वितरणात्मक न्याय और प्रक्रियात्मक न्याय के बीच अंतर बताइये। न्यायपूर्ण समाज सुनिश्चित करने के लिये समानता के सिद्धांतों को कानूनी और सामाजिक ढाँचों में कैसे शामिल किया जा सकता है? (150 शब्द)
06 Jun, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न
हल करने का दृष्टिकोण:
|
परिचय:
न्यायपूर्ण समाज की स्थापना के लिये दो मौलिक अवधारणाएँ उभर कर सामने आती हैं: वितरणात्मक न्याय, जो सामाजिक लाभों और भारों के निष्पक्ष आवंटन से संबंधित है तथा प्रक्रियात्मक न्याय जो निर्णय लेने की प्रक्रियाओं की निष्पक्षता पर केंद्रित है।
जैसे-जैसे असमानता, जलवायु परिवर्तन और तकनीकी व्यवधान जैसी वैश्विक चुनौतियाँ तीव्र होती जा रही हैं, वितरणात्मक न्याय, प्रक्रियात्मक न्याय तथा समानता में सामंजस्य स्थापित करना न केवल एक दार्शनिक आदर्श बन गया है, बल्कि सामाजिक स्थिरता एवं मानव गरिमा के लिये एक व्यावहारिक आवश्यकता बन गया है।
मुख्य भाग:
वितरणात्मक न्याय और प्रक्रियात्मक न्याय के बीच अंतर:
पहलू |
वितरात्मक न्याय |
प्रक्रियात्मक न्याय |
मुख्य प्रश्न |
"किसको क्या मिलेगा और क्या यह उचित है?" |
"क्या निर्णय लेने की प्रक्रिया निष्पक्ष है?" |
केंद्र |
वितरण के परिणाम |
निर्णय लेने की प्रक्रिया |
मुख्य चिंता |
आवंटन की निष्पक्षता |
प्रक्रियाओं की निष्पक्षता |
महत्त्वपूर्ण तत्त्व |
समता, समानता, योग्यता, आवश्यकता |
आवाज, तटस्थता, सम्मान, विश्वास |
ऐतिहासिक विकास |
सामाजिक न्याय के सिद्धांतों में निहित |
प्राकृतिक न्याय के कानूनी सिद्धांतों से विकसित |
सिद्धांत |
समतावाद, योग्यतावाद, आवश्यकता-आधारित, सामाजिक अनुबंध |
उचित प्रक्रिया, पारदर्शिता, निष्पक्षता |
कानूनी उदाहरण |
प्रगतिशील कराधान |
निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार |
सामाजिक उदाहरण |
सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा, कल्याण कार्यक्रम |
सार्वजनिक परामर्श, पारदर्शी नियुक्ति |
आलोचना |
प्रक्रिया के महत्त्व को नज़रअंदाज़ किया जा सकता है |
अनुचित परिणामों को भी उचित बना सकते हैं |
कानूनी और सामाजिक ढाँचे में समानता को शामिल करना:
निष्कर्ष:
न्यायपूर्ण समाज की ओर यात्रा जटिल है, जिसके लिये वितरणात्मक और प्रक्रियात्मक न्याय के बीच एक कमज़ोर संतुलन की आवश्यकता होती है, जो समानता के सिद्धांतों से जुड़ा हो। इस संतुलन के लिये प्रयास करके हम एक ऐसी दुनिया का निर्माण कर सकते हैं जहाँ निष्पक्षता को न केवल इस बात से मापा जाता है कि हम क्या आवंटित करते हैं, बल्कि इस बात से भी मापा जाता है कि हम कैसे निर्णय लेते हैं और क्या हम सबसे कमज़ोर लोगों का उत्थान करते हैं। यह सच्चे न्याय का सार है ताकि एक ऐसा समाज का निर्माण हो जहाँ प्रत्येक व्यक्ति को उचित अवसर मिले।