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मेन्स प्रैक्टिस प्रश्न

  • प्रश्न :

    एक गंभीर प्राकृतिक आपदा के बाद, एक समुदाय स्वयं को एक विकट स्थिति में पाता है, जिसमें हज़ारों लोग बेघर हो जाते हैं और उनके पास बुनियादी आवश्यकताओं की कमी हो जाती है। भारी वर्षा और बुनियादी ढाँचे की क्षति ने बचाव प्रयासों को गंभीर रूप से बाधित किया है, जिससे प्रभावित लोगों में हताशा और बढ़ गई है। जैसे ही बचाव दल घटनास्थल पर पहुँचता है, उन्हें शत्रुता और हिंसा का सामना करना पड़ता है, जिसमें टीम के कुछ सदस्यों पर हमला किया जाता है और एक सदस्य को गंभीर चोटें आती हैं। इस उथल-पुथल के बीच, टीम के भीतर से उनकी सुरक्षा के भय से ऑपरेशन को बंद करने का अनुरोध किया जाता है।

    A. उपर्युक्त मामले में शामिल नैतिक दुविधाओं की जाँच कीजिये।
    B. एक लोक सेवक के उन गुणों की जाँच कीजिये, जिनकी स्थिति को प्रबंधित करने के लिये आवश्यकता होगी।
    C. मान लीजिये आप उस क्षेत्र में बचाव अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं, तो आपकी प्रतिक्रिया क्या होगी?

    26 Apr, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़

    उत्तर :

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • उपर्युक्त मामले का संक्षेप में परिचय दीजिये।
    • इस मामले में शामिल नैतिक दुविधा का परीक्षण कीजिये।
    • इस आलोक में एक लोक सेवक के उन गुणों की जाँच कीजिये जिनकी इस स्थिति को प्रबंधित करने के लिये आवश्यकता होगी।
    • इस स्थिति को संभालने के लिये चरणबद्ध प्रतिक्रिया का प्रस्ताव दीजिये।
    • उचित निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    यह मामला एक ऐसे समुदाय से संबंधित है जो गंभीर प्राकृतिक आपदा से प्रभावित है, जहाँ हज़ारों लोगों के बेघर होने के साथ ही भारी वर्षा एवं बुनियादी ढाँचे की क्षति के कारण बुनियादी आवश्यकताओं की कमी हो गई है। इस क्षेत्र में जैसे ही बचाव दल पहुँचते हैं, उन्हें शत्रुता और हिंसा का सामना करना पड़ता है, साथ ही टीम के कुछ सदस्यों पर हमला भी किया जाता है। इसके परिणामस्वरूप बचाव प्रयासों में बाधा उत्पन्न होने के कारण प्रभावित आबादी में हताशा और निराशा की स्थिति देखि गई। यह एक चुनौतीपूर्ण स्थिति है जहाँ सुरक्षा चिंताओं के साथ बचाव के प्राथमिकताओं को संतुलित करने की नैतिक दुविधा उत्पन्न हुई है।

    मुख्य भाग:

    A. केस स्टडी में नैतिक दुविधा:

    • प्राथमिकताओं को संतुलित करना: इसमें आपदा प्रभावित समुदाय को सहायता प्रदान करने के कर्त्तव्य तथा बचाव टीमों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के कर्त्तव्य के बीच संघर्ष की स्थिति बनी हुई है।
    • नैतिक दायित्व बनाम सुरक्षा चिंताएँ: इसमें बचावकर्मियों को ज़रूरतमंद लोगों की मदद करने के अपने कर्त्तव्य को पूरा करने तथा प्रतिकूल वातावरण में अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के बीच एक दुविधा का सामना करना पड़ता है।
    • संसाधन आवंटन: सीमित संसाधनों का आवंटन प्रभावित समुदाय को सहायता प्रदान करने तथा बचावकर्त्ताओं की सुरक्षा एवं कल्याण सुनिश्चित करने के बीच संतुलित रूप से किया जाना चाहिये।

