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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    किस प्रकार से निष्पक्षता एवं गैर-पक्षपातपूर्णता जैसे मूल्य लोक सेवा की नैतिक सत्यनिष्ठा में योगदान करते हैं? इन सिद्धांतों को बनाए रखने से संबंधित व्यावहारिक चुनौतियों के साथ-साथ इनके प्रभावी कार्यान्वयन की रणनीतियों पर भी चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

    09 May, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • निष्पक्षता और गैर-पक्षपात की परिभाषा देते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • लोक सेवा की नैतिक सत्यनिष्ठा में निष्पक्षता तथा गैर-पक्षपातपूर्णता जैसे मूल्यों के योगदान पर प्रकाश डालिये।
    • इन सिद्धांतों को बनाए रखने से संबंधित चुनौतियों का उल्लेख कीजिये।
    • इनके प्रभावी कार्यान्वयन हेतु रणनीतियाँ बताइये।
    • उचित निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    निष्पक्षता का तात्पर्य निष्पक्ष, वस्तुनिष्ठ और पक्षपात या पूर्वाग्रह से मुक्त रहने से है। इसमें बिना किसी भेदभाव या अनुचित प्राथमिकता के सभी व्यक्तियों या समूहों के साथ समान व्यवहार करना शामिल है।

    • दूसरी ओर गैर-पक्षपात का आशय विचारधाराओं, राजनीतिक दलों या विशेष हितों से तटस्थ एवं स्वतंत्र रहने के मूल्य से है।

    मुख्य भाग:

    लोक सेवाओं की नैतिक सत्यनिष्ठा में निष्पक्षता तथा गैरपक्षपात का योगदान:

    • निष्पक्ष निर्णय लेना: निष्पक्षता से यह सुनिश्चित होता है कि लोक सेवक व्यक्तिगत पूर्वाग्रहों या राजनीतिक प्रेरणाओं के बजाय तथ्यों, सबूतों एवं कानून के आधार पर निर्णय लें।
      • उदाहरण के लिये न्यायाधीश से प्रतिवादी की पृष्ठभूमि या लोगों की राय की परवाह किये बिना निष्पक्ष निर्णय देने की आशा की जाती है।
    • न्यायसंगत संसाधन आवंटन: गैर-पक्षपात जैसे मूल्य से संसाधन आवंटन (सरकारी अनुबंध या परियोजनाओं के लिये वित्तपोषण) में पक्षपात नहीं होता है।
      • इससे राजनीतिक हितों के बजाय योग्यता एवं आवश्यकता के आधार पर संसाधनों को निष्पक्ष तथा कुशलता से वितरित करने में मदद मिलती है।
      • उदाहरण के लिये एक निष्पक्ष लोक अधिकारी से यह सुनिश्चित हो सकता है कि अनुबंध प्रतिस्पर्द्धी बोली और नियमों के पालन के आधार पर दिये जाएं, न कि राजनीतिक प्रभाव के आधार पर।
    • सार्वजनिक विश्वास: जब लोक सेवक निष्पक्ष और गैर-पक्षपातपूर्ण तरीके से कार्य करते हैं, तो इससे सरकारी संस्थानों में लोगों के विश्वास को बढ़ावा मिलता है।
      • उदाहरण के लिये एक निष्पक्ष निर्वाचन अधिकारी नागरिकों के बीच चुनावी प्रक्रिया में विश्वास को बढ़ा सकता है।
    • विविधता एवं समावेशन को बढ़ावा देना: निष्पक्षता से सभी व्यक्तियों के लिये समान अवसर सुनिश्चित करने के क्रम में विविधता तथा समावेशन को बढ़ावा मिलता है।
      • उदाहरण के लिये किसी सरकारी एजेंसी में निष्पक्ष भर्ती परीक्षा के माध्यम से योग्यता एवं कौशल के आधार पर उम्मीदवारों का चयन करके विविधता को बढ़ावा दिया जा सकता है।

    हालाँकि इन सिद्धांतों को व्यवहार में बनाए रखने से संबंधित विभिन्न चुनौतियाँ हैं:

