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प्रश्न :
जनता के प्रति सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित करने में लोक लेखा समिति की भूमिका को स्पष्ट कीजिये।
21 May, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्थाउत्तर :
उत्तर की रूपरेखा :
- लोक लेखा समिति का संक्षिप्त परिचय।
- इस समिति के कार्य।
- अधिकार तथा सीमाएं
- निष्कर्ष।
लोक लेखा समिति भारत सरकार के खर्चों की लेखा परीक्षा करने वाली समिति है। इसका गठन भारत सरकार अधिनियम, 1919 के अंतर्गत पहली बार 1921 में हुआ। वर्तमान में इसमें 22 सदस्य हैं जिनमें से 15 लोकसभा से तथा राज्यसभा से हैं। यह सभी पक्षों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करती है क्योंकि इसके सदस्यों का चुनाव एकल हस्तांतरणीय मत प्रणाली द्वारा किया जाता है तथा इसका अध्यक्ष विपक्षी पार्टी का सदस्य होता है।
इस समिति के कार्यों द्वारा इसकी भूमिका को समझा जा सकता है, जो निम्न प्रकार से हैं-
- समिति के कार्यों के अंतर्गत CAG के वार्षिक प्रतिवेदनों की जाँच प्रमुख है, जो राष्ट्रपति द्वारा संसद में प्रस्तुत किया जाता है।
- जिन क्षेत्रों तथा कार्यों के लिये सरकार द्वारा धन आवंटित किया गया है, व्यय भी उन्हीं क्षेत्रों में किया जा रहा है अथवा नहीं।
- विभिन्न स्वायत्त, अर्द्ध-स्वायत्त संस्थानों के लिये स्वीकृत राशि तथा उसकी तुलना में कम या अधिक व्यय का निर्धारण भी यह समिति ही करती है।
- किसी वित्तीय वर्ष में किसी भी सेवा के मद में खर्च राशि की जाँच करना यदि वह राशि उस मद में खर्च करने के लिये स्वीकृत राशि से अधिक है।
उपर्युक्त शक्तियों के बावजूद समिति की कुछ सीमाएँ है, जैसे- यह व्यापक अर्थों में नीतिगत प्रश्नों से अलग है। दैनंदिन प्रशासन में इसकी कोई भूमिका नहीं होती है। धन खर्च हो जाने के बाद उसकी जाँच करती है। इसकी अनुशंसा बाध्यकारी नहीं है। इसे विभागों द्वारा किये गए खर्चों को सीमित या प्रतिबंधित नहीं करने की शक्ति नहीं है।
उपर्युक्त सीमाएँ लोक लेखा समिति को जनता के प्रति जवाबदेह बनाने में बाधक है। अतः आवश्यक है कि इस समिति का अधिक जबाहदेह बनाने के लिये अधिक सशक्त किये जाने की आवश्यकता है।
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