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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    भारत के कुछ क्षेत्रों में वामपंथी उग्रवाद के बने रहने के पीछे के प्रमुख कारकों का विश्लेषण कीजिये। इस खतरे से प्रभावी ढंग से निपटने के लिये आवश्यक रणनीतिक उपाय बताइये। (150 शब्द)

    01 May, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 3 आंतरिक सुरक्षा

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • भारत में वामपंथी उग्रवाद (LWE) की स्थिति को बताते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • इसके बने रहने के पीछे के कारकों का उल्लेख कीजिये।
    • वामपंथी उग्रवाद के समाधान हेतु वर्तमान रणनीतियों को परिभाषित कीजिये।
    • वामपंथी उग्रवाद से निपटने के लिये रणनीतिक उपाय सुझाइये।
    • समाधान सिद्धांत के साथ समापन कीजिये।

    परिचय:

    वामपंथी उग्रवाद, जिसे आमतौर पर नक्सली आंदोलन के रूप में जाना जाता है, भारत के लिये एक महत्त्वपूर्ण आंतरिक सुरक्षा चुनौती बना हुआ है। जबकि 2010 से 2022 तक वामपंथी चरमपंथी हिंसा की रिपोर्ट करने वाले ज़िलों में 53% की गिरावट आई है, लेकिन मध्य और पूर्वी भारत के वंचित एवं आदिवासी क्षेत्र में आर्थिक रूप से यह अभी भी कायम है।

    मुख्य भाग:

    वामपंथी उग्रवाद के बने रहने के पीछे के कारक:

    • सामाजिक-आर्थिक असमानता: स्थानिक गरीबी और स्वास्थ्य देखभाल तथा शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी, माओवादियों के लिये बुनियाद का निर्माण करती है।
      • इसके अलावा, जैसा कि डी बंदोपाध्याय समिति के अनुसार, विकास नीतियों में सामाजिक अन्याय और भेदभाव को प्रायः नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है।
      • ये असमानताएँ उन आंदोलनों को जन्म देती हैं, जो दलित और आदिवासी शिकायतों को वामपंथी विचारधारा के साथ जोड़ देते हैं।
    • संसाधनों का बेदखली और अधूरे वादे: खनन परियोजनाओं और बुनियादी ढाँचे के विकास के कारण भूमि का हस्तांतरण प्रायः वामपंथी गतिविधियों को बढ़ावा देता है।
      • इसका ताज़ा उदाहरण ओडिशा की पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील नियमगिरि पहाड़ियों में खनन परियोजना है।
    • शासन में कमी और कमज़ोर शिकायत निवारण तंत्र: दूरदराज़ के इलाकों में राज्य की कमज़ोर उपस्थिति माओवादियों को एक समानांतर प्रशासन स्थापित करने और सरकारी संस्थानों में विश्वास की कमी का फायदा उठाने की अनुमति देती है।
      • उदाहरण के लिये छत्तीसगढ़ में CRPF गश्ती दल पर माओवादी हमले की हालिया घटना में क्षेत्र की सुदूरता और सीमित सुरक्षा उपस्थिति को योगदान कारकों के रूप में उद्धृत किया गया था।
    • सीमा पार से घुसपैठ और समर्थन जाल: भारत में सक्रिय वामपंथी उग्रवादी समूहों को कभी-कभी पड़ोसी देशों के साथ खुली सीमाओं के पार समर्थन और सुरक्षित पनाहगाह मिलते हैं।
      • कथित तौर पर भारत में ऐसी गतिविधियों में शामिल एक शीर्ष माओवादी नेता की नेपाल में गिरफ्तारी इस मुद्दे को उजागर करती है।

    वामपंथी उग्रवाद को संबोधित करने वाली वर्तमान रणनीतियाँ:

