशन के माध्यम से आर्थिक सशक्तीकरण सामाजिक प्रक्रियाओं में एजेंसी तथा भागीदारी को बढ़ा सकता है।
      • उदाहरण: स्व-सहायता समूह (SHG) आंदोलन ने महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया है, जिससे उन्हें घरेलू और सामुदायिक निर्णयों में अपनी बात रखने में सक्षम बनाया गया है।
    • अंतर-पीढ़ीगत गरीबी के चक्र को तोड़ना: गरीबी, पीढ़ियों तक बनी रह सकती है और सामाजिक गतिशीलता में बाधा डाल सकती है, जिससे असमानताओं में वृद्धि हो सकती है।
      • आर्थिक सशक्तीकरण कार्यक्रम जो शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण और संपत्ति निर्माण पर ध्यान केंद्रित करते हैं, इस चक्र को तोड़ सकते हैं तथा भविष्य की पीढ़ियों के लिये सामाजिक न्याय को बढ़ावा दे सकते हैं।
      • उदाहरण: सुकन्या समृद्धि योजना माता-पिता को अपनी बेटियों के भविष्य में निवेश करने के लिये एक सुरक्षित और आकर्षक निवेश विकल्प प्रदान करती है, जो वित्तीय असुरक्षा तथा निर्भरता के चक्र को तोड़ती है।

    आर्थिक सशक्तीकरण के उत्प्रेरक के रूप में सामाजिक न्याय:

    • प्रणालीगत असमानताओं को संबोधित करना: समावेशिता को बढ़ावा देने वाली और भेदभाव को संबोधित करने वाली नीतियाँ तथा कार्यक्रम आर्थिक सशक्तीकरण के लिये मार्ग खोल सकते हैं।
      • उदाहरण: अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम का उद्देश्य हाशिये पर पड़े समुदायों के अधिकारों की रक्षा करना तथा उनकी आर्थिक प्रगति के लिये अनुकूल वातावरण का निर्माण करना है।
    • समावेशी विकास को बढ़ावा देना: सामाजिक न्याय के सिद्धांत विकास प्रक्रियाओं में हाशिये पर पड़े और कमज़ोर समूहों को शामिल करने पर ज़ोर देते हैं।
      • समावेशी विकास दृष्टिकोण आर्थिक अवसर उत्पन्न कर सकते हैं और संसाधनों एवं सेवाओं तक समान पहुँच सुनिश्चित कर सकते हैं।
      • उदाहरण: सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना (SECC) ने लक्षित निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रमों के लिये आर्थिक रूप से वंचित परिवारों की पहचान की सुविधा प्रदान की है।
    • मानव क्षमताओं का निर्माण: बेहतर मानव क्षमताओं पर ध्यान केंद्रित करने वाली सामाजिक न्याय पहल बेहतर आर्थिक अवसरों और स्थायी आजीविका का मार्ग प्रशस्त कर सकती है।
      • उदाहरण: एकीकृत बाल विकास सेवा (ICDS) कार्यक्रम का उद्देश्य वंचित समुदायों के बच्चों के स्वास्थ्य, पोषण और प्रारंभिक बचपन की शिक्षा में सुधार करना है, जिससे उनके भविष्य के आर्थिक सशक्तीकरण की नींव रखी जा सके।

    निष्कर्ष:

    इस तरह, सामाजिक न्याय और आर्थिक सशक्तीकरण के बीच एक सहक्रियात्मक संबंध है। जो अंतर-असमानताओं को संबोधित करके तथा स्थायी आजीविका को बढ़ावा देकर, भारत समावेशी विकास एवं सामाजिक परिवर्तन का एक बेहतरीन चक्र का निर्माण कर सकता है व SDG, विशेष रूप से लक्ष्य 1 (गरीबी उन्मूलन), लक्ष्य 5 (लैंगिक समानता)और लक्ष्य एवं (असमानताओं में कमी) को प्राप्त करने की दिशा में प्रगति को तेज़ कर सकता है।

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