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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    आप एक ऐसे राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) हैं जो बूथ कैप्चरिंग, चुनाव में धमकी और हिंसा सहित चुनावी कदाचार की परंपरा से ग्रस्त है। यहाँ पर लोकसभा के लिये हो रहे आम चुनावों में बूथ कैप्चरिंग की व्यापक घटनाएँ सामने आई हैं, जिससे चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर गहरा असर पड़ रहा है।

    मतदान के तीसरे दिन, स्थिति अभूतपूर्व होने से राज्य भर के कई निर्वाचन क्षेत्रों से मतदाताओं एवं चुनाव अधिकारियों को डराने-धमकाने की रिपोर्टें सामने आईं। इसके अतिरिक्त, प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक गुटों के बीच झड़पों सहित हिंसा की घटनाओं ने तनाव को और बढ़ा दिया।

    कदाचार की व्यापक घटनाओं से चुनाव प्रणाली में लोगों के विश्वास में कमी आने के साथ मतदाताओं में चुनाव प्रणाली के संदर्भ में मोहभंग हो गया।

    CEO के रूप में आपको इस संकट से निपटने तथा लोकतांत्रिक प्रक्रिया की शुचिता सुनिश्चित करने के लिये त्वरित एवं निर्णायक कार्रवाई करने की आवश्यकता है।

    प्रश्न:

    1. इस मामले में शामिल हितधारक कौन हैं?
    2. इस स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, चल रही बूथ कैप्चरिंग की घटनाओं से निपटने तथा प्रभावित निर्वाचन क्षेत्रों में सुचारु व्यवस्था बहाल करने के लिये अपनी तात्कालिक रणनीति की रूपरेखा तैयार कीजिये।
    3. एक बार तात्कालिक संकट का समाधान हो जाने के बाद, आप राज्य में चुनावी ढाँचे में सुधार हेतु कौन से दीर्घकालिक संरचनात्मक सुधारों की सिफारिश करेंगे?
    10 May, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • केस स्टडी के संदर्भ का संक्षिप्त रूप में परिचय लिखिये।
    • इस मामले में शामिल हितधारकों का उल्लेख कीजिये।
    • चल रही बूथ कैप्चरिंग की घटनाओं से निपटने और व्यवस्था बहाल करने के लिये तत्काल रणनीति की रूपरेखा तैयार कीजिये।
    • आवश्यक दीर्घकालिक संरचनात्मक सुधारों को सुझाइये।
    • तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    किसी राज्य में लोकसभा के लिये चल रहे आम चुनाव बूथ कैप्चरिंग, धमकी और हिंसा सहित चुनावी कदाचार की व्यापक घटनाओं से प्रभावित हैं। बढ़ती हिंसा, मतदाताओं एवं चुनाव अधिकारियों के विरुद्ध धमकियों तथा प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक गुटों के बीच झड़प जैसी रिपोर्टों ने चुनावी प्रणाली में जनता के विश्वास को कम कर दिया है, जिससे मतदाताओं में व्यापक निराशा उत्पन्न हुई है।

    इस प्रकार, यह स्थिति चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता और पवित्रता सुनिश्चित करने के लिये एक महत्त्वपूर्ण चुनौती प्रस्तुत करती है।

    मुख्य भाग:

    इस मामले में शामिल हितधारक हैं:

    • भारत निर्वाचन आयोग: चुनावों के संचालन की देख-रेख और चुनावी कानूनों एवं विनियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिये उत्तरदायी।
    • राजनीतिक दल: चुनावी प्रक्रिया में भाग लेना और संभावित रूप से कदाचार में शामिल होना।
    • मतदाता: नागरिक, मतदान के अपने लोकतांत्रिक अधिकार का प्रयोग करते हैं तथा चुनावी प्रक्रिया की अखंडता से प्रभावित होते हैं।
    • चुनाव अधिकारी: मतदान केंद्रों के प्रबंधन और निष्पक्ष एवं पारदर्शी मतदान प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिये उत्तरदायी।
    • कानून प्रवर्तन एजेंसियाँ: कानून व्यवस्था बनाए रखने, चुनावी कदाचार को रोकने और मतदाताओं एवं चुनाव अधिकारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का कार्य करती हैं।
    • मीडिया: चुनाव प्रक्रिया और कदाचार की घटनाओं पर रिपोर्टिंग, सार्वजनिक धारणा एवं जागरुकता को प्रभावित करना।
    • बूथ कैप्चरिंग की चल रही घटनाओं से निपटने और व्यवस्था बहाल करने की तत्काल रणनीति:
    • अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती: बूथ कैप्चरिंग और हिंसा की आगे की घटनाओं को रोकने के लिये प्रभावित निर्वाचन क्षेत्रों में कानून प्रवर्तन कर्मियों की उपस्थिति बढ़ाना।
    • त्वरित प्रतिक्रिया टीमें: कदाचार या हिंसा की रिपोर्टों पर त्वरित प्रतिक्रिया देने और समय पर हस्तक्षेप सुनिश्चित करने के लिये सुसज्जित विशेष टीमों की स्थापना कराना।
    • कानूनों का सख्त प्रवर्तन: यह सुनिश्चित करना कि चुनावी कदाचार के अपराधियों को तेज़ी से पकड़ा जाए और उन पर मुकदमा चलाया जाए, जिससे एक निवारक संदेश पहुँच सके।
    • उन्नत निगरानी: मतदान केंद्रों की निगरानी करने और संभावित गड़बड़ी वाले स्थानों की पहचान करने के लिये CCTV कैमरे एवं ड्रोन जैसी तकनीक का उपयोग करना।
    • मतदाता सहायता बूथ: मतदाताओं को सहायता प्रदान करने, चिंताओं को दूर करने और मतदान प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिये प्रशिक्षित कर्मियों द्वारा समर्पित बूथ स्थापित करना। यह कदाचार के अवसरों को कम करते हुए पारदर्शिता एवं पहुँच को बढ़ाता है।
    • राजनीतिक दलों और नागरिक समाज के साथ सहयोग: शांतिपूर्ण एवं निष्पक्ष चुनावों को बढ़ावा देने के लिये राजनीतिक दलों, गैर-सरकारी संगठनों और समुदाय के नेताओं के साथ सहयोग को बढ़ावा देना।

