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प्रश्न :
भारत में जैन एवं बौद्ध धर्म के उदय की विवेचना कीजिये। बौद्ध धर्म तथा जैन धर्म की शिक्षाएँ किस प्रकार अपने दृष्टिकोणों में समान होने के साथ-साथ एक-दूसरे से भिन्न भी हैं? (250 शब्द)
22 Apr, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 1 इतिहासउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- उत्तर की शुरुआत बौद्ध धर्म और जैन धर्म के उदय और प्रसार के परिचय के साथ कीजिये।
- बौद्ध धर्म और जैन धर्म की शिक्षाओं और दर्शन में अंतर बताइये।
- अभिसारी और अपसारी शिक्षाओं के उदाहरणों का उपयोग करते हुए परिभाषित कीजिये।
- तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।
परिचय:
छठी शताब्दी ईसा पूर्व के आसपास प्राचीन भारत ने बौद्धिक और आध्यात्मिक परिवर्तन की अवधि देखी। वैदिक प्रणाली की सीमाओं के प्रति प्रतिक्रिया के रूप में दो प्रभावशाली धर्मों-जैन धर्म और बौद्ध धर्म के उद्भव ने लोगों को आध्यात्मिक ज्ञान के लिये वैकल्पिक मार्ग प्रदान किये।
मुख्य भाग:
भारत में जैन एवं बौद्ध धर्म का उदय:
- भारत में बौद्ध धर्म का उदय:
- 2,600 वर्ष पूर्व भारत में बौद्ध धर्म का उद्भव एक ऐसी जीवन शैली के रूप में हुआ था, जिसमें किसी व्यक्ति में परिवर्तन लाने की क्षमता थी।
- यह धर्म 563 ईसा पूर्व में उत्पन्न हुए इसके संस्थापक सिद्धार्थ गौतम (गौतम बुद्ध) की शिक्षाओं और जीवन के अनुभवों पर आधारित है।
- उनका जन्म शाक्य वंश के शाही परिवार में हुआ था, जो भारत-नेपाल सीमा के पास स्थित लुंबिनी में कपिलवस्तु पर शासन करते थे।
- 29 वर्ष की आयु में गौतम ने अपने वैभवशाली जीवन को त्याग दिया और तपस्या, या अत्यधिक आत्म-अनुशासन की जीवन शैली अपना ली।
- निरंतर 49 दिनों के ध्यान के बाद, गौतम को बिहार के एक गाँव बोधगया में एक पीपल के वृक्ष के नीचे बोधि (ज्ञान) की प्राप्ति हुई।
- भारत में जैन धर्म का उदय:
- छठी शताब्दी ईसा पूर्व में जैन धर्म को प्रसिद्धि मिली। जब भगवान महावीर ने धर्म का प्रचार किया।
- जैन धर्म में 24 महान उपदेशक हुए, जिनमें से भगवान महावीर अंतिम थे।
- इन चौबीस उपदेशकों को तीर्थंकर कहा जाता था - जिन्होंने जीवित रहते हुए ज्ञान (मोक्ष) प्राप्त किया था और लोगों को इसका उपदेश दिया था।
- 24वें तीर्थंकर वर्द्धमान महावीर का जन्म 540 ईसा पूर्व में वैशाली के निकट कुंडग्राम नामक गाँव में हुआ था।
- उन्होंने 12 वर्षों तक तपस्या की और 42 वर्ष की आयु में कैवल्य नामक सर्वोच्च आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त किया (अर्थात दुख और सुख पर विजय प्राप्त की)।
- उन्होंने अपने शिष्टमंडल के साथ कोशल, मगध, मिथिला, चंपा आदि की यात्रा की।
- भारत में जैन और बौद्ध धर्म के उदय से जुड़े कारण
