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प्रश्न :
भारत के सामाजिक सुधार आंदोलन के संदर्भ में वायकोम सत्याग्रह के महत्त्व पर चर्चा कीजिये। (150 शब्द)
20 May, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहासउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- वैकोम सत्याग्रह का परिचय लिखिये।
- इसमें शामिल प्रमुख हस्तियों का परिचय देते हुए इसके महत्त्व पर प्रकाश डालिये।
- तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।
परिचय:
वैकोम सत्याग्रह, जिसका आयोजन वर्ष 1924-25 में त्रावणकोर रियासत (वर्तमान केरल) में हुआ था, भारत के सामाजिक सुधार आंदोलन की एक महत्त्वपूर्ण घटना थी। इसने अस्पृश्यता और जाति उत्पीड़न के खिलाफ संघर्ष में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
मुख्य भाग:
वैकोम सत्याग्रह का महत्त्व:
- मंदिर प्रवेश आंदोलनों में अग्रणी: यह हिंदू मंदिरों और आस-पास के जगहों में निवास करने वाली निचली जातियों के प्रवेश की मांग करने वाला पहला बड़ा जन आंदोलन था, जिसे जाति प्रदूषण (Caste Pollution) की धारणा के कारण प्रतिबंधित कर दिया गया था।
- मंदिर में प्रवेश का मुद्दा पहली बार वर्ष 1917 में एझावा नेता टी. के. माधवन ने उठाया था और बाद में भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस ने अस्पृश्यता विरोधी मुद्दा उठाया।
- इसने अंततः त्रावणकोर (वर्ष 1936) में मंदिर प्रवेश उद्घोषणा को जन्म दिया, जिससे निचली जातियों को मंदिरों में प्रवेश की अनुमति मिली और संपूर्ण भारत में बाद के मंदिर प्रवेश आंदोलनों के लिये एक व्यवस्था तैयार हुई।
- चर्चित अहिंसक आंदोलन: के. केलप्पन जैसी शख्सियतों के नेतृत्व में हुए सत्याग्रह में अहिंसक सविनय अवज्ञा और शांतिपूर्ण विरोध के गांधीवादी सिद्धांतों को नियोजित किया गया।
- इससे आंदोलन को अधिक वैधता और गति मिली।
- इसने राष्ट्रव्यापी ध्यान आकर्षित किया और भविष्य में होने वाले सामाजिक सुधार आंदोलनों को प्रेरित किया।
- अंतर-सामुदायिक एकता: यह आंदोलन विभिन्न धर्मों और जातियों के लोगों को एक साथ लेकर आया। जॉर्ज जोसेफ और समाज सुधारक ई.वी. रामासामी (पेरियार) जैसे ईसाई नेता ने सामाजिक असमानता के खिलाफ एकजुट संघर्ष का प्रदर्शन करते हुए भाग लिया।
- जातिगत हिंदुओं के प्रति-आंदोलन और हिंसा का सामना करने के बावजूद, आंदोलन को 600 से अधिक दिनों तक जारी रखने के लिये यह एकजुटता महत्त्वपूर्ण थी।
- सामाजिक सुधार को अग्रभूमि में लाना: बढ़ते राष्ट्रवादी आंदोलन के बीच, वैकोम सत्याग्रह ने सामाजिक सुधार और अस्पृश्यता के उन्मूलन को राजनीतिक एजेंडे में सबसे आगे ला दिया।
निष्कर्ष:
वैकोम सत्याग्रह ने अग्रिम सुधारों के लिये उत्प्रेरक के रूप में कार्य किया और स्वतंत्र भारत में अस्पृश्यता के संवैधानिक उन्मूलन की नींव रखी।
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