    • राजनीतिक प्रभाव और दबाव: लोक सेवकों (विशेष रूप से उच्च पदों पर बैठे लोगों) को राजनीतिक दलों के दबाव का सामना करना पड़ सकता है।
      • इस तरह के दबाव का विरोध करना तथा तटस्थता बनाए रखना (खासकर जब कॅरियर में उन्नति या नौकरी की सुरक्षा दाँव पर हो) चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
    • व्यक्तिगत पूर्वाग्रह: सार्थक उद्देश्यों के साथ भी, लोक सेवकों में अनजाने में व्यक्तिगत पूर्वाग्रह हो सकता है जिससे संभावित रूप से उनकी निष्पक्षता तथा गैर-पक्षपातपूर्ण जैसे मूल्यों से समझौता हो सकता है।
      • इन पूर्वाग्रहों को पहचानना और प्रबंधित करना कठिन (विशेषकर जटिल या संवेदनशील स्थितियों में) हो सकता है।
    • प्रतिस्पर्द्धी हित: लोक सेवकों को अक्सर विभिन्न हितधारकों जैसे- हित समूहों, लॉबी या शक्तिशाली व्यक्तियों की प्रतिस्पर्द्धी मांगों एवं हितों से संबंधित दुविधा का सामना करना पड़ सकता है।
      • निष्पक्षता और गैर-पक्षपातपूर्णता बनाए रखते हुए इन हितों को संतुलित करना जटिल हो सकता है।

    निष्पक्षता तथा गैर-पक्षपातपूर्ण जैसे मूल्यों को प्रभावी ढंग से लागू करने एवं बनाए रखने हेतु निम्नलिखित रणनीतियाँ अपनाई जा सकती हैं:

    • नैतिकता और सत्यनिष्ठा का मज़बूत ढाँचा: स्पष्ट नैतिक दिशा-निर्देश, आचार संहिता एवं नीतियों से निष्पक्षता और गैर-पक्षपातपूर्णता की अपेक्षाओं को स्पष्ट रूप से रेखांकित किया जा सकता है।
      • इन सिद्धांतों एवं लोक सेवा में इनके महत्त्व को सुदृढ़ करने के लिये नियमित प्रशिक्षण तथा जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने चाहिये।
    • पारदर्शिता एवं जवाबदेहिता: मज़बूत पारदर्शिता तंत्र लागू करना चाहिये जैसे निर्णय निर्माण प्रक्रियाओं तथा हितों के टकराव को पारदर्शी बनाना।
    • योग्यता-आधारित भर्ती और पदोन्नति: योग्यता-आधारित भर्ती एवं पदोन्नति प्रणाली को अपनाना चाहिये जिससे राजनीतिक हित या व्यक्तिगत संबंधों की तुलना में नैतिक सिद्धांतों के पालन को प्राथमिकता देते हुए योग्यता को महत्त्व मिलेगा।
      • निष्पक्ष एवं वस्तुनिष्ठ प्रदर्शन मूल्यांकन प्रणाली सुनिश्चित करने के साथ निष्पक्षता तथा गैर-पक्षपात जैसे मूल्यों को पुरस्कृत करना चाहिये।
    • व्हिसलब्लोअर संरक्षण और रिपोर्टिंग तंत्र: अनुचित प्रभाव, राजनीतिक हस्तक्षेप या निष्पक्षता तथा गैर-पक्षपातपूर्ण जैसे मूल्यों के उल्लंघन के मामलों की रिपोर्ट करने के क्रम में लोक सेवकों के लिये सुरक्षित तथा गोपनीय चैनल स्थापित करना चाहिये।
      • प्रतिशोध के डर के बिना रिपोर्टिंग को प्रोत्साहित करने के क्रम में मज़बूत व्हिसलब्लोअर सुरक्षा उपायों को लागू चाहिये।
    • नैतिकता प्रभाव आकलन: लोक सेवा संगठनों के बीच संभावित पूर्वाग्रहों या हितों के टकराव की पहचान करने तथा उन्हें कम करने के लिये नियमित रूप से नैतिकता प्रभाव आकलन करना चाहिये।
      • यह सक्रिय दृष्टिकोण नैतिक चुनौतियों के बढ़ने से पहले उनका समाधान करने में सहायक है।

    निष्कर्ष:

    इन रणनीतियों को लागू करते हुए निष्पक्षता एवं गैर-पक्षपात जैसे सिद्धांतों को लगातार मज़बूत करते रहने से लोक सेवक, लोक सेवा की नैतिक सत्यनिष्ठा को बनाए रखने के साथ निर्णय निर्माण में निष्पक्षता को बढ़ावा दे सकते हैं, जिससे शासन प्रणाली में लोगों के विश्वास को मज़बूत किया जा सकता है।

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