    • समावेशी विकास और सशक्तीकरण: वन अधिकार, पेसा और मनरेगा जैसी योजनाएँ हाशिये पर रहने वाले समुदायों को सशक्त बनाती हैं, मूल कारणों को संबोधित करती हैं तथा वामपंथी उग्रवाद के प्रति संवेदनशीलता को कम करती हैं।
    • बुनियादी ढाँचा और कनेक्टिविटी: प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना द्वारा लोगों की बाज़ारों एवं सेवाओं तक पहुँच में सुधार करने एवं दूरदराज़ के क्षेत्रों में अलगाव को कम करने के साथ उग्रवाद को कम करने में भूमिका निभाई जा रही है।
    • शिक्षा और कौशल: एकलव्य मॉडल स्कूल और कौशल भारत मिशन जैसे कार्यक्रम चरमपंथी विचारधाराओं के लिये समर्थन को कम करते हुए विकल्प प्रदान करते हैं।
    • जनजातीय और ग्रामीण विकास मॉडल: झारखंड वैकल्पिक विकास पहल, केरल कुदुंबश्री कार्यक्रम, तथा ग्रामीण गरीबी उन्मूलन के लिये आंध्रप्रदेश सोसायटी जैसी पहल विकास के माध्यम से वामपंथी उग्रवाद का सामना करने के लिये प्रभावी रणनीतियों का प्रदर्शन करती हैं।

    वामपंथी उग्रवाद से निपटने के लिये रणनीतिक उपाय:

    • तकनीक-संचालित इंटेलिजेंस: नक्सली गतिविधियों पर नज़र रखने और ट्रैक करने, खुफिया जानकारी एकत्रित करने एवं लक्षित अभियानों की योजना बनाने के लिये उन्नत तकनीकों तथा डेटा एनालिटिक्स को नियोजित करना।
      • इसके अतिरिक्त, प्रति-कथा अभियानों (Counter-Narrative Campaign) के लिये सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म का लाभ उठाने से नक्सली प्रचार एवं वैचारिक विचारधारा का सामना करने में सहायता मिल सकती है।
    • फास्ट-ट्रैक विकास निगम: वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों के लिये समर्पित विकास निगम या प्राधिकरण स्थापित करना, जिसका उद्देश्य बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को तेज़ी से आगे बढ़ाना, उद्यमशीलता को बढ़ावा देना और रोज़गार के अवसर उत्पन्न करना है।
      • इन निगमों के पास विकास पहलों का त्वरित और प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिये विशेष शक्तियाँ एवं संसाधन हो सकते हैं।
    • कौशल विकास और उद्यमिता केंद्र: नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में कौशल विकास और उद्यमिता केंद्र स्थापित करना, जिसमें व्यावसायिक प्रशिक्षण, व्यवसाय स्थापना में सहायता तथा बाज़ारों तक पहुँच प्रदान करना शामिल है।
      • यह युवाओं को सशक्त बना सकता है, वैकल्पिक आजीविका के अवसर उत्पन्न कर सकता है और नक्सली विचारधारा को कम कर सकता है।
    • सार्वजनिक-निजी भागीदारी: प्रभावित क्षेत्रों में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) को प्रोत्साहित करना, विकास, बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं और रोज़गार सृजन को बढ़ावा देने के लिये निजी क्षेत्र के संसाधनों एवं विशेषज्ञता का लाभ उठाना।
    • इससे इन क्षेत्रों में कॉर्पोरेट सामाजिक ज़िम्मेदारी पहल को भी बढ़ावा मिल सकता है।
    • मनोवैज्ञानिक संचालन: नक्सली विचारधारा को कमज़ोर करने, भर्ती प्रयासों को बाधित करने और आत्मसमर्पण को प्रोत्साहित करने के लिये लक्षित संदेश, प्रचार एवं प्रभावित करने वाली रणनीति का उपयोग करके मनोवैज्ञानिक संचालन (PsyOps) को आतंकवाद विरोधी रणनीतियों में एकीकृत करना।
    • क्षेत्रीय सहयोग: नेपाल, भूटान और म्याँमार जैसे पड़ोसी देशों के साथ क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाना, जहाँ नक्सली सुरक्षित पनाहगाह या पारगमन मार्ग तलाश सकते हैं। समन्वित खुफिया जानकारी साझा करना, जो संयुक्त अभियान और सीमा प्रबंधन उनकी गतिविधियों को बाधित करने में मदद कर सकते हैं।

    निष्कर्ष:

    वामपंथी उग्रवाद से निपटने के लिये राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना के साथ संरेखित समाधान सिद्धांत वामपंथी उग्रवाद के लगातार खतरे का प्रभावी ढंग से सामना करने एवं कमज़ोर क्षेत्रों में स्थायी शांति तथा विकास को बढ़ावा देने की क्षमता रखता है।

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