नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    भारतीय समाज पर गाँवों से शहरों की ओर होने वाले प्रवासन के प्रभाव पर प्रकाश डालिये। साथ ही, शहरी क्षेत्रों में प्रवासियों के समक्ष आने वाली चुनौतियों का भी उल्लेख कीजिये। (250 शब्द)

    03 Jun, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भारतीय समाज

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • ग्रामीण-शहरी प्रवास के प्रेरक कारकों का उल्लेख करते हुए उत्तर लिखिये।
    • भारतीय समाज पर ग्रामीण-शहरी प्रवास के प्रभाव का उल्लेख कीजिये।
    • शहरी क्षेत्रों में प्रवासियों के सामने आने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डालिये।
    • आगे की राह में आने वाली चुनौतियों से निपटने के उपाय सुझाइये।
    • तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    ग्रामीण-शहरी प्रवास एक जनसाँख्यिकीय घटना है, जो दशकों से भारत के सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य को आकार दे रही है। गरीबी, रोज़गार के अवसरों की कमी और बेहतर जीवन स्तर की चाहत जैसे कारकों से प्रेरित होकर, लाखों लोग अपने ग्रामीण घरों को छोड़कर शहरी क्षेत्रों में जीवनयापन की तलाश में आ गए हैं।

    मुख्य भाग:

    भारतीय समाज पर ग्रामीण-शहरी प्रवास का प्रभाव:

    • शहरीकरण और शहरी प्रसार: ग्रामीण-शहरी प्रवास ने तीव्र शहरीकरण को जन्म दिया है, जिससे शहरों का अनियोजित एवं अव्यवस्थित तरीके से विस्तार हो रहा है।
      • इसके परिणामस्वरूप झुग्गियों, अनौपचारिक बस्तियों और बुनियादी ढाँचे पर दबाव बढ़ा है, जो शहरी योजनाकारों तथा नीति निर्माताओं के लिये चुनौतियाँ उत्पन्न कर रहा है।
    • सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन: विविध पृष्ठभूमियों से प्रवासियों के आगमन ने शहरी क्षेत्रों की सांस्कृतिक विविधता एवं जीवंतता में योगदान दिया है।
      • इससे पारंपरिक मूल्यों का क्षरण, सामाजिक विखंडन और शहरी जीवन शैली में आत्मसात करने में चुनौतियाँ भी उत्पन्न हुई हैं।
    • आर्थिक निहितार्थ: प्रवासन ने शहरी क्षेत्रों में उद्योगों और अनौपचारिक क्षेत्र के लिये श्रम की निरंतर आपूर्ति प्रदान की है, जिससे आर्थिक विकास को समर्थन मिला है।
      • इससे रोज़गार, आवास एवं अन्य संसाधनों के लिये प्रतिस्पर्द्धा भी बढ़ गई है, जिससे आय असमानताएँ और भी बढ़ सकती हैं।
    • जनसाँख्यिकीय परिवर्तन: ग्रामीण-शहरी प्रवास ने ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों की आयु तथा लैंगिक संरचना को बदल दिया है।
      • शहरों में प्रायः कामकाजी आयु वर्ग की आबादी का संकेंद्रण अधिक होता है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में युवाओं के पलायन के कारण "खोखलापन" का प्रभाव देखने को मिलता है।
      • इसने ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने में योगदान दिया है।
    • पर्यावरणीय प्रभाव: तीव्र शहरीकरण और प्रवासियों के आगमन ने शहरी बुनियादी ढाँचे पर अत्यधिक दबाव डाला है, जिसके परिणामस्वरूप वायु तथा जल प्रदूषण, अपशिष्ट प्रबंधन चुनौतियाँ एवं ऊर्जा खपत में वृद्धि जैसी समस्याएँ उत्पन्न हुई हैं।

    शहरी क्षेत्रों में प्रवासियों के समक्ष आने वाली चुनौतियाँ:

