भारत की धार्मिक तथा भाषायी विविधता भारतीय संघवाद को मज़बूत आधार प्रदान करती है। स्पष्ट कीजिये।
23 May, 2018 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था
उत्तर की रूपरेखा :
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भारत भौगोलिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, भाषायी विविधताओं वाला देश है, ऐसी स्थिति में भारत के लिये संघात्मक शासन व्यवस्था को अपनाना स्वाभाविक था और भारतीय संविधान द्वारा ऐसा किया गया। संविधान के प्रथम अनुच्छेद में कहा गया है कि ‘भारत, राज्यों का संघ’ होगा।
स्वतंत्रता के पश्चात देश के प्रांतों का परिसीमन इस प्रकार से करना जिससे कि सुगम शासन व्यवस्था सुनिश्चित की जा सके, तत्कालीन नेताओं के समक्ष सबसे जटिल समस्या थी। राज्य पुनर्गठन आयोग ने आर्थिक तथा प्रशासनिक व्यावहारिकता के साथ-साथ सांस्कृतिक कारकों धर्म व भाषा को भी महत्त्वपूर्ण माना तथा इन्हीं आधारों पर कालान्तर में पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र, गुजरात तथा पूर्वोत्तर राज्यों का गठन किया गया।
भाषा को संघवाद का आधार मानने के पीछे निम्न कारण निहित हैं-
भारत में राज्य विशेष तथा किसी क्षेत्र विशेष में विभिन्न प्रकार के धार्मिक मान्यता वाले जातीय समूह पाए जाते हैं जैसे- पूर्वोत्तर में बहुसंख्यक जनसंख्या ईसाई धर्म मतावलम्बियों की है, कश्मीर में इस्लाम धर्म को मानने वाले लोग अधिक हैं, पंजाब में सिख धर्म को मानने वाले लोगों की संख्या अधिक है, जबकि उत्तर भारतीय जनसंख्या हिंदू धर्म को मानती है। अतः ऐसी जटिल धार्मिक विविधता में भिन्न-भिन्न धर्मों के अनुयायियों को एक सूत्र में बांधने के लिये संघीय प्रणाली से अच्छा कोई विकल्प नहीं हो सकता।