इंदौर शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 11 नवंबर से शुरू   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    आत्मनिर्भर भारत पर बल देने का दृष्टिकोण स्वदेशी आंदोलन से साम्यता रखता है। स्वदेशी आंदोलन के आर्थिक लक्ष्यों एवं रणनीतियों तथा आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के समकालीन प्रयासों के बीच तुलना एवं अंतर के बिंदुओं पर चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

    27 May, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहास

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • स्वदेशी आंदोलन और आत्मनिर्भर भारत अभियान का परिचय लिखिये।
    • उनके आर्थिक लक्ष्यों का वर्णन कीजिये।
    • उदाहरण के साथ उनकी रणनीतियों का उल्लेख कीजिये।
    • तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    आर्थिक आत्मनिर्भरता की खोज भारत के इतिहास में एक सतत् विषय है। स्वदेशी आंदोलन और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के समकालीन प्रयास, जैसे कि आत्मनिर्भर भारत अभियान, कुछ समान आर्थिक लक्ष्य साझा करते हैं, लेकिन उनके ऐतिहासिक संदर्भ तथा रणनीतिक तरीकों में उल्लेखनीय अंतर भी हैं।

    मुख्य भाग:

    आर्थिक लक्ष्य:

    • स्वदेशी आंदोलन: इसका मुख्य उद्देश्य भारत पर ब्रिटिश आर्थिक पकड़ को कमज़ोर करना था।
      • इसमें ब्रिटिश वस्तुओं का बहिष्कार, स्वदेशी उद्योगों को बढ़ावा देना और पारंपरिक शिल्प को पुनर्जीवित करना शामिल था।
      • यह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक हिस्से के रूप में औपनिवेशिक शोषण के विरुद्ध विरोध का एक स्वरूप था।
    • आत्मनिर्भर भारत: यह भारत को आत्मनिर्भर और वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्द्धी राष्ट्र बनाने पर ध्यान केंद्रित करता है।
      • इसका उद्देश्य आयात पर निर्भरता को कम करना, घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना, वैश्विक आर्थिक आघातों का विरोध करना और प्रमुख क्षेत्रों को मज़बूत करना है।
      • यह आर्थिक सुरक्षा और विकास की इच्छा से प्रेरित है।

    रणनीतियाँ:

    • स्वदेशी आंदोलन:
      • ब्रिटिश वस्तुओं का बहिष्कार, जैसे- ब्रिटिश निर्मित वस्त्रों को जलाना और ब्रिटिश वस्त्रों का बहिष्कार, जैसा कि असहयोग आंदोलन (वर्ष 1920-1922) के दौरान प्रदर्शित किया गया था।
      • स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देना, जैसे- खादी को बढ़ावा देना और महात्मा गांधी द्वारा ऑल इंडिया स्पिनर्स एसोसिएशन की स्थापना, ताकि भारतीय निर्मित वस्तुओं के उपयोग को प्रोत्साहित किया जा सके।
      • स्वदेशी उद्योगों, विशेष रूप से वस्त्रों को पुनर्जीवित करना और बढ़ावा देना, जैसे- ब्रिटिश मिल मालिकों द्वारा कपड़ा श्रमिकों के शोषण के विरोध में वर्ष 1917 में अहमदाबाद मिल हड़ताल।
      • आत्मनिर्भरता पर ज़ोर, जैसे- बाल गंगाधर तिलक द्वारा "स्वदेशी आंदोलन" को बढ़ावा देना, जिसमें स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने का समर्थन किया गया था।
    • आत्मनिर्भर भारत:
      • आयात प्रतिस्थापन, जैसे कि आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने और आयात निर्भरता को कम करने के लिये कोविड-19 महामारी के दौरान घोषित आत्मनिर्भर भारत पैकेज।
      • प्रोत्साहन और नीतिगत सुधार, उदाहरण के लिये कॉर्पोरेट टैक्स रेट्स में कमी एवं निर्यात को बढ़ावा देने के लिये निर्यातित उत्पादों पर शुल्क तथा करों की छूट योजना की शुरुआत आदि।
      • आपूर्ति शृंखलाओं का विकास, उदाहरण के लिये आपूर्ति शृंखलाओं को सुव्यवस्थित करने और रसद लागत को कम करने, स्थानीय सोर्सिंग को बढ़ावा देने तथा वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं पर निर्भरता को कम करने के लिये राष्ट्रीय रसद नीति।
      • कौशल विकास और नवाचार, उदाहरण के लिये- उद्यमिता एवं नवाचार को बढ़ावा देने के लिये स्टार्टअप इंडिया पहल तथा स्कूलों व विश्वविद्यालयों में नवाचार एवं उद्यमिता संस्कृति को बढ़ावा देने के लिये अटल नवाचार मिशन।

    निष्कर्ष:

    स्वदेशी आंदोलन और आत्मनिर्भर भारत, जिसमें तकरीबन एक शताब्दी का अंतराल है, लेकिन दोनों ही आंदोलन “भारत पहले (India First)” तथा आर्थिक आत्मनिर्भरता के मूल आदर्श को साझा करते हैं। हालाँकि उनके तरीके अलग-अलग हैं, लेकिन दोनों ही आंदोलन घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने तथा बाहरी ताकतों पर निर्भरता कम करने के महत्त्व पर प्रकाश डालते हैं।

    To get PDF version, Please click on "Print PDF" button.

    Print
close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2