"सत्यनिष्ठा का आशय किसी की भी निगरानी के बिना उचित कार्य करने से है।" - सी.एस. लुईस। लोक प्रशासन में नैतिक आचरण के आलोक में इसकी चर्चा करते हुए सरकारी तंत्र में लोगों के विश्वास पर इसके प्रभावों की चर्चा कीजिये। (150 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- उद्धरण का सार संक्षेप में प्रस्तुत कीजिये और ईमानदारी को परिभाषित कीजिये।
- लोक प्रशासन में नैतिक आचरण के संदर्भ में ईमानदारी की भूमिका पर विस्तार से चर्चा कीजिये।
- लोक विश्वास विकसित करने में ईमानदारी के प्रभाव पर चर्चा कीजिये।
- तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय:
ईमानदारी को सुसंगत होने और अपने स्वयं के मूल्यों, सिद्धांतों एवं विश्वासों का पालन करने के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। सी.एस. लुईस के कथन की गहराई इसी में है कि "ईमानदारी सही तभी कहलाती है, जब कोई नहीं देख रहा हो," लोक प्रशासन में नैतिक आचरण का सार होता है। इस क्षेत्र में ईमानदारी नियमों का पालन करने से परे है; यह नैतिक सिद्धांतों को बनाए रखने और प्रलोभनों या दबावों के सामने भी नैतिक विकल्प के निर्माण से संबंधित है। यहाँ बताया गया है कि कैसे अटूट ईमानदारी लोक प्रशासन को आकार देती है तथा जनता के विश्वास को बढ़ावा देती है:
मुख्य भाग:
लोक प्रशासन में नैतिक आचरण के संदर्भ में सत्यनिष्ठा की भूमिका:
- ईमानदारी और पारदर्शिता:
- लोक सेवक अपने कार्यों में ईमानदारी और निर्णय लेने की प्रक्रिया में पारदर्शिता के माध्यम से ईमानदारी का परिचय देते हैं। इसमें हितों के टकराव की घोषणा करना एवं जनता के साथ खुला संचार सुनिश्चित करना शामिल है।
- उदाहरण: आईएएस अधिकारी के. के. पाठक ने राजनीतिक हस्तक्षेप के विरोध में भारतीय सिविल सेवा से इस्तीफा दे दिया। अटल ईमानदारी के इस कार्य ने लोक सेवा में नैतिक आचरण के लिये एक उच्च मानक स्थापित किया।
- जवाबदेही:
- अपने कार्यों और निर्णयों की ज़िम्मेदारी लेना ईमानदारी का एक महत्त्वपूर्ण तत्त्व है। नैतिक लोक सेवक अपने प्रदर्शन के लिये जवाबदेह होने के लिये तैयार रहते हैं तथा किसी भी गलती को आसानी से स्वीकार करते हैं।
- उदाहरण: किरण बेदी, एक पूर्व आईपीएस अधिकारी जो बाद में आईएएस में शामिल हो गईं, अपने केंद्रित दृष्टिकोण और मज़बूत कार्य नैतिकता के लिये जानी जाती हैं। उन्हें अपने कार्यकाल के दौरान सार्वजनिक जाँच का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने नैतिक सेवा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को कायम रखते हुए जवाबदेही एवं पारदर्शिता बनाए रखी।
- निष्पक्षता:
- नैतिक आचरण के लिये सभी नागरिकों के साथ बिना किसी पूर्वाग्रह या पक्षपात के समान व्यवहार करना आवश्यक है। ईमानदारी से काम करने वाले लोक सेवक भाई-भतीजावाद या अनुचित प्रभाव के प्रलोभनों का विरोध करते हैं और योग्यता के सिद्धांतों को कायम रखते हैं।
- उदाहरण: भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टी. एन. शेषन को स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने में उनकी ईमानदारी एवं निष्पक्षता के लिये याद किया जाता है, जिसमें उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि प्रत्येक नागरिक का वोट उसकी पृष्ठभूमि या संबद्धता की परवाह किये बिना गिना जाए।
सार्वजनिक विश्वास पर सत्यनिष्ठा का प्रभाव:
- वैधता:
- लोक सेवकों में ईमानदारी सार्वजनिक संस्थाओं की वैधता को मज़बूत करती है और विधिक शासन के प्रति सम्मान की भावना को बढ़ावा देती है। जब नागरिकों को लगता है कि व्यवस्था निष्पक्ष एवं न्यायपूर्ण है, तो वे नियमों का पालन करने तथा शासन प्रक्रियाओं में भाग लेने की अधिक संभावना रखते हैं।
- उदाहरण: अशोक खेमका जैसे आईएएस अधिकारियों का अनुकरणीय कार्य, जो भूमि सौदों में भ्रष्टाचार के खिलाफ अपने संघर्ष के लिये जाने जाते हैं, प्रशासनिक मशीनरी में जनता का विश्वास बहाल करता है और भ्रष्ट आचरण को रोकता है।
- सहयोग:
- जब नागरिक लोक सेवकों पर भरोसा करते हैं, तो वे टीकाकरण अभियान या पर्यावरण संरक्षण कार्यक्रमों जैसी सरकारी पहलों में सहयोग करने की अधिक संभावना रखते हैं। इससे सामूहिक ज़िम्मेदारी और सामाजिक प्रगति की भावना को बढ़ावा मिलता है।
- उदाहरण: पूर्व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्द्धन ने विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के दौरान टीकाकरण अभियान का नेतृत्व करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके पारदर्शी संचार और नेतृत्व ने टीकाकरण प्रयासों में नागरिकों का विश्वास एवं सहयोग हासिल करने में मदद की।
निष्कर्ष:
सी.एस. लुईस के शब्द हमें याद दिलाते हैं कि ईमानदारी कोई परिस्थितिजन्य गुण नहीं है, बल्कि प्रभावी लोक प्रशासन के लिये एक मुख्य सिद्धांत है। अपने मूल्यों, सिद्धांतों और विश्वासों पर कायम रहना तथा उनका पालन करना लोक सेवक को लोक प्रशासन में नैतिक बने रहने एवं लंबे समय में जनता का विश्वास हासिल करने में मदद करता है।