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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    भारत में कृषि क्षेत्र के रूपांतरण में ई-प्रौद्योगिकी की भूमिका पर चर्चा कीजिये। इस संबंध में किसानों को सशक्त बनाने के क्रम में सरकार द्वारा की गई विभिन्न ई-पहलों पर विस्तार से प्रकाश डालिये। (250 शब्द)

    08 May, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 3 अर्थव्यवस्था

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • कृषि क्षेत्र के महत्त्व और ई-प्रौद्योगिकी के दोहन की आवश्यकता का परिचय लिखिये।
    • कृषि क्षेत्र में परिवर्तन लाने में ई-प्रौद्योगिकी की भूमिका का वर्णन कीजिये।
    • किसानों को सशक्त बनाने के लिये सरकार की ई-पहलों पर प्रकाश डालिये।
    • तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    ऐसे देश में जहाँ कृषि क्षेत्र आधे से अधिक कार्यबल को रोज़गार देता है और सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 15-17% का योगदान देता है, इस क्षेत्र की वास्तविक क्षमता को जानने के लिये ई-प्रौद्योगिकी का उपयोग करना अनिवार्य हो गया है।

    डिजिटल प्रौद्योगिकियों (ICT) का लाभ उठाकर, सरकार कृषि उत्पादकता बढ़ाने, बाज़ार पहुँच में सुधार और किसानों की आजीविका को समृद्ध करने के उद्देश्य से कई ई-पहलों को संचलित कर रही है।

    मुख्य भाग:

    कृषि क्षेत्र में होने वाले परिवर्तन में ई-प्रौद्योगिकी की भूमिका:

    • सटीक खेती: ई-प्रौद्योगिकी रिमोट सेंसिंग, जीपीएस-आधारित मृदा मानचित्रण और परिवर्तनीय दर प्रौद्योगिकी (Variable Rate Technology) जैसी सटीक कृषि तकनीकों को सक्षम बनाती है, जो संसाधन उपयोग को अनुकूलित करती है, अपशिष्ट को कम करती है और उत्पादकता बढ़ाती है।
      • रिपोर्ट से पता चलता है कि कृषि-आईओटी (Ag-IoT) का उपयोग सटीक खेती के साथ जल के उपयोग को 30% तक कम कर सकता है।
    • मौसम और जलवायु के वास्तविक समय की जानकारी: किसान डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से वास्तविक समय के मौसम पूर्वानुमान, जलवायु डेटा और प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों तक पहुँच सकते हैं, जिससे बेहतर योजना एवं निर्णय लेने में सहायता मिलती है।
      • AccuWeather, MAUSAM (IMD द्वारा विकसित) जैसे ऐप मौसम की सहज और उपयोगकर्त्ता के अनुकूल पहुँच प्रदान करते हैं। इसके अनुसार उपयोगकर्त्ता मौसम, पूर्वानुमान, रडार छवियों तक पहुँच सकते हैं और आसन्न मौसमी घटनाओं की सक्रियता से सतर्क रह सकते हैं।
    • बाज़ार आसूचना: ई-प्लेटफॉर्म किसानों को बाज़ार की कीमतों, मांग के रुझान और आपूर्ति शृंखलाओं के बारे में नवीनतम जानकारी प्रदान करते हैं, जिससे उन्हें सूचित निर्णय लेने तथा अपनी उपज के लिये बेहतर मूल्य प्राप्त करने में सशक्त बनाया जाता है।
    • कृषि विशेषज्ञता तक पहुँच: ई-प्रौद्योगिकी ऑनलाइन मंचों, वीडियो ट्यूटोरियल और आभासी सलाहकार सेवाओं के माध्यम से कृषि ज्ञान एवं सर्वोत्तम प्रथाओं के प्रसार की सुविधा प्रदान करती है, जिससे किसानों तथा विशेषज्ञों के बीच अंतर कम होता है।
      • एम किसान, किसान सुविधा आदि जैसे- पोर्टल/ऐप उर्वरक, सब्सिडी, मौसम और बाज़ार कीमतों जैसे विषयों पर जानकारी प्रदान करते हैं। वे किसानों को उनकी स्थानीय भाषा में कृषि कार्यों का प्रबंधन करने में भी सहायक हो सकते हैं।
    • आपूर्ति शृंखला प्रबंधन: डिजिटल समाधान कृषि आपूर्ति शृंखला को सुव्यवस्थित करते हैं, कुशल ट्रैकिंग, ट्रेसबिलिटी और लॉजिस्टिक्स प्रबंधन को सक्षम करते हैं, अपशिष्ट को कम करते हैं तथा उपज की समय पर डिलीवरी सुनिश्चित करते हैं।
      • IIT रोपड़ ने एम्बिटैग नामक एक IoT उपकरण विकसित किया है, जो खराब होने वाले उत्पादों, शरीर के अंगों और रक्त, टीकों आदि के परिवहन के दौरान वास्तविक समय के परिवेश के तापमान को रिकॉर्ड करता है।
        • एम्बिटैग तापमान डेटा लॉग उपयोगकर्त्ता को सलाह देता है, कि परिवहन की गई वस्तु उपयोग योग्य है या परिवहन के दौरान कोल्ड चेन से समझौता किया गया है।
    • वित्तीय समावेशन: मोबाइल बैंकिंग और डिजिटल भुगतान प्रणाली जैसी ई-प्रौद्योगिकियों ने किसानों के लिये वित्तीय समावेशन की सुविधा प्रदान की है, जिससे उन्हें ऋण, बीमा और सरकारी सब्सिडी तक आसान पहुँच प्रदान की गई है।
      • क्लिक्स कैपिटल जैसी कुछ एनबीएफसी अपने निजी या अर्द्ध-सहकारी डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से किसानों और कृषि-तकनीकी स्टार्ट-अप को शामिल करके अनुकूलित ऋण उत्पाद पेश करती हैं।

    किसानों को सशक्त बनाने के लिये सरकारी ई-पहल:

    • डिजिटल इंडिया भू-अभिलेख आधुनिकीकरण कार्यक्रम (DILRMP): इसका उद्देश्य किसानों के लिये पारदर्शी और कुशल भूमि प्रबंधन सुनिश्चित करते हुए भू-अभिलेखों का डिजिटलीकरण एवं आधुनिकीकरण करना है।
    • मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना: यह किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्रदान करती है जिसमें मृदा की पोषक स्थिति और अनुशंसित उर्वरक खुराक शामिल है, जिससे बेहतर मृदा प्रबंधन एवं उत्पादकता संभव हो पाती है।
    • ई-नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट (e-NAM): एक ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म जो किसानों को देश भर के खरीदारों से जोड़ता है, बेहतर मूल्य खोज (Price Discovery) को सक्षम बनाता है और बिचौलियों को कम करता है।
    • किसान सुविधा मोबाइल ऐप: यह किसानों को मौसम, बाज़ार मूल्य, पौधों की सुरक्षा और सरकारी योजनाओं सहित अन्य जानकारी प्रदान करता है।
    • कृषि-उड़ान: होनहार नवप्रवर्तकों को संस्थागत निवेशकों से जोड़कर कृषि क्षेत्र में स्टार्टअप विकास को बढ़ावा देने की एक पहल।
    • कृषि में राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना (NeGP-A): सूचना प्रसार, इनपुट प्रबंधन और बाज़ार लिंकेज सहित किसानों को शुरू से अंत तक डिजिटलीकृत सेवाएँ प्रदान करना।

    सरकार ने किसानों को सशक्त बनाने के लिये विभिन्न ई-पहल शुरू की हैं, फिर भी डिजिटल विभाजन को खत्म करने, डिजिटल साक्षरता में सुधार करने और कृषि क्षेत्र में ई-प्रौद्योगिकी के लाभों को अधिकतम करने के लिये अंतिम-मील तक कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने के लिये निरंतर प्रयासों की आवश्यकता है। सार्वजनिक-निजी भागीदारी एवं कृषि-तकनीक स्टार्टअप के साथ सहयोग ई-प्रौद्योगिकी को अपनाने में और तेज़ी ला सकता है, भारतीय कृषि में परिवर्तन ला सकता है।

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