भारतीय शासन पर मौर्य साम्राज्य की प्रशासनिक संरचना का व्यापक और स्थायी प्रभाव है। टिप्पणी कीजिये। (150 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- मौर्य साम्राज्य की समयावधि का उल्लेख करते हुए उत्तर लिखिये।
- मौर्य साम्राज्य की प्रशासनिक संरचना का महत्त्व बताइये।
- तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय:
मौर्य साम्राज्य, जिसने 322 ईसा पूर्व से 185 ईसा पूर्व तक भारतीय उपमहाद्वीप के एक विशाल क्षेत्र पर शासन किया था, का प्रशासनिक ढाँचा अत्यधिक संगठित और कुशल था, जिसने भारतीय शासन पर अमिट छाप छोड़ी।
मुख्य भाग:
मौर्य साम्राज्य की प्रशासनिक संरचना का महत्त्व:
- मौर्य साम्राज्य का केंद्रीय प्रशासन: मौर्य साम्राज्य में अत्यधिक केंद्रीकृत प्रशासन था, जिसमें राजा सर्वोच्च नेता होता था, उसकी सहायता के लिये ‘मंत्रिपरिषद’ (प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल के समान) होती थी।
- प्रांतीय प्रशासनः साम्राज्य को उत्तरापथ, दक्षिणापथ आदि जैसे प्रांतों में विभाजित किया गया था, प्रत्येक को राजधानी शहर (Capital City) के नाम से जाना जाता था। (राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के समान)
- प्रांतों को ज़िलों (आहार, जनपद) में विभाजित किया गया, जो राजुकों (Rajukas) द्वारा युक्तों के साथ प्रशासित थे। (ज़िलों के समान)
- ज़िलों में ग्राम प्रमुखों और कानून एवं व्यवस्था के लिये शहर के अधीक्षकों द्वारा देख-रेख किये जाने वाले गाँव शामिल थे। (पंचायतों, नगर निकायों के समान)
- सैन्य प्रशासन: मौर्यों ने पैदल सेना, घुड़सवार सेना, हाथी, रथ और नौसेना डिवीज़नों के साथ एक विशाल, अच्छी तरह से सुसज्जित पेशेवर सेना का निर्माण किया। (भारतीय सशस्त्र बलों के समान)
- सेनापति सेना का समग्र कमांडर-इन-चीफ था। (चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के समान)
- आर्थिक प्रशासन: सम्हर्ता (Samharta) मुख्य राजस्व संग्रहकर्त्ता था और सन्निधाता कोषाध्यक्ष होता था।
- भूमि, सीमा शुल्क, सिंचाई, खदान आदि जैसे विभिन्न स्रोतों पर कर लगाया जाता था (वर्तमान कर प्रणाली के समान)
- जासूसी (Espionage) प्रणाली: उन्हें कानून व्यवस्था बनाए रखने तथा खुफिया जानकारी एकत्रित करने के लिये एक विस्तृत जासूसी प्रणाली स्थापित करने का श्रेय दिया जाता है।
- विशेष अधिकारी, जिन्हें "गुढपुरुष" या सीक्रेट एजेंट के रूप में जाना जाता था, जो अधिकारियों और आम जनता की गतिविधियों पर नज़र रखने के लिये नियुक्त किये जाते थे।
- R&AW विंग की उत्पत्ति इसी से मानी जाती है।
निष्कर्ष:
मौर्य साम्राज्य की प्रशासनिक संरचना ने भारतीय शासन और प्रशासन पर एक अमिट छाप छोड़ी, जो बाद के साम्राज्यों तथा राज्यों के लिये एक खाका के रूप में कार्य करती है। इसकी विरासत आधुनिक भारत में गूँजती रहती है, जो देश के शासन दर्शन (Governance Philosophy) और प्रथाओं को आकार देती है।