    B. इस स्थिति को प्रबंधित करने के लिये लोक सेवक के आवश्यक गुण:

    • साहस: ऐसी स्थिति में लोक सेवकों को खतरे और प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करने के साथ जोखिम के बावजूद दूसरों की मदद करने की अपनी प्रतिबद्धता में दृढ़ रहने के साहस की आवश्यकता होती है।
    • सहानुभूति: इससे लोक सेवक आपदा प्रभावित समुदाय की पीड़ा एवं हताशा को समझने तथा करुणा और संवेदनशीलता के साथ प्रतिक्रिया करने में सक्षम होता है।
    • नेतृत्व: प्रभावी नेतृत्व कौशल इस प्रकार की स्थिति को संभालने, बचाव प्रयासों का समन्वय करने तथा इसमें शामिल सभी लोगों के हित में निर्णय लेने के लिये महत्त्वपूर्ण है।
    • अनुकूलनशीलता: इससे बदलती परिस्थितियों का त्वरित आकलन करने और उसके अनुरूप बचाव रणनीतियों को समायोजित करने में सक्षमता आती है।
    • ईमानदारी: ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ कार्य करने से यह सुनिश्चित होगा कि समुदाय एवं बचाव टीमों की ज़रूरतों को पूरा करने के लिये संसाधनों को निष्पक्ष तथा नैतिक रूप से आवंटित किया गया है।

    C. स्थिति को संभालने के लिये चरणबद्ध प्रतिक्रिया:

    • तात्कालिक खतरों का आकलन करना: जोखिम वाले क्षेत्रों की पहचान करने के साथ बचाव टीमों के लिये खतरे के स्तर का आकलन करना।
    • सुरक्षा उपाय सुनिश्चित करना: जोखिम वाले क्षेत्रों में अस्थायी रूप से कार्रवाई रोकने के साथ सुरक्षा उपाय लागू करना एवं बचावकर्मियों को आगे की हिंसा से बचाना।
    • सामुदायिक शिकायतों को हल करना: स्थानीय अधिकारियों तथा समुदाय के नेताओं के साथ संचार को प्रभावी बनाने के साथ निराशा के अंतर्निहित कारणों का समाधान करना।
    • व्यावसायिकता और संवेदनशीलता: व्यावसायिकता के साथ कार्रवाई करने के साथ प्रभावित व्यक्तियों की गरिमा का सम्मान करना।
    • संसाधन प्रबंधन: तत्काल ज़रूरतों के आधार पर सुरक्षा एवं सहायता वितरण को प्राथमिकता देते हुए संसाधनों को कुशलतापूर्वक आवंटित करना।
    • समन्वय: समन्वित एवं प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के लिये स्थानीय अधिकारियों, सामुदायिक नेताओं तथा अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर कार्य करना।
    • कार्रवाई की समीक्षा एवं निष्पादन: नियमित रूप से संचालन की समीक्षा करने के साथ आवश्यकतानुसार रणनीतियों को अपनाना तथा भविष्य की प्रतिक्रियाओं को बेहतर बनाने के लिये अनुभवों से सीखना।
    • अनुकूलनशीलता: टीम के सदस्यों से चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में लचीला रुख अपनाने तथा उभरती परिस्थितियों के अनुकूल ढलने का आग्रह करना। ऐसे में सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखना तथा कठिनाइयों के बावजूद टीम को अपने प्रयासों में लगे रहने के लिये प्रेरित करना महत्त्वपूर्ण है।

    निष्कर्ष:

    लोक सेवा के सहानुभूतिपूर्ण गुणों को अपनाने के साथ एक रणनीतिक दृष्टिकोण का पालन करके, लोक सेवक ऐसी जटिल एवं चुनौतीपूर्ण स्थितियों का प्रभावी ढंग से प्रबंधन कर सकते हैं।

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