    • आवास और आश्रय: प्रवासियों के लिये किफायती और सभ्य आवास एक बड़ी चुनौती है, जिसके कारण कई लोग भीड़भाड़ वाली झुग्गियों या खराब रहने की स्थिति वाली अनौपचारिक बस्तियों में रहने को मजबूर हैं।
      • प्रत्येक छठा शहरी भारतीय ऐसी झुग्गियों में निवास करता है, जो मानव निवास के लिये अनुपयुक्त हैं। वास्तव में झुग्गियाँ इतनी आम हैं कि वे 65% भारतीय शहरों में पाई जाती हैं।
      • स्वच्छ जल, स्वच्छता और विद्युत जैसी बुनियादी सुविधाओं तक पहुँच शहरी प्रवासियों के लिये निरंतर संघर्षरत बनी हुई हैं।
    • रोज़गार और आजीविका: कौशल, शिक्षा या सामाजिक नेटवर्क की कमी के कारण प्रवासियों को प्रायः स्थिर तथा अच्छे वेतन वाले रोज़गार के अवसर पाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
      • कई लोग अनौपचारिक क्षेत्र में काम करते हैं, जहाँ रोज़गार की सुरक्षा, उचित वेतन और सामाजिक सुरक्षा का अभाव होता है।
    • स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा तक पहुँच: प्रवासियों को प्रायः दस्तावेज़ों की कमी, भाषा संबंधी बाधाओं या वित्तीय बाधाओं के कारण अपने बच्चों के लिये गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं तथा शैक्षिक अवसरों तक पहुँचने में बाधाओं का सामना करना पड़ता है।
      • यह गरीबी के चक्र को बनाए रख सकता है और सामाजिक गतिशीलता को सीमित कर सकता है।
    • सामाजिक सहायता नेटवर्क की कमी: प्रवासी समुदायों में प्रायः अपने ग्रामीण गृहनगरों में उपलब्ध पारंपरिक सामाजिक सहायता नेटवर्क और सुरक्षा जाल की कमी होती है।
      • इससे अलगाव, भेद्यता और शहरी जीवन के अनुकूल होने में कठिनाई उत्पन्न हो सकती है।

    आगे की राह:

    • मलिन बस्ती उन्नयन कार्यक्रम: "मलिन बस्ती उन्नयन कार्यक्रम" का क्रियान्वयन करना, जिसके तहत मौजूदा मलिन बस्तियों में धीरे-धीरे बुनियादी ढाँचे, सुरक्षित भूमि स्वामित्व और समुदाय-संचालित विकास पहलों के साथ सुधार किया जाएगा।
    • शहरी रोज़गार और आजीविका: "प्रवासी उद्यमिता इनक्यूबेटर" की स्थापना करना, जो प्रवासियों को अपना स्वयं का व्यवसाय या सामाजिक उद्यम शुरू करने के लिये प्रशिक्षण, मार्गदर्शन और प्रारंभिक वित्त पोषण प्रदान करते हैं।
    • इसके अतिरिक्त "शहरी कृषि पहल" विकसित करना, जहाँ प्रवासी छोटे स्तर पर कृषि गतिविधियों में संलग्न हो सकें, जिससे खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा मिले और उनकी आय में वृद्धि हो।
    • स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा तक पहुँच: "मोबाइल स्वास्थ्य क्लिनिक" की शुरुआत की जाए, जो नियमित रूप से प्रवासी बस्तियों का दौरा करें, बुनियादी चिकित्सा सेवाएँ, स्वास्थ्य जाँच और निकटवर्ती अस्पतालों के लिये रेफरल प्रदान करें।
    • प्रवासी इलाकों में "सामुदायिक शिक्षण केंद्र" स्थापित करना, जहाँ बच्चों और वयस्कों दोनों के लिये किफायती शिक्षा, भाषा कक्षाएँ तथा कौशल विकास कार्यक्रम उपलब्ध कराए जाएँ।
    • प्रवासी श्रमिक संरक्षण योजना: वेतन संहिता, 2019 का बेहतर कार्यान्वयन, सुरक्षित कार्य स्थितियाँ, तथा प्रवासी श्रमिकों, विशेष रूप से अनौपचारिक क्षेत्र में, के लिये विधिक सहायता और सामाजिक सुरक्षा लाभों तक पहुँच सुनिश्चित करना।

    निष्कर्ष:

    ग्रामीण-शहरी प्रवास एक अपरिहार्य शक्ति है, जिसने भारत में तीव्र शहरीकरण और जनसाँख्यिकीय परिवर्तन को उत्प्रेरित किया है। शहरी रोज़गार गारंटी योजनाओं जैसी लक्षित योजनाओं के माध्यम से भारत एक समतापूर्ण और समृद्ध समाज का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow