भारत-प्रशांत क्षेत्र में क्वाड (QUAD) समूह के महत्त्व का आकलन कीजिये। भारत के रणनीतिक हितों एवं उभरते भू-राजनीतिक परिदृश्य पर ध्यान केंद्रित करते हुए क्षेत्रीय सुरक्षा हेतु इसके निहितार्थ का विश्लेषण कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- उत्तर की शुरुआत QUAD समूह के परिचय के साथ कीजिये।
- क्षेत्रीय सुरक्षा और भारत के रणनीतिक हितों पर QUAD के महत्त्व का उल्लेख कीजिये।
- उभरते भू-राजनीतिक परिदृश्य के बीच क्वाड में प्रमुख चुनौतियों का वर्णन कीजिये।
- तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय:
चतुर्भुज सुरक्षा संवाद या क्वाड समूह, जिसमें भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं, क्षेत्रीय सुरक्षा, भू-राजनीति एवं भारत के रणनीतिक हितों के दूरगामी प्रभाव के साथ, भारत-प्रशांत क्षेत्र में एक महत्त्वपूर्ण रणनीतिक साझेदारी के रूप में उभरा है।
मुख्य भाग:
QUAD का महत्त्व:
- क्षेत्रीय सुरक्षा के संदर्भ में:
- चीन की मुखरता का सामना: क्वाड देशों को दक्षिण चीन सागर विवाद जैसे मुद्दों पर सामूहिक सौदेबाज़ी की शक्ति प्रदान करता है, जो चीन के प्रभाव को संतुलित करता है।
- सहकारी सुरक्षा स्थापत्य: क्वाड सुरक्षा चुनौतियों के लिये एक सहकारी दृष्टिकोण को बढ़ावा देता है।
- मालाबार अभ्यास, 2024 जैसे संयुक्त नौसैनिक अभ्यास एकतरफा कार्रवाइयों को रोकते हुए, स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक के लिये एक संयुक्त मोर्चा प्रस्तुत करते हैं।
- साझा मूल्य और मानदंड: क्वाड UNCLOS के पालन, नेविगेशन की स्वतंत्रता और विवादों के शांतिपूर्ण समाधान पर ज़ोर देता है।
- इस मानक ढाँचे का लक्ष्य इंडो-पैसिफिक में नियम-आधारित व्यवस्था को कायम रखना है।
- भारत के रणनीतिक हितों के संदर्भ में:
- चीन के खिलाफ बचाव की रणनीति: चीन की बढ़ती नौसैनिक उपस्थिति और हिंद महासागर में जिबूती जैसे सैन्य अड्डों की स्थापना ने भारत की समुद्री सुरक्षा एवं उसके रणनीतिक क्षेत्र में नेविगेशन की स्वतंत्रता के लिये चिंताएँ बढ़ा दी हैं।
- क्वाड भारत को चीन के उदय के खिलाफ रणनीतिक बचाव प्रदान करता है।
- निर्बाध व्यापार को सुरक्षित करना: क्वाड भारत को मलक्का जलडमरूमध्य और होर्मुज़ जलडमरूमध्य जैसे महत्त्वपूर्ण समुद्री मार्गों के माध्यम से निर्बाध व्यापार एवं ऊर्जा प्रवाह के अपने प्राथमिक समुद्री हित को सुनिश्चित करने के लिये समान विचारधारा वाले भागीदारों के साथ सहयोग करने हेतु एक मंच प्रदान करता है।
उभरते भू-राजनीतिक परिदृश्य में QUAD:
- संभावित हथियारों की होड़: चीन की आक्रामकता का सामना करने के लिये क्वाड के प्रयासों से दोनों पक्षों द्वारा सैन्य व्यय और आधुनिकीकरण के प्रयासों में वृद्धि हो सकती है, जिससे हथियारों की होड़ को बढ़ावा मिल सकता है।
- चीन की पहले से ही क्वाड के बारे में "एशियाई नाटो" के रूप में धारणा है।
- औपचारिक संरचना का अभाव: क्वाड में औपचारिक सामूहिक संरचना का अभाव है। यह अस्पष्टता संकट के समय प्रत्येक सदस्य द्वारा की जाने वाली प्रतिबद्धता के स्तर के बारे में अनिश्चितता उत्पन्न करती है।
- भारत की कूटनीतिक घेराबंदी: रणनीतिक हितों के लिये क्वाड का लाभ उठाने और ब्रिक्स एवं SCO जैसे अन्य बहुपक्षीय मंचों के माध्यम से चीन के साथ स्थिर संबंधों को बनाए रखने के बीच संतुलन बनाए रखना भारत के लिये एक महत्त्वपूर्ण चुनौती है।
- ताइवान की दुविधा: ताइवान की स्थिति पर QUAD का रुख एक संभावित फ्लैशप्वाइंट है। प्रत्येक सदस्य द्वारा ताइवान को दी जाने वाली राजनयिक मान्यता के अलग-अलग मतों को देखते हुए एक एकीकृत दृष्टिकोण बनाना कठिन है।
निष्कर्ष:
क्वाड के आस-पास उभरती भू-राजनीतिक गतिशीलता को देखते हुए, भारत को अपने रणनीतिक हितों की रक्षा हेतु क्वाड का लाभ उठाने और राजनयिक चैनलों के माध्यम से चीन के साथ स्थिर संबंध बनाए रखने के बीच एक नाज़ुक संतुलन बनाना होगा। आर्थिक, तकनीकी और सैन्य क्षमताओं सहित अपनी व्यापक राष्ट्रीय शक्ति को मज़बूत करने से भारत-प्रशांत क्षेत्र की जटिल भू-राजनीतिक गतिशीलता से निपटने में भारत की रणनीतिक स्वायत्तता एवं सौदेबाज़ी की शक्ति में वृद्धि होगी।