- बौद्ध धर्म और जैन धर्म का उदय वैदिक धर्म की जाति व्यवस्था और अनुष्ठानों से असंतोष के कारण हुआ। उन्होंने समतावादी दृष्टिकोण, अहिंसा और मुक्ति के मार्ग की पेशकश करते हुए, पीड़ित लोगों और व्यापारी वर्ग दोनों से अपील की। उनकी सरल शिक्षाओं और शाही समर्थन ने उनके प्रसार को और अधिक बढ़ावा दिया।
- अशोक, कनिष्क और हर्षवर्द्धन जैसे महान सम्राटों ने बौद्ध धर्म को संरक्षण दिया, जबकि जैन धर्म को उत्तर भारत के चंद्रगुप्त मौर्य, धनानंद और कलिंग नरेश खारवेल जैसे शासकों से संरक्षण प्राप्त हुआ।
- बौद्ध धर्म और जैन धर्म का उदय वैदिक धर्म की जाति व्यवस्था और अनुष्ठानों से असंतोष के कारण हुआ। उन्होंने समतावादी दृष्टिकोण, अहिंसा और मुक्ति के मार्ग की पेशकश करते हुए, पीड़ित लोगों और व्यापारी वर्ग दोनों से अपील की। उनकी सरल शिक्षाओं और शाही समर्थन ने उनके प्रसार को और अधिक बढ़ावा दिया।
बौद्ध धर्म और जैन धर्म की शिक्षाओं में अंतर:
- बौद्ध धर्म और जैन धर्म की शिक्षाओं के बीच समानताएँ:
- अहिंसा पर ध्यान देना: दोनों धर्मों का केंद्र जीवित प्राणियों को नुकसान से बचाने के सिद्धांत पर आधारित है।
- मुक्ति की इच्छा: पुनर्जन्म (संसार) के चक्र से बचना और ज्ञान प्राप्त करना दोनों परंपराओं में एक प्रमुख लक्ष्य है।
- नैतिक आचरण: दोनों नैतिकता, सही जीवन और नेक मार्ग पर चलने पर ज़ोर देते हैं।
- बौद्ध धर्म और जैन धर्म की शिक्षाओं के बीच अंतर:
- अहिंसा का कठोर रूप से पालन: जैन धर्म अहिंसा को अधिक कठोर रूपी चरम पर ले जाता है। जैन जीवन के सभी पहलुओं में अहिंसा का पालन करते हैं, जिसमें झाड़ू लगाते समय मास्क पहनकर सूक्ष्म जीवों से भी बचना शामिल है। सामान्यतः बौद्ध बड़े प्राणियों के प्रति अहिंसा पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
- देवताओं की भूमिका: बौद्ध धर्म देवताओं की पूजा पर ज़ोर नहीं देता है, आत्मज्ञान के लिये व्यक्तिगत प्रयास पर ध्यान केंद्रित करता है। जैन धर्म में कई देवता हैं, लेकिन उन्हें निर्माता या उद्धारकर्त्ता के रूप में नहीं देखा जाता है, बल्कि ऐसे प्राणियों के रूप में देखा जाता है जिन्होंने स्वयं मुक्ति प्राप्त की है।
- सामाजिक पदानुक्रम: जैन धर्म में अभी भी विभिन्न संप्रदायों के साथ एक मठवासी पदानुक्रम है। बौद्ध धर्म अधिक समतावादी मठवासी संरचना पर ज़ोर देता है।
निष्कर्ष:
जैन धर्म और बौद्ध धर्म, समान परिस्थितियों से उत्पन्न हुए थे, प्राचीन भारत में ज्ञानोदय के लिये अलग-अलग मार्ग पेश करते थे। दोनों ने अहिंसा, अच्छे आचरण और पुनर्जन्म से बचने पर ज़ोर दिया। जिसमें जैन धर्म अहिंसा को चरम पर ले गया, जबकि बौद्ध धर्म ने आत्मनिर्भरता पर ध्यान केंद्रित किया। इन मतभेदों के बावजूद दोनों धर्म भारतीय आध्यात्मिकता के अभिन्न अंग बने हुए हैं, जो आने वाली सदियों तक इसकी नैतिकता, सामाजिक विचार और कलात्मक परंपराओं को प्रभावित करते हैं।
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