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प्रश्न :
शासन में नैतिकता के महत्त्व पर चर्चा कीजिये। इससे लोक प्रशासन में जवाबदेहिता तथा पारदर्शिता किस प्रकार सुनिश्चित होती है? उदाहरण सहित समझाइये। (250 शब्द)
18 Apr, 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्नउत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण :
- नैतिकता/ईमानदारी का परिचय देते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- शासन में सत्यनिष्ठा के महत्त्व को स्पष्ट कीजिये।
- मूल्यांकन कीजिये कि इससे लोक प्रशासन में जवाबदेहिता तथा पारदर्शिता किस प्रकार सुनिश्चित होती है।
- यथोचित निष्कर्ष लिखिये।
परिचय:
शासन में ईमानदारी का तात्पर्य सत्ता के पदों पर बैठे लोगों द्वारा निर्णय निर्माण तथा कार्यों में उच्चतम नैतिक मानकों को बनाए रखने के साथ ईमानदारी के पालन से है। सरकार में लोगों का विश्वास बनाए रखने तथा सार्वजनिक प्रशासन की कुशल कार्यप्रणाली को सुनिश्चित करने के लिये यह आवश्यक है।
मुख्य भाग:
शासन में ईमानदारी का महत्त्व:
- नैतिक मानकों को बनाए रखना:
- ईमानदारी से यह सुनिश्चित होता है कि लोक अधिकारी अपनी निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में नैतिक मानकों का पालन करते हैं, जिससे शासन में निष्पक्षता तथा न्याय को बढ़ावा मिल सके।
- इसमें हितों के टकराव से बचना, निष्पक्षता तथा विधि का शासन बनाए रखना शामिल है।
- जन विश्वास का निर्माण:
- अपनी ईमानदारी के लिये जानी जाने वाली सरकार अपने नागरिकों का भरोसा और विश्वास हासिल करती है, जिससे उसके कार्यों की वैधता बढ़ती है।
- जब नागरिकों को विश्वास होता है कि लोक अधिकारी ईमानदारी के साथ कार्य करते हैं, तो उनके द्वारा लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लेने तथा सरकारी नीतियों का अनुपालन करने की अधिक संभावना होती है।
- भारत में सत्यम घोटाले ने शासन में ईमानदारी के महत्त्व पर प्रकाश डाला है। इसमें सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज के चेयरमैन द्वारा राजस्व और मुनाफा बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने के लिये खातों में हेरा-फेरी करना शामिल था।
- भ्रष्टाचार पर अंकुश:
- ईमानदारी, जवाबदेहिता की संस्कृति का निर्माण करके भ्रष्टाचार को रोकने में भूमिका निभाती है।
- जब लोक अधिकारियों द्वारा उच्च नैतिक मानकों को अपनाया जाता है, तो उनके रिश्वतखोरी, गबन या भाई-भतीजावाद जैसी भ्रष्ट गतिविधियों में शामिल होने की संभावना कम होती है।
- भारत में केंद्रीय स्तर पर लोकपाल एवं राज्य स्तर पर लोकायुक्त की स्थापना का उद्देश्य लोक अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतों की जाँच करके शासन में ईमानदारी बढ़ाना है।
जवाबदेहिता और पारदर्शिता सुनिश्चित करना:
- पारदर्शिता:
- ईमानदारी से निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में पारदर्शिता आती है। उदाहरण के लिये, भारत में सूचना का अधिकार अधिनियम ने सरकारी कामकाज को अधिक पारदर्शी बनाने के साथ लोक अधिकारियों को उनके कार्यों के लिये जवाबदेह बनाने में मदद की है।
- ई-गवर्नेंस पहल (जैसे सरकारी सेवाओं और ई-खरीद के लिये ऑनलाइन पोर्टल) से पारदर्शिता को बढ़ावा मिलने के साथ नागरिकों एवं अधिकारियों के बीच प्रत्यक्ष समन्वय बढ़ने से भ्रष्टाचार में कमी आती है।
- सरकार को जवाबदेह ठहराना:
- ईमानदारी से सरकारी कार्यों की पारदर्शी जाँच को प्रोत्साहन मिलता है। उदाहरण के लिये, भारत का नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) सरकारी व्ययों का ऑडिट करता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे स्थापित प्रक्रियाओं एवं मानदंडों के अनुरूप हैं।
- न्यूज़ीलैंड में ईमानदारी और आचरण आयुक्त, लोक अधिकारियों के नैतिक आचरण की देख-रेख करने के साथ कदाचार की शिकायतों की जाँच करते हैं।
- सार्वजनिक क्षेत्र में नैतिक व्यवहार तथा जवाबदेहिता को बढ़ावा देकर आयुक्त, पारदर्शी शासन प्रणाली में भूमिका निभाते हैं।
- व्हिसलब्लोअर संरक्षण:
- भ्रष्टाचार या गलत कार्यों को उजागर करने वाले व्हिसलब्लोअर की सुरक्षा करना, जवाबदेहिता सुनिश्चित करने का एक महत्त्वपूर्ण पहलू है।
- भारत में व्हिसलब्लोअर्स संरक्षण अधिनियम 2011, व्हिसलब्लोअर्स को उत्पीड़न से बचाने के लिये एक तंत्र प्रदान करता है।
- स्वतंत्र निरीक्षण निकाय:
- केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) और केंद्रीय जाँच ब्यूरो (CBI) जैसे स्वतंत्र निरीक्षण निकाय भ्रष्टाचार एवं कदाचार के मामलों की जाँच करके लोक प्रशासन में जवाबदेहिता सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
निष्कर्ष:
लोक प्रशासन में जवाबदेहिता तथा पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिये शासन में सत्यनिष्ठा आवश्यक है। इससे शासन में लोगों का विश्वास बढ़ने के साथ भ्रष्टाचार में कमी आती है तथा संसाधनों का प्रभावी उपयोग सुनिश्चित होता है। उपर्युक्त उदाहरण दर्शाते हैं कि लोक अधिकारियों को जवाबदेह बनाने तथा सुशासन सुनिश्चित करने में सत्यनिष्ठा किस प्रकार सहायक हो सकती है।
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