जलवायु परिवर्तन एवं जैवविविधता क्षरण के बीच अंतर्संबंध है। एक साथ इन दोनों चुनौतियों के संभावित समाधानों पर चर्चा कीजिये। (150 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- जलवायु परिवर्तन और जैवविविधता हानि की दोहरी चुनौती से परिचय कराइये।
- जलवायु परिवर्तन और जैवविविधता हानि के बीच संबंध बताइये।
- दोनों चुनौतियों का एक साथ समाधान करने के उपायों पर गहनता को वर्णित कीजिये।
- तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय:
जलवायु परिवर्तन और जैवविविधता हानि एक-दूसरे से बहुत गहराई से जुड़े हुए हैं, जो एक विसियस चक्र (vicious cycle) का निर्माण करते हैं। गर्म ग्रह पारिस्थितिकी तंत्र को बाधित करता है, जबकि जैवविविधता हानि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के लिये प्राकृतिक प्रणालियों के लचीलेपन को कमज़ोर करता है। हमारे ग्रह और उसके सभी निवासियों के स्वास्थ्य तथा कल्याण को सुनिश्चित करने के लिये इन दोहरी चुनौतियों का समाधान करना महत्त्वपूर्ण है।
मुख्य भाग:
जलवायु परिवर्तन और जैवविविधता हानि का संबंध:
- आवास की क्षति और विखंडन: जलवायु परिवर्तन के कारण तापमान, वर्षा पैटर्न और समुद्र के स्तर में बदलाव हो रहा है, जिससे विभिन्न प्रजातियों के लिये आवश्यक आवासों का नुकसान तथा विखंडन हो रहा है।
- उदाहरण के लिये आर्कटिक समुद्री बर्फ के पिघलने से ध्रुवीय भालुओं के अस्तित्त्व को खतरा है।
- पारिस्थितिक प्रक्रियाओं में व्यवधान: जलवायु परिवर्तन पारिस्थितिक प्रक्रियाओं और प्रजातियों के बीच संबंधों को बाधित कर रहा है, जिससे जैवविविधता प्रभावित हो रही है।
- उदाहरण के लिये उत्तरी अमेरिका में मोनार्क तितली के प्रवास का मामला।
- चरम मौसमी घटनाएँ: चरम मौसमी घटनाओं, जैसे कि हीटवेव, शुष्कता और तूफान की बढ़ती आवृत्ति तथा तीव्रता जैवविविधता के लिये महत्त्वपूर्ण खतरे उत्पन्न करती है।
- जलवायु परिवर्तन के कारण वर्ष 2019-2020 ऑस्ट्रेलिया की झाड़ियों में लगी आग के परिणामस्वरूप अनुमानित 1-3 बिलियन जानवरों की हानि हुई, जिसमें कई प्रजातियों के विलुप्त होने की संभावना है।
- महासागर अम्लीकरण: महासागरों द्वारा वायुमंडल से अतिरिक्त कार्बन डाइ-ऑक्साइड का अवशोषण महासागर अम्लीकरण का कारण बन रहा है, जो समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र और जैवविविधता के लिये हानिकारक है।
- हाल ही में बढ़ते समुद्री तापमान और अम्लीकरण के कारण ऑस्ट्रेलिया स्थित ग्रेट बैरियर रीफ में वृहद स्तर पर प्रवाल विरंजन हुआ है।
दोनों चुनौतियों का एक साथ समाधान:
- समुद्री पुनर्वनीकरण: शार्क और व्हेल जैसे शीर्ष शिकारियों को वापस लौटने की अनुमति देने के लिये न्यूनतम मानवीय गतिविधि के साथ बड़े पैमाने पर समुद्री संरक्षित क्षेत्र (MPA) स्थापित करना, पारिस्थितिक संतुलन को बहाल करना तथा स्वस्थ मत्स्य आबादी को बढ़ावा देना।
- उदाहरण: इंडोनेशिया में राजा अम्पैट MPA में मत्स्य के स्टॉक और कोरल रीफ स्वास्थ्य में वृद्धि देखी गई है।
- शहरी हरित अवसंरचना: शहरों को ठंडा करने, वायु गुणवत्ता में सुधार करने और शहरी वन्यजीवों के लिये आवास प्रदान करने के लिये पार्क, छतों पर हरियाली तथा ऊर्ध्वाधर उद्यानों जैसे हरित स्थानों का नेटवर्क बनाना।
- उदाहरण: चेंबूर के भक्ति पार्क में मुंबई के मियावाकी वन।
- स्थायी अवसंरचना के लिये बायोमिमिक्री: बायोमिमिक्री से ऊर्जा-कुशल इमारतों, जल-संचयन प्रणालियों और प्राकृतिक शीतलन तकनीकों का विकास हो सकता है, जिससे अवसंरचना विकास के पर्यावरणीय पदचिह्न कम हो सकते हैं।
- इसके अतिरिक्त इन परियोजनाओं को मौजूदा पारिस्थितिकी प्रणालियों के साथ एकीकृत करने के लिये डिज़ाइन किया जा सकता है, जिससे जैवविविधता में व्यवधान कम हो सकता है।
- जैव-सांस्कृतिक संरक्षण: स्वदेशी समुदायों के ज्ञान को संरक्षण प्रयासों में शामिल करके हम जलवायु परिवर्तन से निपटने और जैवविविधता के संरक्षण के लिये अधिक प्रभावी तथा सांस्कृतिक रूप से संवेदनशील रणनीतियाँ विकसित कर सकते हैं।
- उदाहरण: जापान में सतोयामा पहल।
- जैवविविधता केंद्रित कार्बन ऑफसेट: जैवविविधता केंद्रित कार्बन ऑफसेट कार्यक्रम और बाज़ार विकसित करना, जो पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण तथा बहाली को प्रोत्साहित करते हैं।
- उदाहरण: इंडोनेशिया में "रिम्बा राया जैवविविधता रिज़र्व" एक REDD+ परियोजना है, जो जैवविविधता की रक्षा करते हुए कार्बन क्रेडिट उत्पन्न करती है।
निष्कर्ष:
भारत की अद्वितीय शक्तियों और स्थानीय संदर्भों का लाभ उठाते हुए इन समाधानों को क्रियान्वित करके हम जलवायु परिवर्तन शमन तथा जैवविविधता संरक्षण दोनों के लिये जीत (win) वाली परिस्थिति का निर्माण कर सकते हैं, जिससे राष्ट्र के लिये अधिक सतत् भविष्य सुनिश्चित हो सके।