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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    उपयोगितावाद और कर्त्तव्यवाद के नैतिक सिद्धांतों पर चर्चा कीजिये। निर्णय लेने के अपने दृष्टिकोण में ये सिद्धांत किस प्रकार भिन्न हैं? (150 शब्द)

    06 Jun, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • उपयोगितावाद और कर्त्तव्यवाद के उद्भव का परिचय देते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • उपयोगितावाद और कर्त्तव्यवाद के नैतिक सिद्धांत बताइये।
    • दोनों के दृष्टिकोणों में मुख्य अंतर बताइये।
    • तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    नैतिक दर्शन में उचित और अनुचित का निर्धारण करने की खोज ने विभिन्न नैतिक ढाँचों के विकास को जन्म दिया है।

    • इनमें से उपयोगितावाद और कर्त्तव्यवाद दो सबसे प्रभावशाली तथा व्यापक रूप से चर्चित सिद्धांत हैं।
    • दोनों ही नैतिक दुविधाओं को देखने के लिये अलग-अलग दृष्टिकोण प्रदान करते हैं।

    मुख्य भाग:

    उपयोगितावाद और कर्त्तव्यवाद के नैतिक सिद्धांत:

    • उपयोगितावाद:
      • नैतिक सिद्धांत: जेरेमी बेंथम और जॉन स्टुअर्ट मिल द्वारा समर्थित उपयोगितावाद, लोगों के लिये समग्र कल्याण को अधिकतम करने पर ज़ोर देता है।
      • उदाहरण: बड़ी संख्या में नागरिकों के लिये किफायती आवास के निर्माण के लिये एक ऐतिहासिक इमारत को ध्वस्त करने के नीतिगत निर्णय पर विचार करना।
        • एक उपयोगितावादी सांस्कृतिक स्थल के नुकसान के बावजूद इस कार्रवाई का समर्थन करेगा, क्योंकि इससे अधिक संख्या में लोगों को लाभ होगा।
    • कर्त्तव्यवाद:
      • नैतिक सिद्धांत: कर्त्तव्यवाद, जिसके प्रमुख व्यक्तित्व इमैनुअल कांट हैं, परिणामों की परवाह किये बिना कार्यों की अंतर्निहित उचितता या अनुचितता पर ध्यान केंद्रित करता है।
        • इस मामले में कुछ नैतिक कर्त्तव्यों और सिद्धांतों को निरपेक्ष एवं सार्वभौमिक माना जाता है।
      • उदाहरण: ऐसी स्थिति जिसमें कोई सरकारी अधिकारी किसी विदेशी अधिकारी को रिश्वत देकर कोई महत्त्वपूर्ण आर्थिक सौदा हासिल कर सकता है।
        • देश की अर्थव्यवस्था के लिये संभावित लाभ के बावजूद, एक कर्त्तव्यनिष्ठ व्यक्ति रिश्वतखोरी पर आपत्ति करेगा क्योंकि यह ईमानदारी के सिद्धांत का उल्लंघन करता है।

    दोनों के दृष्टिकोणों में मुख्य अंतर:

    पहलू उपयोगितावाद कर्त्तव्यवाद
    केंद्र कार्यों के परिणाम नैतिक नियमों या कर्त्तव्यों का पालन
    निर्णय का आधार परिणाम और समग्र कल्याण नैतिक कानूनों के प्रति आशय और पालन
    लचीलापन उच्च; परिणामों के आधार पर कार्यों का मूल्यांकन निम्न; नियमों के अनुरूप कार्यों का मूल्यांकन
    महत्त्वपूर्ण प्रश्न "सर्वोत्तम परिणाम किससे प्राप्त होता है?" "मेरे नैतिक कर्त्तव्य क्या हैं?"
    मुख्य आलोचना अच्छे उद्देश्यों के लिये अनैतिक साधनों को उचित ठहराया जा सकता है कठोर, अव्यावहारिक निर्णय हो सकते हैं
    अनुप्रयोग प्रायः लोक नीति, अर्थशास्त्र में प्रायः व्यक्तिगत नैतिकता, मानवाधिकारों में

    निष्कर्ष:

    वास्तविक जीवन की नैतिक दुविधाओं की जटिलता में दोनों सिद्धांतों की सूक्ष्म समझ मूल्यवान है। प्रभावी नैतिक तर्क के लिये प्रायः कर्त्तव्यों और अधिकारों के लिये कर्त्तव्यनिष्ठ समझ को परिणामों तथा समग्र कल्याण के उपयोगितावादी विचार के साथ संतुलित करने की आवश्यकता होती है।

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