    चुनावी ढाँचे में आमूल-चूल परिवर्तन के लिये दीर्घकालिक संरचनात्मक सुधार:

    • विधान के माध्यम से चुनावी सुधार: चुनावी कानूनों और विनियमों को मज़बूत करने के उद्देश्य से चुनावी सुधार कानून प्रस्तुत करना तथा लागू करना।
      • इसमें चुनावी अधिकारियों की स्वतंत्रता और प्रभावशीलता को बढ़ाने, अभियान के वित्तपोषण में पारदर्शिता सुनिश्चित करने तथा चुनावी प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने के उपाय शामिल हो सकते हैं।
    • प्रौद्योगिकी एकीकरण: पारदर्शिता, दक्षता और सुरक्षा बढ़ाने के लिये चुनावी प्रक्रिया में प्रौद्योगिकी के एकीकरण में निवेश करना।
      • इसमें सुरक्षित मतदान और परिणाम के लिये इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM), बायोमेट्रिक मतदाता पहचान प्रणाली तथा ब्लॉकचेन तकनीक को अपनाना शामिल हो सकता है।
    • संस्थानों को मज़बूत बनाना: चुनाव आयोगों, कानून प्रवर्तन एजेंसियों और न्यायिक निकायों सहित चुनावी प्रक्रिया में शामिल प्रमुख संस्थानों की क्षमता एवं स्वतंत्रता को दृढ़ करना।
      • इन संस्थानों को अपनी भूमिका प्रभावी ढंग से और निष्पक्ष रूप से पूर्ण करने में सक्षम बनाने के लिये पर्याप्त संसाधन, प्रशिक्षण तथा सहायता प्रदान करना।
    • कानूनी प्रवर्तन और जवाबदेही: चुनावी कानूनों एवं विनियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिये प्रवर्तन तंत्र को मज़बूत करना। इसमें चुनावी अपराधों की जाँच और मुकदमा चलाने के लिये मज़बूत तंत्र के साथ-साथ न्यायपालिका द्वारा चुनावी विवादों का निष्पक्ष निर्णय शामिल है।
    • राजनीतिक दलगत सुधार: राजनीतिक दलों के भीतर पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने के उपायों को लागू करना, जिसमें आंतरिक लोकतंत्र, उम्मीदवार चयन प्रक्रियाओं तथा वित्तीय प्रकटीकरण पर नियम शामिल हैं।
      • राजनीतिक संगठनों के भीतर नैतिक आचरण और लोकतांत्रिक सिद्धांतों के पालन की संस्कृति के विकास को प्रोत्साहित करना।
    • मतदाता शिक्षा और जागरुकता: चुनावी प्रक्रिया में नागरिकों को उनके अधिकारों और उत्तरदायित्वों के बारे में जानकारी देकर सशक्त बनाने के लिये निरंतर मतदाता शिक्षा एवं जागरुकता कार्यक्रम लागू करना।
      • इसमें मतदाताओं को कदाचार की घटनाओं की पहचान करने और रिपोर्ट करने के तरीके के बारे में शिक्षित करना साथ ही नागरिक सहभागिता तथा भागीदारी को बढ़ावा देना शामिल है।
    • नागरिक समाज की भागीदारी: चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता, जवाबदेहिता और सार्वजनिक भागीदारी को बढ़ावा देने के लिये नागरिक समाज संगठनों, गैर-सरकारी संगठनों एवं सामुदायिक समूहों के साथ अधिक सहयोग तथा जुड़ाव को बढ़ावा देना।

    निष्कर्ष:

    चुनावी अखंडता की ओर यात्रा के लिये संस्थागत लचीलापन, तकनीकी परिष्कार और सार्वजनिक जागरुकता को बढ़ावा देने के लिये एक ठोस प्रयास की आवश्यकता है। प्रभावी चुनावी सुधारों को लागू करके, चुनावी अधिकारी अधिक लचीला और जवाबदेह चुनावी ढाँचा तैयार कर सकते हैं जो बूथ कैप्चरिंग जैसे कदाचार के जोखिम को कम करता है तथा लोकतांत्रिक चुनावों की अखंडता में जनता के विश्वास को बढ़ाता है।

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