जैव विविधता संरक्षण में पारिस्थितिकी हॉटस्पॉट के महत्त्व पर चर्चा कीजिये। जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में इसके संरक्षण से संबंधित चुनौतियों एवं रणनीतियों का परीक्षण कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर :
हल करने का दृष्टिकोण:
- पारिस्थितिक हॉटस्पॉट का परिचय देते हुए उत्तर प्रारंभ कीजिये।
- जैवविविधता संरक्षण में पारिस्थितिक हॉटस्पॉट के महत्त्व का वर्णन कीजिये।
- जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में इसके संरक्षण से संबंधित चुनौतियों और रणनीतियों का मूल्यांकन कीजिये।
- उचित निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय:
पारिस्थितिकी हॉटस्पॉट ऐसे क्षेत्र हैं जो स्थानिक प्रजातियों की अधिक संख्या के साथ प्रजातियों के उच्च घनत्व को प्रदर्शित करते हैं। विश्व भर में 36 क्षेत्र हॉटस्पॉट के रूप में निर्धारित हैं। पृथ्वी की सतह के क्षेत्रफल में 2.5% प्रतिशत की हिस्सेदारी होने के बावजूद यह क्षेत्र विश्व की आधे से अधिक पौधों की प्रजातियों का स्थल हैं। प्रजातियों की विविधता, पारिस्थितिकी तंत्र के कार्यों एवं इनके द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं के आलोक में पारिस्थितिकी हॉटस्पॉट की रक्षा करना आवश्यक है।
मुख्य भाग:
पारिस्थितिकी हॉटस्पॉट का महत्त्व :
- जैवविविधता हॉटस्पॉट:
- इन क्षेत्रों में प्रजातियों की संख्या बहुत अधिक होती है, जिससे यह वैश्विक जैवविविधता संरक्षण हेतु महत्त्वपूर्ण स्थल बन जाते हैं।
- उदाहरण के लिये, भारत में पश्चिमी घाट विश्व के जैवविविधता हॉटस्पॉट में से एक है, जो विभिन्न स्थानिक प्रजातियों का स्थल है।
- पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएँ:
- पारिस्थितिक हॉटस्पॉट कार्बन पृथक्करण, जल शुद्धिकरण एवं जलवायु विनियमन जैसी आवश्यक पारिस्थितिकी सेवाएँ प्रदान करते हैं, जिससे स्थानीय समुदायों और वैश्विक आबादी दोनों को लाभ होता है।
- आनुवंशिक विविधता:
- इन क्षेत्रों से दवा उद्योगों के लिये महत्त्वपूर्ण अद्वितीय आनुवंशिक संसाधन मिलते हैं।
- उदाहरण के लिये, अमेज़न वर्षावन आनुवंशिक विविधता का भंडार है जो संभावित रूप से चिकित्सा क्षेत्र के सुधार में सहायक हो सकते हैं।
पारिस्थितिक हॉटस्पॉट के समक्ष चुनौतियाँ:
- जलवायु परिवर्तन:
- तीव्र गति से होने वाला जलवायु परिवर्तन, पारिस्थितिकी हॉटस्पॉट के लिये प्रमुख खतरा उत्पन्न करने के साथ तापमान एवं वर्षा के पैटर्न में बदलाव हेतु उत्तरदायी होता है, जिससे जीवों के आवास स्थलों का विनाश होता है।
- उदाहरण के लिये, बढ़ते समुद्री तापमान को ग्रेट बैरियर रीफ में मूँगा विरंजन हेतु उत्तरदायी माना जाता है।
- आवास स्थलों का विनाश:
- वनों की कटाई, शहरीकरण एवं औद्योगीकरण जैसी मानवीय गतिविधियों से पारिस्थितिकी हॉटस्पॉट में जीवों के आवास स्थलों के विनाश के साथ जैवविविधता का नुकसान हो रहा है।
- अमेज़न बेसिन में जंगलों को कृषि भूमि में बदलना, इस चुनौती का उदाहरण है।
- आक्रामक प्रजाति:
- बाहरी प्रजातियों के आगमन से स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र बाधित होने के साथ पारिस्थितिकी तंत्र की गतिशीलता में बदलाव आता है।
- पश्चिमी घाट में लैंटाना कैमारा जैसे आक्रामक पौधों के प्रसार से स्थानीय वनस्पतियों एवं जीवों के लिये खतरा उत्पन्न हुआ है।
संरक्षण हेतु रणनीतियाँ:
- संरक्षित क्षेत्र:
- पारिस्थितिकी हॉटस्पॉट के संरक्षण के लिये संरक्षित क्षेत्रों की स्थापना के साथ इनका प्रभावी ढंग से प्रबंधन करना महत्त्वपूर्ण है।
- राष्ट्रीय उद्यान, वन्यजीव अभयारण्य और बायोस्फीयर रिज़र्व, जैवविविधता से समृद्ध क्षेत्रों को विधिक सुरक्षा प्रदान करते हैं।
- उदाहरण के लिये, भारत में सुंदरवन राष्ट्रीय उद्यान में विश्व स्तर पर सबसे अधिक मैंग्रोव वन क्षेत्र का संरक्षण होता है।
- सामाजिक सहभागिता:
- संरक्षण प्रयासों में स्थानीय समुदायों को शामिल करने से स्थिरता बढ़ने के साथ पारिस्थितिकी हॉटस्पॉट की सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
- इकोटूरिज़्म जैसी समुदाय-आधारित पहल से संरक्षण को बढ़ावा मिलने के साथ आजीविका के वैकल्पिक अवसर मिलते हैं।
- इसका एक उदाहरण मेडागास्कर में समुदाय-प्रबंधित वन हैं, जिनके द्वारा जैवविविधता के संरक्षण में काफी मदद मिली है।
- जलवायु अनुकूलन रणनीतियाँ:
- निवास स्थान का पुनरुद्वार एवं जीवों के अनुकूलन हेतु पारिस्थितिकी गलियारों के निर्माण जैसे जलवायु-अनुकूल संरक्षण उपायों को लागू करने से पारिस्थितिकी हॉटस्पॉट पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में मदद मिल सकती है।
- अफ्रीका में ग्रेट ग्रीन वॉल जैसी परियोजनाओं का उद्देश्य मरुस्थलीकरण एवं जैवविविधता के नुकसान का समाधान करना है।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग:
- सीमा पार पारिस्थितिक हॉटस्पॉट के संरक्षण के लिये राष्ट्रों एवं अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के बीच सहयोग आवश्यक है।
- जैविविविधता कन्वेंशन जैसे समझौते, जैवविविधता संरक्षण हेतु निर्णायक हैं।
निष्कर्ष:
पारिस्थितिकी हॉटस्पॉट, जैवविविधता तथा पारिस्थितिकी तंत्र संबंधी सेवाओं के अमूल्य भंडार हैं, लेकिन इनके समक्ष कई चुनौतियाँ हैं। संरक्षित क्षेत्रों के निर्धारण, सामुदायिक भागीदारी, जलवायु अनुकूलन एवं अंतर्राष्ट्रीय सहयोग पर ध्यान केंद्रित करने वाले रणनीतिक संरक्षण प्रयासों को अपनाकर इन महत्त्वपूर्ण पारिस्थितिक तंत्रों को भविष्य की पीढ़ियों के लिये संरक्षित किया जा सकता है।