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प्रश्न :
रैनसमवेयर हमले एवं साइबर जासूसी जैसे मुद्दे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये खतरे हैं। भारत के समक्ष उत्पन्न साइबर खतरों की उभरती प्रकृति पर चर्चा करते हुए साइबर सुरक्षा उपायों को बढ़ावा देने हेतु संभावित समाधान बताइये। (250 शब्द)
29 May, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 3 आंतरिक सुरक्षाउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- रैनसमवेयर और साइबर जासूसी को परिभाषित करते हुए परिचय लिखिये।
- भारत के समक्ष आने वाले साइबर खतरों की उभरती प्रकृति बताइये।
- साइबर सुरक्षा उपायों को बढ़ाने के लिये संभावित समाधान सुझाइये।
- तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।
परिचय:
रैनसमवेयर एक दुर्भावनापूर्ण सॉफ्टवेयर है जो पीड़ितों के डेटा को एन्क्रिप्ट करता है और एक्सेस बहाल करने के लिये भुगतान की मांग करता है। साइबर जासूसी में प्रायः राज्य प्रायोजित अभिकर्त्ताओं द्वारा आर्थिक, राजनीतिक या सैन्य लाभ के लिये संवेदनशील जानकारी की अनधिकृत पहुँच और चोरी शामिल होती है।
- वे वास्तव में राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये गंभीर संकट हैं, भारत कई अन्य देशों की तरह इन उभरते साइबर खतरों से जूझ रहा है।
मुख्य भाग:
भारत के समक्ष साइबर खतरों की बदलती प्रकृति:
- बढ़ते रैनसमवेयर हमले: भारत में रैनसमवेयर हमलों में वृद्धि देखी गई है।
- उदाहरण: दिल्ली में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) पर वर्ष 2022 का रैनसमवेयर हमला।
- साइबर जासूसी और डेटा उल्लंघन: राज्य प्रायोजित समूहों सहित परिष्कृत साइबर अभिकर्त्ता भारत के महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे और संवेदनशील डेटा को लक्षित कर रहे हैं।
- उदाहरण: कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र में डेटा उल्लंघन।
- डीपफेक और एआई-संचालित हमले: भारत डीपफेक, एआई-संचालित सोशल इंजीनियरिंग और स्वायत्त साइबर हथियारों जैसे उभरते साइबर खतरों से जोखिम का सामना कर रहा है।
- उदाहरण: चुनावों के दौरान गलत सूचना फैलाने वाले भारतीय राजनीतिक नेताओं के डीपफेक वीडियो।
- इंटरनेट ऑफ थिंग्स और परिचालन प्रौद्योगिकी जोखिम: IoT उपकरणों का प्रसार और औद्योगिक नियंत्रण प्रणालियों में IT एवं OT प्रणालियों का अभिसरण नए हमले के आधार का निर्माण करता है।
- स्मार्ट शहरों या औद्योगिक नियंत्रण प्रणालियों में उपयोग किये जाने वाले IoT उपकरणों की कमज़ोरियों का उपयोग विघटनकारी हमलों के लिये किया जा सकता है।
- डोक्सिंग और हैक्टिविज्म: भारतीय संस्थाओं को वैचारिक या राजनीतिक प्रेरणाओं के लिये डोक्सिंग (संवेदनशील जानकारी लीक करना) में लगे हैक्टिविस्ट समूहों और व्यक्तियों से जोखिम का सामना करना पड़ता है।
- हैक्टिविस्ट (Hacktivist ) समूहों ने हाल ही में भारतीय वायु सेना पर मैलवेयर फंसाने की कोशिश की।
साइबर सुरक्षा उपायों को बढ़ाने के संभावित समाधान:
- साइबर रक्षा क्षमताओं में निवेश: उन्नत खतरे का पता लगाने और उसे कम करने वाली तकनीकों में निवेश करके भारत की साइबर सुरक्षा क्षमताओं को बढ़ाना।
- विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रमों और सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से एक कुशल साइबर सुरक्षा कार्यबल विकसित करना।
- सुरक्षित सॉफ्टवेयर विकास प्रथाओं को बढ़ावा देना: सॉफ्टवेयर और सिस्टम में कमज़ोरियों को दूर करने के लिये सुरक्षित सॉफ्टवेयर विकास जीवन चक्र (SDLC) प्रथाओं को अपनाने को प्रोत्साहित करना।
- सुरक्षित कोडिंग प्रथाओं तथा भेद्यता प्रकटीकरण कार्यक्रमों के उपयोग को प्रोत्साहित करना।
- साइबर सुरक्षा सैंडबॉक्स और डिसेप्शन ग्रिड: उन्नत साइबर खतरों का पता लगाने और उनका विश्लेषण करने के लिये सैंडबॉक्स तथा डिसेप्शन ग्रिड को पृथक वातावरण में लुभाकर एवं नियंत्रित करके लागू करना।
- भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया दल (CERT-In) भारतीय बुनियादी ढाँचे को लक्षित करने वाले खतरे वाले अभिकर्त्ताओं की रणनीति को आकर्षित करने और उनका अध्ययन करने के लिये एक हनीपोट नेटवर्क का निर्माण कर सकता है।
- बग बाउंटी कार्यक्रम: भारतीय सरकार अपने ई-गवर्नेंस प्लेटफॉर्म के लिये बग बाउंटी कार्यक्रम शुरू कर सकती है, ताकि एथिकल हैकर्स और सुरक्षा शोधकर्त्ताओं को महत्त्वपूर्ण सिस्टम एवं अनुप्रयोगों में कमज़ोरियों की पहचान करने तथा रिपोर्ट करने के लिये प्रोत्साहित किया जा सके।
- साइबर सुरक्षा अभ्यास और सिमुलेशन: घटना प्रतिक्रिया क्षमताओं का परीक्षण करने, अंतराल की पहचान करने और तैयारियों में सुधार करने के लिये विभिन्न हितधारकों को शामिल करते हुए नियमित साइबर सुरक्षा अभ्यास तथा सिमुलेशन आयोजित करना।
निष्कर्ष:
साइबर सुरक्षा एक सतत् संघर्ष है। तकनीकी समाधान, उपयोगकर्त्ता जागरुकता और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को मिलाकर एक बहुस्तरीय दृष्टिकोण को सक्रिय रूप से अपनाकर, भारत उभरते साइबर खतरों का प्रभावी ढंग से सामना कर सकता है तथा अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा कर सकता है।
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